बालोद: विख्यात चौरेल गौरैयाधाम का प्रसिद्ध मेला माघी पूर्णिमा के साथ ही शुरू हो चुका है. इस मेले में हजारों लोग प्रदेशभर से शामिल हो रहे हैं. यहां सुबह से ही भक्तों की भीड़ लगी हुई है.
बता दें कि पुरातत्व विभाग की सूची में गौरैयाधाम पर्यटनस्थल के रूप में शामिल है, जहां श्रावण सोमवार और माघी पूर्णिमा पर भव्य मेला लगा हुआ है. पुलिस की यहां चाक चौबंद व्यवस्था है. तांदूला नदी में अन्य सहायक नदियों के साथ ही यहां प्राचीन मंदिर और मूर्तियों का संगम भी है.
गौरैयाधाम की प्रसिद्ध कहानी
गौरैयाधाम को लेकर कहावत है कि यहां सभी देवी-देवता तीर्थधाम घूमते हुए शिवरात्रि के समय गौरैयाधाम में पधारे और समाधि में लीन हो गए. समाधि से जागृत होने के बाद शिवजी देखते हैं कि उनके पास गौरी जी हाथ में चंवर लिए सेवा कर रही हैं और ऊपर गौरैया पक्षी भी सेवा कर रहे हैं.
गौरी और गौरैया ने मांगा वरदान
शिवजी दोनों की सेवा से प्रसन्न होकर बोले कि तुम्हारी सेवा से मैं प्रसन्न हुआ, जो इच्छा हो वो मांग लो. इसके बाद गौरी और गौरैया दोनों हाथ जोड़कर कहते है कि हे प्रभु आप सर्वज्ञ हैं. हमें यह वरदान दीजिए कि आपकी सेवा में हम सदा लीन रहें. इस पर भगवान शिव ने कहा कि यह स्थान गौरैयाधाम होगा. गौरैया पक्षी तुम प्रत्येक घरों में मेरा संदेश पहुंचाना. मान्यता है कि गौरैया जब चहाचहाती है तो वह शिव-शिव कहते प्रत्येक घरों में पहुंचकर भगवान शिव का संदेश पहुंचाती हैं. गौरैयाधाम में भगवान शिव और गौरी की मूर्ति स्थापित है, जो सालों पुरानी और दर्शनीय है.