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Dayan mata of balod : बालोद की डायन माता की कहानी, नौ दिनों तक होगा अनुष्ठान

Dayan mata of balod नवरात्रि के नौ दिनों तक बालोद में एक अनोखी पूजा होती है. ये पूजा है डायन माता की.ऐसा मान्यता है कि डायन माता की पूजा करने से किसी भी तरह की विपत्ति नहीं आती.

बालोद की डायन माता की कहानी, नौ दिनों तक होगा अनुष्ठान
बालोद की डायन माता की कहानी, नौ दिनों तक होगा अनुष्ठान
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Published : Sep 26, 2022, 12:17 PM IST

Updated : Sep 26, 2022, 1:44 PM IST

बालोद: मातृशक्ति के आराधना का पर्व शारदीय नवरात्रि शुरू हो चुका है. जिसे लेकर मंदिरों में अपने अपने स्तर पर तैयारियां हुई हैं. एक तरफ जहां मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा पूरे देश में की जाती है. वहीं बालोद जिले के गुंडरदेही ब्लॉक अंतर्गत ग्राम झींका में एक ऐसा मंदिर भी है जहां प्रेतिन की पूजा की जाती (Dayan mata of balod ) है. हिंदी में कहे तो यहां पर डायन की पूजा अर्चना की जाती है. नवरात्रि के 9 दिन यहां पर आस्था के ज्योत प्रज्वलित किए जा रहे हैं.

200 साल पुराना इतिहास : मान्यता है कि छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में स्थित परेतिन देवी का यह मंदिर लगभग 200 साल पुराना है. ग्रामीणों की कहना है कि यह मंदिर नीम वृक्ष के नीचे सिर्फ चबूतरा था. मान्यता और प्रसिद्धि बढ़ने के साथ जन सहयोग मंदिर का निर्माण कराया गया है. निर्माण भी देवी को अर्पित ईंटों से किया गया है. नवरात्रि में यहां 9 दिन तक देवी के नौ रूप के साथ परेतिन दाई की पूजा होती है .दूर-दूर से लोग यहां डायन देवी के दर्शन करने आते हैं और नवरात्रि में भी यहां 9 दिन आराधना करते (dayan mata worshiped in balod ) हैं.

मंदिर में दिखते हैं ईंट : कोई भी व्यक्ति ईंट गिट्टी रेत लेकर जाता है तो वह इस डायन माता को अर्पित किए बिना आगे नहीं बढ़ सकता. यदि वह ऐसा करता है तो उसके साथ कुछ ना कुछ गलत जरूर होता है. जब हम मंदिर में जाते हैं तो वहां पर ईंटों की लंबी लाइन लगी रहती है. दरअसल ये ईंट उन गाड़ियों की है जो यहां से ईट लेकर गुजरते हैं. अब मंदिर के चढ़ावे में आए इस ईंट का उपयोग ग्रामीण गांव के विकास कार्यों के लिए करने लगे हैं.

बिना भेंट चढ़ाएं आगे नहीं जाते वाहन : बालोद जिले में ये मंदिर गुंडरदेही विकासखंड के ग्राम झींका में सड़क किनारे स्थित है. लोगों में देवी के प्रति आस्था या डर ऐसा है कि बिना दान किए कोई भी मालवाहक वाहन आगे नहीं बढ़ सकता. यानी अगर आप मालवाहक वाहन से जा रहे हैं तो वाहन में जो भी सामान भरा है, उसमें से कुछ-न-कुछ चढ़ाना अनिवार्य है. चाहे ईंट, पत्थर, सब्जी, भाजी ही क्यों ना हो.

अंजान लोगों को माफ कर देती हैं देवी : मान्यता है कि यदि किसी व्यक्ति को यहां के नियम नहीं पता तो देवी उसे क्षमा कर देती हैं, लेकिन यदि कोई जान-बिना चढ़ावा दिए आगे निकल जाता है. तो उसे वाहन में कोई न कोई परेशानी आ जाती है या उसे अन्य तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. परेतिन देवी किसी का बुरा नहीं करती हैं. वे राहगीरों सहित सच्चे मन से प्रार्थना करने वालों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं.

मन्नत भी पूरी करती हैं देवी : स्थानीय लोगों का कहना है कि जो भी व्यक्ति इस मंदिर में आकर सच्चे मन से प्रार्थना करता है, देवी उसकी हर इच्छा पूरी करती हैं. यहां सबसे ज्यादा भीड़ नवरात्रि के दौरान होती है. मंदिर में विशेष आयोजन भी किए जाते हैं. लोगों की इस मंदिर के प्रति विशेष आस्था है. समय-समय पर यहां अन्य आयोजन भी स्थानीय लोगों द्वारा किए जाते (nine days in Balod on navratri 2022 ) हैं.

स्थानीय लोगों के साथ हुई घटना : गांव के यदुवंशी (यादव और ठेठवार) अगर मंदिर में बिना दूध चढ़ाए निकल जाते हैं तो दूध फट जाता है. ऐसा कई बार हो चुका है. ग्रामीण माखन लाल ने बताया कि ''यह मंदिर काफी पुराना और मंदिर की बड़ी मान्यता है. गांव में भी बहुत से ठेठवार है जो रोजाना दूध बेचने आस-पास के गांवों और शहर जाते हैं. इस मंदिर में दूध चढ़ाना ही पड़ता है. अगर जान बूझकर दूध नहीं चढ़ाया गया तो दूध खराब हो जाता है.

