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Padma Shri to Domar Singh: डोमार सिंह को मिलेगा पद्मश्री, नाचा के अस्तित्व को रखा है जिंदा - nacha of Chhattisgarh

बालोद जिले के लाटाबोड़ के रहने वाले नाचा कलाकार डोमार सिंह को पद्म पुरस्कार मिलने की खबर ने छत्तीसगढ़ में खुशी की लहर दौड़ा दी है.डोमार सिंह छत्तीसगढ़ की राजधानी, राज्योत्सव, राजिम कुंभ सहित दिल्ली सहित देश के लगभग हर राज्यों में नाचा की प्रस्तुति दी है. अब नाचा लुप्त न हो जाए, इसलिए 10 साल से जगह-जगह कार्यशाला आयोजित कर 100 से अधिक छोटे बच्चों को नाचा और लोकगीत सिखा रहे हैं.

Padma Shri to Domar Singh
ईटीवी भारत पर डोमार सिंह
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Published : Jan 26, 2023, 2:19 PM IST

ईटीवी भारत पर डोमार सिंह

बालोद : छत्तीसगढ़ की मूल विधा नाचा के बालोद जिले के कलाकार लाटाबोड़ निवासी डोमार सिंह को पद्म पुरस्कार की घोषणा के बाद बालोद जिले में हर्ष व्याप्त है. आज उनका जिला प्रशासन ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर सम्मान किया. इस दौरान उन्होंने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत के दौरान बताया कि ''50 सालों से वे इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं. 12 वर्ष की उम्र से ही वह मंचन के लिए मंच पर उतर गए थे. मंत्री अनिला भेड़िया ने उनका सम्मान किया है.''


डोमार सिंह ने बताया कि ''पद्मश्री का पुरस्कार उनके लिए बेहद मायने रखता है. यह पुरस्कार उनका नहीं बल्कि सभी कला प्रेमियों कला से जुड़े साथियों और छत्तीसगढ़ का सम्मान है. छत्तीसगढ़ की यह मूल विधा है. इसको जिस तरह से आज प्रोत्साहन दिया गया है. उससे मैं काफी खुश हूं .मैंने इस विधा में रहते हुए सभी तरह के किरदार निभाए हैं. मुझे डाकू का किरदार निभाना बेहद पसंद है और मुझे सबसे ज्यादा ख्याति इसी रोल से मिली.''

सभी योजनाओं के गीत नाटक में मंचन : डोमार सिंह ने बताया कि '' सभी योजनाएं जो केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा संचालित किए गए हैं. उनके सभी के नृत्य गीत संगीत उनके पास है. नाचा के माध्यम से हम केवल लोगों का मनोरंजन ही नहीं करते. अभी तो उन्हें सत्य के मार्ग पर चलने के लिए प्रशस्त करते हैं. उन्हें बुराई से छुड़ाने के लिए मेहनत करते हैं. इसके साथ-साथ शासन की सभी योजनाओं का प्रचार प्रसार करते हैं और योजनाओं का लाभ उन्हें मिल पाए इसका प्रयास उनके टीम का रहता है.''

नाचा विधा को रखा है जिंदा : डोमार सिंह ने बताया कि ''नाचा विधा कहीं ना कहीं खोने की ओर है और मैंने इसे जिंदा रखने वह प्रयास किया है. मैंने इसे जिंदा रखा हुआ है. आज जिस तरह का प्रोत्साहन हमें सरकार ने दिया. इस तरह का प्रोत्साहन हमें और बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित करेगा.मुझे पद्मश्री मिला है तो मेरे कलाकार भाइयों की उम्मीदें और बढ़ गई है कि नाचा के क्षेत्र में और हम क्या बेहतर कर सकते हैं.''

