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बलरामपुर: कुमकी हाथियों से भी नहीं मिली राहत, कम नहीं हो रहा जंगली हाथियों का आतंक

जंगली हाथियों का आतंक रुकने का नाम नहीं ले रहा है. 15 लाख खर्च कर लाए गए कुमकी हाथियों से भी बहुत ज्यादा फायदा नहीं हो रहा है.

wild elephants are not being controlled by kumki elephants in balrampur
कुमकी हाथी
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Published : Sep 22, 2020, 1:30 PM IST

बलरामपुर: जिले में जंगली हाथियों का आतंक रुकने का नाम नहीं ले रहा है. लगातार इससे नुकसान ही हो रहा है. सरकार हर साल हाथियों पर नियंत्रण के लिए लाखों रुपए खर्च कर रही हैं, लेकिन कहीं फायदा होता हुआ नहीं दिख रहा है. जंगली हाथियों पर काबू पाने के लिए लाखों रुपए खर्च कर कुमकी हाथी बाहर से लाए गए, पर इसका भी कोई फायदा नहीं हुआ.

देहरादून से लाए गए 3 कुमकी हाथी

नहीं थम रहा जंगली हाथियों का आतंक

जिले के राजपुर रेंज में हाथियों का पूरे 12 महीने आवागमन रहता है और हर साल इससे सिर्फ नुकसान ही हो रहा है. हाथियों पर नियंत्रण के लिए विभाग ने कुमकी हाथियों का सहारा लिया और देहरादून से 2 मादा और 1 नर कुल 3 कुमकी हाथियों को लाया गया. पिछले साल इन कुमकी हाथियों को लाया गया था और इससे जंगली हाथियों पर नियंत्रण करने का उद्देश्य था, लेकिन राजपुर पहुंचते ही दोनों मादा कुमकी हाथियों ने बच्चों को जन्म दिया और अब वो अपने बच्चों की सेवा में लग गई हैं.

कुमकी हाथियों को लाने में 15 लाख हुआ खर्च

wild elephants are not being controlled by kumki elephants in balrampur
नहीं थम रहा जंगली हाथियों का आतंक

राजपुर के वन परिक्षेत्राधिकारी ने बताया की कुमकी हाथी अगर बच्चों को जन्म देती हैं तो 2 साल तक वो बच्चो को नहीं छोड़ती, जिससे इस समय उनसे कोई भी काम नहीं लिया जा सकता है. एक कुमकी हाथी को देहरादून या अन्य बाहरी प्रदेशों से लाने में तकरीबन 5 लाख रुपये का खर्च आता है और इन हाथियों को भी लाने में लगभग 15 लाख रुपए का खर्च हुआ है.

वन परिक्षेत्राधिकारी ने कुमकी हाथियों के उपयोग में एक महत्वपूर्ण बात बताई की कुमकी हाथी की मदद से सिर्फ एक या दो ही जंगली हाथियों पर काबू पाया जा सकता है, जंगली हाथी अगर दल में होते हैं तो उसे कुमकी से नियंत्रण करना काफी मुश्किल होता है. उन्होंने कहा की अगर जंगली हाथी दल में हैं और अकेला कुमकी महावत के साथ उन्हें नियंत्रण करने जाता है, तो न सिर्फ कुमकी की जान को खतरा है बल्कि महावत की भी जान जा सकती है. तीर्थराज कुमकी हाथी के बारे में उन्होंने बताया कि उसकी मदद से जंगली हाथी को गांव के बाहर खदेड़ने में काफी मदद मिली, जिसके बाद जंगली हाथी में कॉलर आईडी लगाकर उस पर निगरानी रखी जा रही हैं.

wild elephants are not being controlled by kumki elephants in balrampur
जंगली हाथियों को नियंत्रण करने मंगाए गए कुमकी हाथी

रेंजर ने कहा की तीर्थराज, राजलक्ष्मी और गंगा नाम की तीनों कुमकी हाथियों से अब दो साल बाद ही काम लिया जा सकता है.

बलरामपुर: जिले में जंगली हाथियों का आतंक रुकने का नाम नहीं ले रहा है. लगातार इससे नुकसान ही हो रहा है. सरकार हर साल हाथियों पर नियंत्रण के लिए लाखों रुपए खर्च कर रही हैं, लेकिन कहीं फायदा होता हुआ नहीं दिख रहा है. जंगली हाथियों पर काबू पाने के लिए लाखों रुपए खर्च कर कुमकी हाथी बाहर से लाए गए, पर इसका भी कोई फायदा नहीं हुआ.

देहरादून से लाए गए 3 कुमकी हाथी

नहीं थम रहा जंगली हाथियों का आतंक

जिले के राजपुर रेंज में हाथियों का पूरे 12 महीने आवागमन रहता है और हर साल इससे सिर्फ नुकसान ही हो रहा है. हाथियों पर नियंत्रण के लिए विभाग ने कुमकी हाथियों का सहारा लिया और देहरादून से 2 मादा और 1 नर कुल 3 कुमकी हाथियों को लाया गया. पिछले साल इन कुमकी हाथियों को लाया गया था और इससे जंगली हाथियों पर नियंत्रण करने का उद्देश्य था, लेकिन राजपुर पहुंचते ही दोनों मादा कुमकी हाथियों ने बच्चों को जन्म दिया और अब वो अपने बच्चों की सेवा में लग गई हैं.

कुमकी हाथियों को लाने में 15 लाख हुआ खर्च

wild elephants are not being controlled by kumki elephants in balrampur
नहीं थम रहा जंगली हाथियों का आतंक

राजपुर के वन परिक्षेत्राधिकारी ने बताया की कुमकी हाथी अगर बच्चों को जन्म देती हैं तो 2 साल तक वो बच्चो को नहीं छोड़ती, जिससे इस समय उनसे कोई भी काम नहीं लिया जा सकता है. एक कुमकी हाथी को देहरादून या अन्य बाहरी प्रदेशों से लाने में तकरीबन 5 लाख रुपये का खर्च आता है और इन हाथियों को भी लाने में लगभग 15 लाख रुपए का खर्च हुआ है.

वन परिक्षेत्राधिकारी ने कुमकी हाथियों के उपयोग में एक महत्वपूर्ण बात बताई की कुमकी हाथी की मदद से सिर्फ एक या दो ही जंगली हाथियों पर काबू पाया जा सकता है, जंगली हाथी अगर दल में होते हैं तो उसे कुमकी से नियंत्रण करना काफी मुश्किल होता है. उन्होंने कहा की अगर जंगली हाथी दल में हैं और अकेला कुमकी महावत के साथ उन्हें नियंत्रण करने जाता है, तो न सिर्फ कुमकी की जान को खतरा है बल्कि महावत की भी जान जा सकती है. तीर्थराज कुमकी हाथी के बारे में उन्होंने बताया कि उसकी मदद से जंगली हाथी को गांव के बाहर खदेड़ने में काफी मदद मिली, जिसके बाद जंगली हाथी में कॉलर आईडी लगाकर उस पर निगरानी रखी जा रही हैं.

wild elephants are not being controlled by kumki elephants in balrampur
जंगली हाथियों को नियंत्रण करने मंगाए गए कुमकी हाथी

रेंजर ने कहा की तीर्थराज, राजलक्ष्मी और गंगा नाम की तीनों कुमकी हाथियों से अब दो साल बाद ही काम लिया जा सकता है.

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