नाम की डायन, पर मनोकामना सिद्धि है माता : कहने को तो इस मंदिर का नाम परेतिन दाई के नाम से विख्यात है. लेकिन यह माता मनोकामना देवी है. लोग दूर-दूर से अपनी मनोकामना लेकर आते हैं और माता उनकी मनोकामना पूरी करती हैं. दोनों नवरात्र के पर्व में यहां पर आस्था के दीप प्रज्वलित किए जाते हैं.navratri 2022

बालोद: मातृशक्ति के आराधना का पर्व शारदीय नवरात्रि शुरू हो चुका है. जिसे लेकर मंदिरों में अपने अपने स्तर पर तैयारियां हुई हैं. एक तरफ जहां मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा पूरे देश में की जाती है. वहीं बालोद जिले के गुंडरदेही ब्लॉक अंतर्गत ग्राम झींका में एक ऐसा मंदिर भी है जहां प्रेतिन की पूजा की जाती (Dayan mata of balod ) है. हिंदी में कहे तो यहां पर डायन की पूजा अर्चना की जाती है. नवरात्रि के 9 दिन यहां पर आस्था के ज्योत प्रज्वलित किए जा रहे हैं.

200 साल पुराना इतिहास : मान्यता है कि छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में स्थित परेतिन देवी का यह मंदिर लगभग 200 साल पुराना है. ग्रामीणों की कहना है कि यह मंदिर नीम वृक्ष के नीचे सिर्फ चबूतरा था. मान्यता और प्रसिद्धि बढ़ने के साथ जन सहयोग मंदिर का निर्माण कराया गया है. निर्माण भी देवी को अर्पित ईंटों से किया गया है. नवरात्रि में यहां 9 दिन तक देवी के नौ रूप के साथ परेतिन दाई की पूजा होती है .दूर-दूर से लोग यहां डायन देवी के दर्शन करने आते हैं और नवरात्रि में भी यहां 9 दिन आराधना करते (dayan mata worshiped in balod ) हैं.

मंदिर में दिखते हैं ईंट : कोई भी व्यक्ति ईंट गिट्टी रेत लेकर जाता है तो वह इस डायन माता को अर्पित किए बिना आगे नहीं बढ़ सकता. यदि वह ऐसा करता है तो उसके साथ कुछ ना कुछ गलत जरूर होता है. जब हम मंदिर में जाते हैं तो वहां पर ईंटों की लंबी लाइन लगी रहती है. दरअसल ये ईंट उन गाड़ियों की है जो यहां से ईट लेकर गुजरते हैं. अब मंदिर के चढ़ावे में आए इस ईंट का उपयोग ग्रामीण गांव के विकास कार्यों के लिए करने लगे हैं.

बिना भेंट चढ़ाएं आगे नहीं जाते वाहन : बालोद जिले में ये मंदिर गुंडरदेही विकासखंड के ग्राम झींका में सड़क किनारे स्थित है. लोगों में देवी के प्रति आस्था या डर ऐसा है कि बिना दान किए कोई भी मालवाहक वाहन आगे नहीं बढ़ सकता. यानी अगर आप मालवाहक वाहन से जा रहे हैं तो वाहन में जो भी सामान भरा है, उसमें से कुछ-न-कुछ चढ़ाना अनिवार्य है. चाहे ईंट, पत्थर, सब्जी, भाजी ही क्यों ना हो.

अंजान लोगों को माफ कर देती हैं देवी : मान्यता है कि यदि किसी व्यक्ति को यहां के नियम नहीं पता तो देवी उसे क्षमा कर देती हैं, लेकिन यदि कोई जान-बिना चढ़ावा दिए आगे निकल जाता है. तो उसे वाहन में कोई न कोई परेशानी आ जाती है या उसे अन्य तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. परेतिन देवी किसी का बुरा नहीं करती हैं. वे राहगीरों सहित सच्चे मन से प्रार्थना करने वालों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं.

मन्नत भी पूरी करती हैं देवी : स्थानीय लोगों का कहना है कि जो भी व्यक्ति इस मंदिर में आकर सच्चे मन से प्रार्थना करता है, देवी उसकी हर इच्छा पूरी करती हैं. यहां सबसे ज्यादा भीड़ नवरात्रि के दौरान होती है. मंदिर में विशेष आयोजन भी किए जाते हैं. लोगों की इस मंदिर के प्रति विशेष आस्था है. समय-समय पर यहां अन्य आयोजन भी स्थानीय लोगों द्वारा किए जाते (nine days in Balod on navratri 2022 ) हैं.

स्थानीय लोगों के साथ हुई घटना : गांव के यदुवंशी (यादव और ठेठवार) अगर मंदिर में बिना दूध चढ़ाए निकल जाते हैं तो दूध फट जाता है. ऐसा कई बार हो चुका है. ग्रामीण माखन लाल ने बताया कि ''यह मंदिर काफी पुराना और मंदिर की बड़ी मान्यता है. गांव में भी बहुत से ठेठवार है जो रोजाना दूध बेचने आस-पास के गांवों और शहर जाते हैं. इस मंदिर में दूध चढ़ाना ही पड़ता है. अगर जान बूझकर दूध नहीं चढ़ाया गया तो दूध खराब हो जाता है.

नाम की डायन, पर मनोकामना सिद्धि है माता : कहने को तो इस मंदिर का नाम परेतिन दाई के नाम से विख्यात है. लेकिन यह माता मनोकामना देवी है. लोग दूर-दूर से अपनी मनोकामना लेकर आते हैं और माता उनकी मनोकामना पूरी करती हैं. दोनों नवरात्र के पर्व में यहां पर आस्था के दीप प्रज्वलित किए जाते हैं.navratri 2022

Last Updated : Sep 26, 2022, 1:44 PM IST
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