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बालोद: डौंडी पहुंचा दंतैल हाथियों का झुंड, दहशत में ग्रामीण

बालोद के डौंडी में दंतैल हाथियों के झुंड ने दस्तक दी है, जिससे किसानों में डर का माहौल है. किसानों को उनकी जान पर खतरा सता रहा है. वहीं हाथियों के मूवमेंट को लेकर वन विभाग अलर्ट है और निगरानी रखी जा रही है.

elephant attack
हाथी फाइल फोटो
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Published : Oct 29, 2020, 9:41 AM IST

बालोद: हाथियों की मौजूदगी डौंडी रेंज में लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गई है. भोजन और पानी की तलाश में हाथी अब जंगल से निकलकर रिहायशी इलाकों में पहुंचने लगे हैं. बुधवार की रात दंतैल हाथियों का झुंड लिमहऊडीह गांव में घुस गया है. हाथियों के दस्तक से ग्रामीण दहशत में हैं. वन विभाग की टीम के साथ ग्रामीण आग जलाकर पहरेदारी करने को मजबूर हैं.

elephant terror in villagers
हाथियों के डर से रात जागरण करते ग्रामीण

बुधवार देर रात गांव में हाथी की चिंघाड़ सुनाई दी थी. ग्रामीणों ने इसकी जानकारी वन विभाग को दी. मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने हाथियों के दल से छेड़खानी नहीं करने की समझाइश दी है. जानकारी के मुताबिक, बीते कई दिनों से दंतैल हाथी का झुंड गुरुर विकासखंड से होते हुए डौंडी के मंगलतराई, चिहरो होते हुए लिमहऊडीह क्षेत्र में ही विचरण कर रहा है. हाथियों की मौजूदगी से ग्रामीण डरे हुए हैं.

किसानों को दी जाएगी क्षतिपूर्ति राशि

कोई बड़ी दुर्घटना न हो, इसके लिए वन अधिकारी लगे हुए हैं. वन विभाग की टीम जीपीएस कॉलर के जरिए हाथियों की लोकेशन ट्र्रेस करने की कोशिश कर रही है, लेकिन जीपीएस कॉलर की बैटरी खत्म होने के कारण हाथियों की लोकेशन का पता नहीं चल पा रहा है. फिलहाल वन विभाग फसलों के नुकसान के आकलन में लगा है. जिसके बाद किसानों को क्षतिपूर्ति की राशि दी जाएगी.

पढ़ें: दल्लीराजहरा पहुंचा चंदा हाथी का दल, जीपीएस से की जा रही निगरानी

खाने की तलाश में शहर का रुख कर रहे हाथी

जिस तेजी से जंगल को काटा जा रहा है, उससे इन हाथियों के सामने रहने-खाने की समस्या पैदा हो गई है. जिसके कारण ये हाथी जंगल से निकलकर गांव और शहरों की ओर रुख कर रहे हैं. यही वजह है कि आए दिन इंसान और हाथी के बीच लड़ाई देखने को मिल रही है. हाथी रहवासी क्षेत्रों के विकास और प्रोजेक्ट एलीफेंट के नाम पर पिछले 10 साल में छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने करीब 64 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. 2018 में सर्वाधिक 1307 करोड़ खर्च किए, इसके बाद भी मौतों की संख्या में कमी नहीं है.

हाथियों से मौत के आंकड़े

  • 2016-17 में 74 लोगों की मौत
  • 2017-18 में 74 लोगों की मौत
  • 31 मार्च 2019 तक 56 लोगों की मौत
  • 2016 से अब तक 200 से ज्यादा लोगों की मौत
  • छत्तीसगढ़ में 3 साल में 204 लोगों की मौत
  • देश में 3 साल में 1,474 लोगों की मौत

छत्तीसगढ़ चौथे नंबर पर

  • तीन साल में असम में 274 लोगों की मौत
  • ओडिशा में 243 लोगों की मौत
  • झारखंड में 230 लोगों की मौत
  • छत्तीसगढ़ में 204 लोगों की मौत
  • पश्चिम बंगाल में 202 लोगों की मौत

हाथियों की समस्या से निपटने के उपाय

हाथी की समस्या के समाधान के लिए सिर्फ इंसानों के बारे में न सोचते हुए हाथियों के बारे में भी सोचना होगा. लोगों को ध्यान देना होगा कि हाथी को किन-किन चीजों की जरूरत है. हाथी को दिनभर में डेढ़ सौ किलो खाना और 200 से 300 लीटर पानी की जरूरत होती है. इसके अलावा सुरक्षा और भ्रमण के लिए पर्याप्त जगह दे दी जाए, तो शायद हाथी और इंसानों के बीच की लड़ाई में थोड़ी कमी आएगी.

