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fear of elephants in balrampur: बलरामपुर में हाथियों के डर से ग्रामीणों ने छोड़ा घर, नहीं मिल रही मूलभूत सुविधाएं - Latest Balrampur news

fear of elephants in Balrampur: बलरामपुर में हाथियों के उत्पात से परेशान ग्रामीणों ने घर छोड़ छात्रावास में रहना शुरू तो कर दिया लेकिन वहां भी वो मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं.

Villagers left home due to fear of elephants in Balrampur
हाथियों ने किया बेघर
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Published : Jan 7, 2022, 10:36 PM IST

बलरामपुर: छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती क्षेत्र रामानुजगंज में झारखंड से आए हुए 12 हाथियों का दल पिछले 10 दिनों से जमकर उत्पात मचा रहा है. हाथियों के डर से इलाके में दहशत का माहौल है. ग्रामीणों को छात्रावास और पंचायत भवन में शिफ्ट कराया गया है. हालांकि इस कड़ाके कि ठंड में ग्रामीणों (Villagers) के रहने के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए. जिसके कारण ग्रामीण अब यहां छात्रावास में न आकर अपने घरों में ही रहने लगे. ग्रामीणों को अपने मवेशियों की चिंता है. ग्रामीणों को डर है कि कहीं रात में घर से दूर रहने पर उनके गाय, भैंस, बकरी एवं मुर्गियां कहीं चोरी न हो जाए.

बलरामपुर में हाथियों के डर से ग्रामीणों ने छोड़ा घर

बलरामपुर में हाथियों का उत्पात

रात के समय छात्रावास में रहने आए हुए ग्रामीणों ने बताया कि कड़ाके कि ठंड से छात्रावास में बचने को ग्रामीणों के लिए कंबल की व्यवस्था सीमित मात्रा में की गई है. ग्रामीण अपने-अपने घरों से रात में कंबल ओढ़ने के लिए लेकर आते हैं और छात्रावास में रात गुजारते हैं. ग्रामीण यहां जमीन पर ही बिस्तर लगाकर सोते हैं. छात्रावास में ग्रामीणों के लिए कंबल की पर्याप्त व्यवस्था न होने से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. सुबह होते ही ग्रामीण अपने दैनिक कार्य के लिए चले जाते हैं. यहां के ज्यादातर ग्रामीण मजदूरी कार्य के लिए आते हैं.

यह भी पढ़ेंः बलरामपुर में गजराज के डर से मुख्य मार्ग बंद, आम लोगों की आवाजाही पर रोक

छात्रावास में नहीं है उचित व्यवस्था

वनविभाग और पंचायत की ओर से ग्रामीणों के भोजन के लिए राशन की व्यवस्था तो कर दी गई है, लेकिन यहां भोजन बनाने के लिए कोई बावर्ची उपलब्ध नहीं कराया गया. ग्रामीणों को खुद भोजन बनाने को कहा गया है. फिलहाल यहां रात में रूकने वाले ग्रामीणों के लिए भोजन बनाने वाला कोई नहीं है.

हाथियों के दल ने 8 घरों को तोड़ा

हाथियों के दल ने 31 दिसंबर की रात में अचा ग्राम लुरगी में हमला करके एक के बाद एक लगातार 7 घरों को तोड़कर पूरी से क्षतिग्रस्त कर दिया. उस दौरान घरों में मौजूद लोगों ने किसी तरह अपनी जान बचाई. हाथियों के दल ने घरों में रखे हुए अनाज को भी चट कर दिया. ग्रामीणों में दहशत का माहौल है. हाथियों ने जिन ग्रामीणों के घरों को नुकसान पहुंचाया. वो सब काफी गरीब हैं. वनविभाग की ओर से अब तक इन ग्रामीणों को मुआवजे के रूप में क्षतिपूर्ति के लिए धनराशि नहीं मिला है. 3 जनवरी की रात में ग्राम पंचायत कनकपुर में हाथियों के दल ने धावा बोलकर 1 घर को क्षतिग्रस्त कर दिया. साथ ही सरसों, लहसुन सहित अन्य फसलों को भी बर्बाद कर दिया.

