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हार्ट अटैक से हुई थी युवक की मौत, आंखें दान कर फिर किसी की जिंदगी रोशन कर रहे परिजन

सरगुजा में एक युवक ने अपनी मौत के साथ किसी दूसरे को नई जिंदगी देने का काम किया है. युवक की हार्ट अटैक से मौत हुई तो उसके परिजन ने उसके आंखों को दान करने का निर्णय लिया. जिसके बाद मेडिकल कॉलेज की टीम ने मृत युवक के आई बॉल को निकालकर सिम्स भेज दिया है.

नेत्रदान
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Published : Feb 14, 2022, 10:36 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा: एक युवक ने अपनी मौत के साथ किसी दूसरे को नई जिंदगी देने का काम किया है. युवक की हार्ट अटैक से मौत हुई तो उसके परिजन ने उसके आंखों को दान करने का निर्णय लिया. जिसके बाद मेडिकल कॉलेज की टीम ने मृत युवक के आई बॉल को निकालकर सिम्स भेज दिया है. अब इस युवक के आंखों से भविष्य में कोनिया जनित अंधत्व से जूझ रहे मरीज को ना सिर्फ आंखों की रौशनी मिलेगी बल्कि उसे एक नया जीवन भी मिल जाएगा.

यह भी पढ़ें: मिलिये छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के पहले वकील सुदीप से, जिन्होंने ह्यूमन ट्रैफिकिंग में की है पीएचडी

जानें क्या है पूरा मामला
दरअसल, झारसुगड़ा निवासी 32 वर्षीय कुशल केडिया आ. स्व. मुरलीधर केडिया महामाया रोड निवासी चचेरे भाई कमल अग्रवाल के घर रहने के लिए आया था. इस दौरान आज दोपहर अचानक तबीयत खराब होने पर उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां हार्ट अटैक से उसकी मौत हो गई. युवक की अचानक हुई इस मौत के बाद जब पूरा परिवार सदमें में था तो मृतक के भाई ने कुशल के नेत्रों को दान करने का निर्णय लिया और घर के बाकी सदस्यों को इसके लिए राजी किया.

परिजन की रजामंदी के बाद भाई कमल अग्रवाल ने मेडिकल कॉलेज अस्पताल के चिकित्सक डॉ. आरएस मरकाम को इसकी जानकारी दी. परिवार रजामंदी के बाद मृत युवक की आंख दान करने का निर्णय लिया है. परिजन की ओर से सहमति मिलने के बाद नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. रजत टोप्पो, नेत्र सहायक रमेश धृतकर और डॉ. हेंस की टीम ने मृतक के घर जाकर उसके आई बॉल को सुरक्षित तरीके से ऑपरेट करने के बाद मृतक के परिजन को दिया. मृतक के भाई ने निकाली गई आंखों को चिकित्सकों के सुपुर्द किया कर दिया.

फिलहाल नेत्र विभाग द्वारा आंख को बिलासपुर सिम्स भेजा गया है और दो से तीन दिनों के भीतर इसे किसी दूसरे जरूरतमंद व्यक्ति को लगा दिया जाएगा. इसमें बड़ी बात यह है कि भले ही कुशल केडिया ने कम समय में इस दुनिया को अलविदा कह दिया, लेकिन उसकी दी गई आंखों की बदौलत अब किसी दूसरे व्यक्ति को जीवन जीने के लिए नई रौशनी मिल जाएगी. बड़ी बात यह है कि अपने भाई के नेत्र दान कराकर कमल अग्रवाल ने ना सिर्फ मिशाल पेश की है, बल्कि उन्होंने भी अपनी मौत के बाद नेत्रदान करने का निर्णय लिया है.


नेत्रदान को माना महादान
इस संबंध में नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. टोप्पो ने कहा कि नेत्रदान को महादान माना गया है. हम लगातार इसे लेकर जनजागरूकता अभियान चलाते है. आज एक युवक की मौत के बाद परिजन ने नेत्र दान का निर्णय लिया. जिसके बाद हमने समय पर ऑपरेट कर नेत्र को सिम्स भेज दिया है. दान किए गए नेत्र से कोनिया जनित अंधत्व से जूझ रहे व्यक्ति को रौशनी मिल जाएगी. अब लोगों में नेत्रदान के प्रति जागरूकता आ रही है.

