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धड़ल्ले से चल रहा वनों में अवैध कटाई का व्यापार, प्रतिबंधित पेड़ों की तस्करी जारी

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Published : Nov 4, 2020, 2:32 PM IST

फसल कटाई की आड़ में इन दिनों धड़ल्ले से लकड़ियों की कटाई की जा रही है. लकड़ियों के तस्कर प्रतिबंधित पेड़ को काटने से भी पीछे नहीं हट रहे है.

wood smuggling
लकड़ियों की अवैध कटाई

बालोद: जिला मुख्यालय से लगे हुए ग्रामीण अंचलों में धान कटाई के साथ ही लकड़ी के ठेकेदार भी सक्रिय हो चुके हैं. इन दिनों धड़ल्ले से लकड़ियों की कटाई हो रही है और जिम्मेदार आंख बंद कर सो रहे हैं. आधी रात को गुपचुप ढंग से लकड़ियों की सप्लाई की जाती है और आरा मिलों तक पहुंचाया जाता है.


ग्रामीण अंचलों में सक्रिय है दलाल
ग्रामीण अंचलों में लकड़ियों के दलाल पूरी तरह सक्रिय हैं. किसानों से संपर्क कर उनके खेतों से प्रतिबंधित लकड़ियों को काटकर महंगे दामों में आरा मिलों में बेच रहे हैं. जिला मुख्यालय में लगभग आधा दर्जन आरा मिल ऐसे हैं जहां ग्रामीण अंचलों से लकड़ियां पहुंचने शुरू हो चुके है. वहीं ग्रामीण अंचलों के कई आरा मिलों में प्रतिबंधित लकड़ियों का व्यापार शुरू हो चुका है.

पढ़ें: बलौदा बाजार: जंगलों में हो रही पेड़ों की अंधाधुन कटाई, शराब के नशे में धुत हैं जिम्मेदार

रात में होता है व्यापार

आधी रात को लकड़ी का यह कारोबार शुरू हो जाता है. दिन भर गाड़ियों में लकड़ियों को भरकर उसे छुपा कर रख दिया जाता है और आधी रात के बाद ही इसे मिलों तक पहुंचाया जाता है ताकि किसी तरह की कोई कार्रवाई न हो.

कहवा की डिमांड ज्यादा

कहवा एक प्रतिबंधित पेड़ है,मार्केट में सबसे ज्यादा मांग कहवा की लकड़ी की ही रहती है. फसलों की कटाई के साथ ही वाहनों को खेतों तक जाने का रास्ता मिलता है और किसान भी लकड़ियों को आसानी से बेच देते हैं जिसके कारण मिल संचालक इसका फायदा उठाते हैं.



बालोद: जिला मुख्यालय से लगे हुए ग्रामीण अंचलों में धान कटाई के साथ ही लकड़ी के ठेकेदार भी सक्रिय हो चुके हैं. इन दिनों धड़ल्ले से लकड़ियों की कटाई हो रही है और जिम्मेदार आंख बंद कर सो रहे हैं. आधी रात को गुपचुप ढंग से लकड़ियों की सप्लाई की जाती है और आरा मिलों तक पहुंचाया जाता है.


ग्रामीण अंचलों में सक्रिय है दलाल
ग्रामीण अंचलों में लकड़ियों के दलाल पूरी तरह सक्रिय हैं. किसानों से संपर्क कर उनके खेतों से प्रतिबंधित लकड़ियों को काटकर महंगे दामों में आरा मिलों में बेच रहे हैं. जिला मुख्यालय में लगभग आधा दर्जन आरा मिल ऐसे हैं जहां ग्रामीण अंचलों से लकड़ियां पहुंचने शुरू हो चुके है. वहीं ग्रामीण अंचलों के कई आरा मिलों में प्रतिबंधित लकड़ियों का व्यापार शुरू हो चुका है.

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रात में होता है व्यापार

आधी रात को लकड़ी का यह कारोबार शुरू हो जाता है. दिन भर गाड़ियों में लकड़ियों को भरकर उसे छुपा कर रख दिया जाता है और आधी रात के बाद ही इसे मिलों तक पहुंचाया जाता है ताकि किसी तरह की कोई कार्रवाई न हो.

कहवा की डिमांड ज्यादा

कहवा एक प्रतिबंधित पेड़ है,मार्केट में सबसे ज्यादा मांग कहवा की लकड़ी की ही रहती है. फसलों की कटाई के साथ ही वाहनों को खेतों तक जाने का रास्ता मिलता है और किसान भी लकड़ियों को आसानी से बेच देते हैं जिसके कारण मिल संचालक इसका फायदा उठाते हैं.



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