हाथियों ने 1 ग्रामीण को कुचलकर मार डाला

हाथियों के दल ने ग्राम पंचायत भीतरचुरा में पंडो जनजाति के ग्रामीण की कुचलकर बेरहमी से हत्या कर दी. 28 दिसंबर की शाम को मृतक देवशरन पंडो अपनी गाय को बांधने बथान की तरफ गया था. तभी वहां अचानक से दो हाथी आ पहुंचे और युवक को घेरकर कुचल दिया. जिससे मौके पर ही युवक देवशरन पंडो की दर्दनाक मौत हो गई. घटना के बाद आनन-फानन में वनविभाग ने ग्रामीणों को गांव के ही पंचायत भवन में शिफ्ट कराया था. लेकिन वहां भी ग्रामीणों को असुविधाओं का सामना करना पड़ा. कलेक्टर के निर्देश पर सप्ताह भर के बाद प्रशासनिक अमला गांव में पहुंचा था.

नुकसान और मुआवजे को लेकर ग्रामीण चिंतित

हाथियों के दल ने ग्राम लुरगी और कनकपुर में 8 घरों को नुकसान पहुंचाया है. साथ ही खेत में लगी हुई सरसों, लहसुन और अन्य फसलों को भी रौंद कर बर्बाद कर दिया. वनविभाग कि टीम ने गांव पहुंचकर नुकसान का आंकलन किया और जल्द मुआवजा राशि वितरण करने की बात कही. लेकिन अब तक इन ग्रामीणों के मुआवजा राशि का भुगतान नहीं किया गया है, जिसको लेकर ग्रामीण चिंतित हैं.

हाथियों के दल की लगातार की जा रही निगरानी

रामानुजगंज फॉरेस्ट रेंज में वन विभाग की टीम हाथियों की लगातार निगरानी कर रही है, ताकि वे आक्रामक ना हो और क्षेत्र में किसी प्रकार का कोई नुकसान ना करे. हालांकि वनविभाग के अनुसार अभी हाथियों का दल कनहर नदी को पार करके झारखंड की सीमा में वापस चला गया है. लेकिन यह दल कभी भी इस क्षेत्र में वापस आ सकता है.

बलरामपुर: छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती क्षेत्र रामानुजगंज में झारखंड से आए हुए 12 हाथियों का दल पिछले 10 दिनों से जमकर उत्पात मचा रहा है. हाथियों के डर से इलाके में दहशत का माहौल है. ग्रामीणों को छात्रावास और पंचायत भवन में शिफ्ट कराया गया है. हालांकि इस कड़ाके कि ठंड में ग्रामीणों (Villagers) के रहने के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए. जिसके कारण ग्रामीण अब यहां छात्रावास में न आकर अपने घरों में ही रहने लगे. ग्रामीणों को अपने मवेशियों की चिंता है. ग्रामीणों को डर है कि कहीं रात में घर से दूर रहने पर उनके गाय, भैंस, बकरी एवं मुर्गियां कहीं चोरी न हो जाए.

बलरामपुर में हाथियों के डर से ग्रामीणों ने छोड़ा घर

बलरामपुर में हाथियों का उत्पात

रात के समय छात्रावास में रहने आए हुए ग्रामीणों ने बताया कि कड़ाके कि ठंड से छात्रावास में बचने को ग्रामीणों के लिए कंबल की व्यवस्था सीमित मात्रा में की गई है. ग्रामीण अपने-अपने घरों से रात में कंबल ओढ़ने के लिए लेकर आते हैं और छात्रावास में रात गुजारते हैं. ग्रामीण यहां जमीन पर ही बिस्तर लगाकर सोते हैं. छात्रावास में ग्रामीणों के लिए कंबल की पर्याप्त व्यवस्था न होने से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. सुबह होते ही ग्रामीण अपने दैनिक कार्य के लिए चले जाते हैं. यहां के ज्यादातर ग्रामीण मजदूरी कार्य के लिए आते हैं.

