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किसी का गम मिल सके तो ले उधार: हफ्ते में 3 दिन गरीबों को खाना खिलाती हैं ये महिलाएं

अंबिकापुर की कुछ महिलाएं हफ्ते में 3 दिन गरीबों और जरूरतमंदों को खाना खिलाती हैं.

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Published : Jul 13, 2019, 11:04 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

सरगुजा: एक तरफ जहां लोग अपने अलावा किसी और के बारे में नहीं सोचते, जब मदद के लिए उठने वाले हाथ कम हो गए हों, अंबिकापुर में महिलाओं की टोली उम्मीद की तरह लगती है. ऐसे में जब अपने ही परिवार के लोग साथ छोड़ रहे हों तो इन महिलाओं ने अनजानों का पेट भरने की कोशिश की है. जरूरतमंद इसके लिए इन महिलाओं को खूब दुआएं देते हैं.

हफ्ते में 3 दिन गरीबों को खाना खिलाती हैं ये महिलाएं

अंबिकापुर की कुछ महिलाएं हफ्ते में 3 दिन गरीबों और जरूरतमंदों को खाना खिलाती हैं. 20-25 महिलाओं की ये टोली अपने घर में कुछ न कुछ बनाती है और जहां जरूरतमंद रहते हैं वहां बांट आती है. ये महिलाएं बकायदा खाना परोसती हैं और ये नेका काम पिछले 3 साल से कर रही हैं. सप्ताह के 3 दिन सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को ही यह भोजन सेवा दी जाती है.

महिलाएं कहती हैं कि वे ये काम हफ्ते के 7 दिन करना चाहती हैं लेकिन इसके लिए उन्हें समाज के और लोगों के भी साथ की जरूरत है, जिससे उन्हें आर्थिक मदद भी मिल सके. हफ्ते में 3 दिन ही सही लेकिन कम से कम इन महिलाओं के अंदर इतनी मानवीयता तो है कि ये अपना समय और धन खर्च कर गरीब लोगों का पेट भर रही हैं.

सरगुजा: एक तरफ जहां लोग अपने अलावा किसी और के बारे में नहीं सोचते, जब मदद के लिए उठने वाले हाथ कम हो गए हों, अंबिकापुर में महिलाओं की टोली उम्मीद की तरह लगती है. ऐसे में जब अपने ही परिवार के लोग साथ छोड़ रहे हों तो इन महिलाओं ने अनजानों का पेट भरने की कोशिश की है. जरूरतमंद इसके लिए इन महिलाओं को खूब दुआएं देते हैं.

हफ्ते में 3 दिन गरीबों को खाना खिलाती हैं ये महिलाएं

अंबिकापुर की कुछ महिलाएं हफ्ते में 3 दिन गरीबों और जरूरतमंदों को खाना खिलाती हैं. 20-25 महिलाओं की ये टोली अपने घर में कुछ न कुछ बनाती है और जहां जरूरतमंद रहते हैं वहां बांट आती है. ये महिलाएं बकायदा खाना परोसती हैं और ये नेका काम पिछले 3 साल से कर रही हैं. सप्ताह के 3 दिन सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को ही यह भोजन सेवा दी जाती है.

महिलाएं कहती हैं कि वे ये काम हफ्ते के 7 दिन करना चाहती हैं लेकिन इसके लिए उन्हें समाज के और लोगों के भी साथ की जरूरत है, जिससे उन्हें आर्थिक मदद भी मिल सके. हफ्ते में 3 दिन ही सही लेकिन कम से कम इन महिलाओं के अंदर इतनी मानवीयता तो है कि ये अपना समय और धन खर्च कर गरीब लोगों का पेट भर रही हैं.

Intro:सरगुज़ा : मानवतावादी समाज की परिकल्पना कैसी होगी इस सवाल के जवाब में अम्बिकापुर में महिलाओं का एक समूह इसके समानार्थी दिखता है, आज के समय मे लोगों को अपने परिवार की सुध लेने की फुरसत नही है और इन महिलाओं ने भूखे लोगो के पेट भरने का बीड़ा उठा रखा है.. और इस नेक काम के लिये गरीब लोग इन्हें खूब दुवाएँ देते हैं..


Body:दरअसल अम्बिकापुर की कुछ महिलाओं के द्वारा सप्ताह में 3 दिन गरीबो को मुफ्त में भर पेट भोजन कराया जाता है, 20-25 महिलाओं के समूह में सभी अपने अपने घर से खाने की एक दो वस्तुएं बना कर ले आती हैं, और अम्बिकापुर के कंपनी बाजार के झाले में जहाँ गरीबो के रात गुजारने का अड्डा सा बना हुआ है वहीं भोजन लाकर, इन लोगो को भरपेट भोजन बाकायदा परोस कर खिलाया जाता है, भोजन सेवा का यह काम पिछले 3 साल से चल रहा है, लेकिन सप्ताह के 3 दिन सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को ही यह भोजन सेवा दी जाती है, लेकिन इनकी मंशा इसे अनवरत सप्ताह के 7 दिन तक जारी रखने की है ताकि इन गरीब लोगों को रोज सेहतमंद ख़ाना मिल सके, और इसके लिए समाज के और लोगो के जुड़ने की जरूरत है, जिससे सप्ताह भर मुफ्त भोजन देने में आर्थिक संकट आड़े ना आये।


Conclusion:बहरहाल सप्ताह में 3 दिन ही सही लेकिन कम से कम इन महिलाओं के अंदर इतनी मानवीयता तो है की ये अपना समय और धन खर्च कर गरीब लोगों का पेट भर रही हैं, वरना कहाँ किसे इतनी फुर्सत है की कोई किसी की तकलीफ को देख भी सके, फिलहाल भोजन सेवा का यह काम जारी है और जारी रहेगा, लेकिन अगर इस समूह में कुछ और लोग जुड़ते हैं तो इस भोजन सेवा को सप्ताह के सातों दिन किया जा सकता है।

बाईट01_कमल साय गोस्वामी (बेघर गरीब)

बाईट02_वंदना दत्ता (समाज सेवी महिला)

देश दीपक सरगुज़ा
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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