ये भी पढ़ें- बालोद के आंगनबाड़ी केंद्रों में जाति प्रमाण पत्र बनना शुरु

नाचा से सभी विधा होती है तैयार : ईटीवी भारत से चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि ''नाचा सभी विधाओं की मूल विधा है. इसी से ही सभी का जन्म हुआ है उन्होंने कहा कि गीता पढ़ने से भक्ति ज्ञान रस मिलेगा. परंतु नाचा पढ़ने से सभी रसों का पान करने का अनुभव मिलता है. उन्होंने कहा कि उन्होंने मृतक से लेकर डाकू और मां-बाप से लेकर प्रत्येक कलाओं में अपना हाथ आजमाया और सभी में उन्हें सफलता मिली है.''

ईटीवी भारत पर डोमार सिंह

बालोद : छत्तीसगढ़ की मूल विधा नाचा के बालोद जिले के कलाकार लाटाबोड़ निवासी डोमार सिंह को पद्म पुरस्कार की घोषणा के बाद बालोद जिले में हर्ष व्याप्त है. आज उनका जिला प्रशासन ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर सम्मान किया. इस दौरान उन्होंने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत के दौरान बताया कि ''50 सालों से वे इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं. 12 वर्ष की उम्र से ही वह मंचन के लिए मंच पर उतर गए थे. मंत्री अनिला भेड़िया ने उनका सम्मान किया है.''


डोमार सिंह ने बताया कि ''पद्मश्री का पुरस्कार उनके लिए बेहद मायने रखता है. यह पुरस्कार उनका नहीं बल्कि सभी कला प्रेमियों कला से जुड़े साथियों और छत्तीसगढ़ का सम्मान है. छत्तीसगढ़ की यह मूल विधा है. इसको जिस तरह से आज प्रोत्साहन दिया गया है. उससे मैं काफी खुश हूं .मैंने इस विधा में रहते हुए सभी तरह के किरदार निभाए हैं. मुझे डाकू का किरदार निभाना बेहद पसंद है और मुझे सबसे ज्यादा ख्याति इसी रोल से मिली.''

सभी योजनाओं के गीत नाटक में मंचन : डोमार सिंह ने बताया कि '' सभी योजनाएं जो केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा संचालित किए गए हैं. उनके सभी के नृत्य गीत संगीत उनके पास है. नाचा के माध्यम से हम केवल लोगों का मनोरंजन ही नहीं करते. अभी तो उन्हें सत्य के मार्ग पर चलने के लिए प्रशस्त करते हैं. उन्हें बुराई से छुड़ाने के लिए मेहनत करते हैं. इसके साथ-साथ शासन की सभी योजनाओं का प्रचार प्रसार करते हैं और योजनाओं का लाभ उन्हें मिल पाए इसका प्रयास उनके टीम का रहता है.''

नाचा विधा को रखा है जिंदा : डोमार सिंह ने बताया कि ''नाचा विधा कहीं ना कहीं खोने की ओर है और मैंने इसे जिंदा रखने वह प्रयास किया है. मैंने इसे जिंदा रखा हुआ है. आज जिस तरह का प्रोत्साहन हमें सरकार ने दिया. इस तरह का प्रोत्साहन हमें और बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित करेगा.मुझे पद्मश्री मिला है तो मेरे कलाकार भाइयों की उम्मीदें और बढ़ गई है कि नाचा के क्षेत्र में और हम क्या बेहतर कर सकते हैं.''

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नाचा से सभी विधा होती है तैयार : ईटीवी भारत से चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि ''नाचा सभी विधाओं की मूल विधा है. इसी से ही सभी का जन्म हुआ है उन्होंने कहा कि गीता पढ़ने से भक्ति ज्ञान रस मिलेगा. परंतु नाचा पढ़ने से सभी रसों का पान करने का अनुभव मिलता है. उन्होंने कहा कि उन्होंने मृतक से लेकर डाकू और मां-बाप से लेकर प्रत्येक कलाओं में अपना हाथ आजमाया और सभी में उन्हें सफलता मिली है.''

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