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छात्रावास में नहीं है उचित व्यवस्था

वनविभाग और पंचायत की ओर से ग्रामीणों के भोजन के लिए राशन की व्यवस्था तो कर दी गई है, लेकिन यहां भोजन बनाने के लिए कोई बावर्ची उपलब्ध नहीं कराया गया. ग्रामीणों को खुद भोजन बनाने को कहा गया है. फिलहाल यहां रात में रूकने वाले ग्रामीणों के लिए भोजन बनाने वाला कोई नहीं है.

हाथियों के दल ने 8 घरों को तोड़ा

हाथियों के दल ने 31 दिसंबर की रात में अचा ग्राम लुरगी में हमला करके एक के बाद एक लगातार 7 घरों को तोड़कर पूरी से क्षतिग्रस्त कर दिया. उस दौरान घरों में मौजूद लोगों ने किसी तरह अपनी जान बचाई. हाथियों के दल ने घरों में रखे हुए अनाज को भी चट कर दिया. ग्रामीणों में दहशत का माहौल है. हाथियों ने जिन ग्रामीणों के घरों को नुकसान पहुंचाया. वो सब काफी गरीब हैं. वनविभाग की ओर से अब तक इन ग्रामीणों को मुआवजे के रूप में क्षतिपूर्ति के लिए धनराशि नहीं मिला है. 3 जनवरी की रात में ग्राम पंचायत कनकपुर में हाथियों के दल ने धावा बोलकर 1 घर को क्षतिग्रस्त कर दिया. साथ ही सरसों, लहसुन सहित अन्य फसलों को भी बर्बाद कर दिया.

हाथियों ने 1 ग्रामीण को कुचलकर मार डाला

हाथियों के दल ने ग्राम पंचायत भीतरचुरा में पंडो जनजाति के ग्रामीण की कुचलकर बेरहमी से हत्या कर दी. 28 दिसंबर की शाम को मृतक देवशरन पंडो अपनी गाय को बांधने बथान की तरफ गया था. तभी वहां अचानक से दो हाथी आ पहुंचे और युवक को घेरकर कुचल दिया. जिससे मौके पर ही युवक देवशरन पंडो की दर्दनाक मौत हो गई. घटना के बाद आनन-फानन में वनविभाग ने ग्रामीणों को गांव के ही पंचायत भवन में शिफ्ट कराया था. लेकिन वहां भी ग्रामीणों को असुविधाओं का सामना करना पड़ा. कलेक्टर के निर्देश पर सप्ताह भर के बाद प्रशासनिक अमला गांव में पहुंचा था.

नुकसान और मुआवजे को लेकर ग्रामीण चिंतित

हाथियों के दल ने ग्राम लुरगी और कनकपुर में 8 घरों को नुकसान पहुंचाया है. साथ ही खेत में लगी हुई सरसों, लहसुन और अन्य फसलों को भी रौंद कर बर्बाद कर दिया. वनविभाग कि टीम ने गांव पहुंचकर नुकसान का आंकलन किया और जल्द मुआवजा राशि वितरण करने की बात कही. लेकिन अब तक इन ग्रामीणों के मुआवजा राशि का भुगतान नहीं किया गया है, जिसको लेकर ग्रामीण चिंतित हैं.

हाथियों के दल की लगातार की जा रही निगरानी

रामानुजगंज फॉरेस्ट रेंज में वन विभाग की टीम हाथियों की लगातार निगरानी कर रही है, ताकि वे आक्रामक ना हो और क्षेत्र में किसी प्रकार का कोई नुकसान ना करे. हालांकि वनविभाग के अनुसार अभी हाथियों का दल कनहर नदी को पार करके झारखंड की सीमा में वापस चला गया है. लेकिन यह दल कभी भी इस क्षेत्र में वापस आ सकता है.

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