बलरामपुर: राजपुर वन परिक्षेत्र के ग्राम पंचायत करवा और गोपालपुर क्षेत्र में हाथी ने दस्तक दी थी. रिहायशी इलाकों में हाथी की मौजूदगी से आसपास के लोग दहशत में थे. ग्रामीणों ने इसकी सूचना वन विभाग को दी. मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम की मदद से ग्रामीणों ने हाथी को गांव से बाहर खदेड़ने में सफलता हासिल की है.
वन विभाग के मुताबिक, हाथी अपने दल से बिछड़कर भोजन-पानी की तलाश में गांव पहुंच गया था. ग्रामीणों की मदद से शोर मचाकर और पटाखे जलाकर हाथी को गांव से बाहर खदेड़ा गया है. आबादी बढ़ने की वजह से भी जंगलों में अतिक्रमण बढ़ने लगा है. जंगल की पूरी संरचना प्रभावित हो रही है. जंगलों में बांस और फलदार वृक्ष भी कम हो रहे हैं. अपने निवास स्थान की कमी और पेट भरने के लिए हाथी इन्सानी बस्तियों का रुख कर रहे हैं. सिमटते जंगल से हाथी और मनुष्य के बीच द्वंद्व की स्थिति बनी हुई है.
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अतिक्रमण के कारण हाथी रहवासी इलाकों में कर रहे प्रवेश
इंसानों से हाथियों को दूर रखने के लिए सोलर फेंसिंग, सोलर बजूका, मधुमक्खी पालन, मिर्च के पेड़ और सायरन जैसे प्रयोगों में लगभग पौने दो करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं. ग्रामीणों और हाथियों के बीच ये जंग पिछले एक दशक से जारी है. इसमें इंसान ही नहीं हाथियों को भी बराबर नुकसान पहुंचा है. जहां वनों की कटाई से हाथियों का क्षेत्र सीमित हो गया है और वे भोजन की तलाश में रहवासी इलाकों में प्रवेश करने लगे हैं. हाथियों से निपटने के लिए और उन्हें बगैर नुकसान पहुंचाए संरक्षण देने के क्षेत्र में वन विभाग कई उपाय कर रहा है. बावजूद इसके नतीजा शून्य ही नजर आ रहा है.
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पिछले कुछ वर्षों के आंकड़ों पर एक नजर-
- अगस्त 2017-18 से नवंबर 2020 तक 48 लोगों की हाथी के हमले से जान जा चुकी है.
- वन विभाग अब तक 2 करोड़ 18 लाख रुपये का मुआवजा वितरित कर चुका है.
- 2017-18 से नवंबर 2020 तक हाथियों के फसल नष्ट किए जाने के 25 हजार 874 प्रकरण दर्ज किए गए हैं.
- वन विभाग अब तक 9 करोड़ 46 लाख 13 हजार 800 रुपये का मुआवजा वितरित कर चुका है.
- 2017-18 से नवंबर 2020 तक हाथियों ने 1 हजार 424 मकानों को क्षतिग्रस्त किया है.
- वन विभाग ने 16 लाख 30 हजार का मुआवजा पीड़ितों को दिया है.
- 2017-18 से नवंबर 2020 तक हाथियों से पशुओं को पहुंचने वाले नुकसान के 39 केस दर्ज किए गए हैं.
- इसके लिए 5 लाख 25 हजार का मुआवजा दिया जा चुका है.