सरगुजा : विशेष संरक्षित जनजाति (पंडो जाति) के लोगों के संरक्षण के लिए केंद्र से लेकर राज्य सरकारें तक संजीदा रहती हैं. तमाम योजनाएं भी इनके लिए संचालित हैं. हर शासकीय सेवा में इनके लिए विशेष प्रावधान किये गये हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग (health Department) के कर्मचारी सरकार की मंशा के विपरीत कार्य कर रहा है. इन्हें इनलोगों की जरा भी परवाह नहीं. बलरामपुर जिले में प्रसव पीड़ा (pain during pregnancy) से तड़पती हुई पंडो महिला को पैदल ही स्वास्थ्य केंद्र तक आना पड़ा. इसका नतीजा यह हुआ कि बीच रास्ते में ही उसका प्रसव हो गया. प्रसव के बाद जब महिला बच्चे को लेकर अस्पताल पहुंची तो वहां मौजूद स्वास्थ्यकर्मी ने बच्चे की नाभि नाल काटने से मना कर दिया और स्वास्थ्य केंद्र में ताला लगाकर चली गई. घंटों अस्पताल के दरवाजे पर बैठने के बाद मजबूरन परिजन प्रसूता व नवजात को लेकर घर चले गए.
मामला उजागर हुआ तो हो रही जच्चा-बच्चा की निगरानी
मामला उजागर होने के बाद स्वास्थ्य विभाग की ओर से जच्चा-बच्चा को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है. दोनों की निगरानी की जा रही है. वहीं इस मामले में अब सीएमएचओ ने 24 घंटे के अंदर जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश बीएमओ को दिये हैं. बताया जा रहा है कि रामचंद्रपुर विकासखंड के ग्राम महादेवपुर निवासी महिला मानकुंवर पंडों पति इंद्रजीत पंडों को प्रसव पीड़ा होने पर परिजन उसे पैदल ही लेकर उप स्वास्थ्य केंद्र के लिए निकल गए, लेकिन बीच रास्ते में ही महिला का प्रसव हो गया. प्रसव होने पर परिजन महिला व बच्चे को लेकर नाभी नाल कटवाने के लिए उप स्वास्थ्य केंद्र महादेवपुर पहुंचे थे.
परिजनों का आरोप है कि वहां मौजूद महिला स्वास्थ्य कर्मी अनीता ने बच्चे का नाल काटने से मना कर दिया और उन्हें धमकी देते हुए अस्पताल में ताला लगाकर घर चली गई. स्वास्थ्य कर्मी ने महिला से कहा कि यदि उसने अभी नाल काटा तो उसे फिर से नहाना पड़ेगा. इस घटना के बाद घंटों अस्पताल के बाहर बैठी प्रसूता पंडों महिला वापस बच्चे के साथ बिना नाल कटवाए वापस लौट गयी. इस बात की जानकारी जब समाज के प्रदेश अध्यक्ष उदय पंडो को हुई तो उसने नर्स के बर्ताव की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को दी. जिसके बाद सीएमएचओ डॉ. बसंत सिंह के निर्देश पर महिला को सीएचसी रामानुजगंज में भर्ती कराया गया और बच्चे का नाल काटा गया.
प्रदेश में गरमाया हुआ है कुपोषण से बलरामपुर में मौत का मुद्दा
बड़ी बात यह है कि इन दिनों पंडों जनजाति के लोगों की खून की कमी और कुपोषण से बलरामपुर जिले में लगातार हो रही मौतों का मुद्दा गरमाया हुआ है. एक तरफ विपक्ष इस मामले में सरकार पर हमलावर है तो वहीं सरकार भी इस मामले की जांच कराने के साथ ही संरक्षित जनजाति को सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने का दावा कर रही है. गुरुवार रात भी स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी पंडों जनजाति के गांव में डटे हुए थे. इसके बाद भी यह घटना होना सवालों को जन्म देता है. इधर, मामले में पंडो समाज के प्रदेश अध्यक्ष उदय पंडों ने मामले में दोषी स्वास्थ्यकर्मियों पर कार्रवाई की मांग की है.
इधर, सीएमएचओ डॉ. बसंत सिंह ने बताया कि पंडों जनजाति को लेकर स्वास्थ्य विभाग सजग है. प्रसूता महिला को तत्काल सीएचसी रामानुजगंज में भर्ती कराया गया है और जच्चा बच्चा स्वस्थ है. मामले की जांच की जा रही है. बीएमओ से 24 घंटे में रिपोर्ट देने कहा गया है. दोषियों पर कार्रवाई होगी. महिला का गांव उप स्वास्थ्य केंद्र से एक किमी दूर है और एम्बुलेंस जाने की व्यवस्था नहीं है.