सरगुजा/बलरामपुर: जिले में स्कूल बस में क्षमता से ज्यादा बच्चे भरकर ले जाने का मामला सामने आया. जिस पर अभिभावकों ने कड़ी आपत्ति जताते हुए बस का रास्ता रोक लिया. काफी देर तक स्कूल प्रबंधन और अभिभावकों की बैठक हुई. जिसमें दो शिफ्ट में स्कूल चलाने पर सहमति बनी. तब जाकर मामला शांत हुआ.
बलरामपुर में स्कूल बस में क्षमता से ज्यादा बच्चे (Children exceeding capacity in school bus in balrampur)
शनिवार को नगर में संचालित सेंट जेवियर्स स्कूल के बस में अचानक शार्ट सर्किट की वजह से आग लग गई थी. गनीमत रही कि बच्चों ने साहस का परिचय दिया और बस के पीछे के कांच को तोड़कर बाहर निकल गए. इस दौरान ये बात सामने आई कि 52 सीटर बस में 120 से अधिक बच्चों को भेड़ बकरियों की तरह भरकर ले जाया जा रहा था. इस घटना के बाद पुलिस ने बस को जब्त कर लिया था. लेकिन सोमवार को फिर स्कूल प्रबंधन की लापरवाही सामने आई. पिछली घटना से सबक लेने के बजाए स्कूल प्रबंधन ने दोबारा बच्चों की जान से खिलवाड़ करते हुए स्कूल बस में क्षमता से ज्यादा बच्चों को भरकर स्कूल ले जाया जा रहा था.
आक्रोशित परिजनों ने रोक दी स्कूल बस
बरियों क्षेत्र से बच्चों को लेकर जैसे ही बस नगर में पहुंची तो कुछ अभिभावक भी अपने बच्चों को बस तक छोड़ने पहुंचे थे. जैसे ही उनकी नजर बस क्षमता से अधिक बच्चों पर पड़ी तो वे आक्रोशित हो गए. उन्होंने बच्चों को बस से उतार दिया और स्कूल प्रबंधन की लापरवाही की जानकारी संसदीय सचिव चिंतामणी महाराज को दी. जिसके बाद एसडीएम चेतन साहू, तहसीलदार, थाना प्रभारी व अन्य प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और परिजन को समझाने की कोशिश की. लेकिन परिजन स्कूल प्रबंधन पर कार्रवाई की मांग को लेकर अड़े हुए थे. प्रशासन द्वारा बच्चों को दो अलग-अलग स्कूल बसों में स्कूल भेजा गया. इसके साथ ही अभिभावकों को प्रबंधन के साथ बैठक कराने का आश्वासन दिया.
एसडीएम चेतन साहू, तहसीलदार सुरेश राय व थाना प्रभारी अखिलेश सिंह ने स्कूल के प्राचार्य एस तिग्गा व अभिभावकों की बैठक सर्किट हॉउस में आयोजित कराई. बताया जा रहा है कि सेंट जेवियर्स स्कूल में पस्ता, राजपुर, शंकरगढ़, बरियों सहित दूरस्थ क्षेत्रों के लगभग 1300 बच्चे पढ़ने आते है. लेकिन स्कूल प्रबंधन के पास महज 10 स्कूल बसें ही है. हालांकि प्राचार्य का कहना था कि सिर्फ 650 बच्चे ही बसों से स्कूल आते है. बाकी बच्चे अपने साधनों से स्कूल पहुंचते है. लेकिन परिजनों ने इस बात पर असहमति जताई।. क्षमता के अनुसार स्कूल बसों की व्यवस्था नहीं होने पर वैकल्पिक रूप से दो पालियों में स्कूल के संचालन का निर्णय लिया गया. जिसपर अभिभावकों ने सहमति जताई.