सरगुजा: एक युवक ने अपनी मौत के साथ किसी दूसरे को नई जिंदगी देने का काम किया है. युवक की हार्ट अटैक से मौत हुई तो उसके परिजन ने उसके आंखों को दान करने का निर्णय लिया. जिसके बाद मेडिकल कॉलेज की टीम ने मृत युवक के आई बॉल को निकालकर सिम्स भेज दिया है. अब इस युवक के आंखों से भविष्य में कोनिया जनित अंधत्व से जूझ रहे मरीज को ना सिर्फ आंखों की रौशनी मिलेगी बल्कि उसे एक नया जीवन भी मिल जाएगा.

यह भी पढ़ें: मिलिये छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के पहले वकील सुदीप से, जिन्होंने ह्यूमन ट्रैफिकिंग में की है पीएचडी

जानें क्या है पूरा मामला
दरअसल, झारसुगड़ा निवासी 32 वर्षीय कुशल केडिया आ. स्व. मुरलीधर केडिया महामाया रोड निवासी चचेरे भाई कमल अग्रवाल के घर रहने के लिए आया था. इस दौरान आज दोपहर अचानक तबीयत खराब होने पर उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां हार्ट अटैक से उसकी मौत हो गई. युवक की अचानक हुई इस मौत के बाद जब पूरा परिवार सदमें में था तो मृतक के भाई ने कुशल के नेत्रों को दान करने का निर्णय लिया और घर के बाकी सदस्यों को इसके लिए राजी किया.

परिजन की रजामंदी के बाद भाई कमल अग्रवाल ने मेडिकल कॉलेज अस्पताल के चिकित्सक डॉ. आरएस मरकाम को इसकी जानकारी दी. परिवार रजामंदी के बाद मृत युवक की आंख दान करने का निर्णय लिया है. परिजन की ओर से सहमति मिलने के बाद नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. रजत टोप्पो, नेत्र सहायक रमेश धृतकर और डॉ. हेंस की टीम ने मृतक के घर जाकर उसके आई बॉल को सुरक्षित तरीके से ऑपरेट करने के बाद मृतक के परिजन को दिया. मृतक के भाई ने निकाली गई आंखों को चिकित्सकों के सुपुर्द किया कर दिया.

फिलहाल नेत्र विभाग द्वारा आंख को बिलासपुर सिम्स भेजा गया है और दो से तीन दिनों के भीतर इसे किसी दूसरे जरूरतमंद व्यक्ति को लगा दिया जाएगा. इसमें बड़ी बात यह है कि भले ही कुशल केडिया ने कम समय में इस दुनिया को अलविदा कह दिया, लेकिन उसकी दी गई आंखों की बदौलत अब किसी दूसरे व्यक्ति को जीवन जीने के लिए नई रौशनी मिल जाएगी. बड़ी बात यह है कि अपने भाई के नेत्र दान कराकर कमल अग्रवाल ने ना सिर्फ मिशाल पेश की है, बल्कि उन्होंने भी अपनी मौत के बाद नेत्रदान करने का निर्णय लिया है.


नेत्रदान को माना महादान
इस संबंध में नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. टोप्पो ने कहा कि नेत्रदान को महादान माना गया है. हम लगातार इसे लेकर जनजागरूकता अभियान चलाते है. आज एक युवक की मौत के बाद परिजन ने नेत्र दान का निर्णय लिया. जिसके बाद हमने समय पर ऑपरेट कर नेत्र को सिम्स भेज दिया है. दान किए गए नेत्र से कोनिया जनित अंधत्व से जूझ रहे व्यक्ति को रौशनी मिल जाएगी. अब लोगों में नेत्रदान के प्रति जागरूकता आ रही है.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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