बालोद: हाथियों की मौजूदगी डौंडी रेंज में लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गई है. भोजन और पानी की तलाश में हाथी अब जंगल से निकलकर रिहायशी इलाकों में पहुंचने लगे हैं. बुधवार की रात दंतैल हाथियों का झुंड लिमहऊडीह गांव में घुस गया है. हाथियों के दस्तक से ग्रामीण दहशत में हैं. वन विभाग की टीम के साथ ग्रामीण आग जलाकर पहरेदारी करने को मजबूर हैं.

elephant terror in villagers
हाथियों के डर से रात जागरण करते ग्रामीण

बुधवार देर रात गांव में हाथी की चिंघाड़ सुनाई दी थी. ग्रामीणों ने इसकी जानकारी वन विभाग को दी. मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने हाथियों के दल से छेड़खानी नहीं करने की समझाइश दी है. जानकारी के मुताबिक, बीते कई दिनों से दंतैल हाथी का झुंड गुरुर विकासखंड से होते हुए डौंडी के मंगलतराई, चिहरो होते हुए लिमहऊडीह क्षेत्र में ही विचरण कर रहा है. हाथियों की मौजूदगी से ग्रामीण डरे हुए हैं.

किसानों को दी जाएगी क्षतिपूर्ति राशि

कोई बड़ी दुर्घटना न हो, इसके लिए वन अधिकारी लगे हुए हैं. वन विभाग की टीम जीपीएस कॉलर के जरिए हाथियों की लोकेशन ट्र्रेस करने की कोशिश कर रही है, लेकिन जीपीएस कॉलर की बैटरी खत्म होने के कारण हाथियों की लोकेशन का पता नहीं चल पा रहा है. फिलहाल वन विभाग फसलों के नुकसान के आकलन में लगा है. जिसके बाद किसानों को क्षतिपूर्ति की राशि दी जाएगी.

पढ़ें: दल्लीराजहरा पहुंचा चंदा हाथी का दल, जीपीएस से की जा रही निगरानी

खाने की तलाश में शहर का रुख कर रहे हाथी

जिस तेजी से जंगल को काटा जा रहा है, उससे इन हाथियों के सामने रहने-खाने की समस्या पैदा हो गई है. जिसके कारण ये हाथी जंगल से निकलकर गांव और शहरों की ओर रुख कर रहे हैं. यही वजह है कि आए दिन इंसान और हाथी के बीच लड़ाई देखने को मिल रही है. हाथी रहवासी क्षेत्रों के विकास और प्रोजेक्ट एलीफेंट के नाम पर पिछले 10 साल में छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने करीब 64 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. 2018 में सर्वाधिक 1307 करोड़ खर्च किए, इसके बाद भी मौतों की संख्या में कमी नहीं है.

हाथियों से मौत के आंकड़े

  • 2016-17 में 74 लोगों की मौत
  • 2017-18 में 74 लोगों की मौत
  • 31 मार्च 2019 तक 56 लोगों की मौत
  • 2016 से अब तक 200 से ज्यादा लोगों की मौत
  • छत्तीसगढ़ में 3 साल में 204 लोगों की मौत
  • देश में 3 साल में 1,474 लोगों की मौत

छत्तीसगढ़ चौथे नंबर पर

  • तीन साल में असम में 274 लोगों की मौत
  • ओडिशा में 243 लोगों की मौत
  • झारखंड में 230 लोगों की मौत
  • छत्तीसगढ़ में 204 लोगों की मौत
  • पश्चिम बंगाल में 202 लोगों की मौत

हाथियों की समस्या से निपटने के उपाय

हाथी की समस्या के समाधान के लिए सिर्फ इंसानों के बारे में न सोचते हुए हाथियों के बारे में भी सोचना होगा. लोगों को ध्यान देना होगा कि हाथी को किन-किन चीजों की जरूरत है. हाथी को दिनभर में डेढ़ सौ किलो खाना और 200 से 300 लीटर पानी की जरूरत होती है. इसके अलावा सुरक्षा और भ्रमण के लिए पर्याप्त जगह दे दी जाए, तो शायद हाथी और इंसानों के बीच की लड़ाई में थोड़ी कमी आएगी.

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