बालोद: गरीबों को आशियाना देने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुआत है. इस योजना से लाखों लोग लाभान्वित भी हुए हैं. वहीं इस योजना ने हजारों लोगों को परेशानी में भी डाल दिया है. कई बाद योजना के तहत एक या दो किस्त के बाद अंतिम किस्त रूका रह जाता है. जिसके कारण हितग्राही कहीं का नहीं रह जाते हैं. इसी योजना के तहत बालोद जिले के डौंडीलोहारा में एक और अजीब मामला सामने आया है. यहां के वार्ड 11 में रहने वाले करीब 20 से ज्यादा लोगों का बिना आशियाना बने ही केंद्र से बधाई पत्र मिल गया है. इसे लेकर अब जिम्मेदार जांच जुटे हैं कि आखिर चूक कहां से हुई है.
2 साल से देख रहे आशियाने की राह
2 साल से हितग्राही अपने आशियाने को कच्चे से पक्का होने की राह देख रहे हैं. हितग्राहियों के पास जमीन का प्रमाणीकरण के साथ पात्रता सूची में नाम भी है. लेकिन पात्रता सूची में नाम आने दो साल बाद भी किसी को अपने सपनों का घर नहीं मिला है.
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दिल्ली से आया बधाई संदेश
दो साल से आशियाने की बाट जोह रहे हितग्राहियों की खुशी की ठीकाना उस वक्त नहीं रहा जब, दिल्ली से उनके पास एक खत आया. लेकिन लिफाफा खोलते ही उनकी खुशी ऐसे गम में बदल गया, जैसे किसी ने उनके गरीबी का भद्दा मजाक उड़ाया हो. लिफाफा में पक्के मकान बनने पर बधाई दी गई थी. साथ ही प्रधानमंत्री आवास स्पर्धा में भाग लेने के लिए सभी को फोटो भेजने कहा गया था. अब हितग्राही हैरान हैं कि जब आशियाना बना ही नहीं तो पत्र मिला कैसे? और पत्र वे फोटो किसका भेजें.
कहां हुई चूक?
बहरहाल, मामला कैसा भी हो, चूक कहां से हुई यह तो जांच में ही खुलासा होगा. इधर, पूरे मामले में कलेक्टर गंभीरता से संज्ञान में लेने की बात कह रहे हैं. मामले में नगर पंचायत पर गड़बड़ झाला कर बड़े घोटाले का अंदेशा जताया जा रहा है. वहीं नगर पंचायत का कहना है कि सभी हितग्राहियों को जल्द ही पक्का मकान मिल जाएगा. हालांकि उसके लिए भी अध्यक्ष ने पांच साल का वक्त दिया है. तबतक हितग्राही बधाई संदेश के सहारे जीते रहें.