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सरगुजा में हाथियों का उत्पात, मैनपाट में तीन घरों को तोड़कर खा गए अनाज

सरगुजा में हाथियों का उत्पात नहीं थम रहा है. एक बार फिर से हाथियों के दल ने रिहायशी इलाके को अपना निशाना बनाया है. हाथियों के दल ने मैनपाट वन परिक्षेत्र (Mainpat Forest Range) के ग्राम बरडांड़ और उससे लगे बावपहाड़ के रिहायशी इलाके में जमकर उत्पात मचाया है. हाथियों ने तीन मकानों को क्षतिग्रस्त कर दिया. हाथी घर में रखा अनाज भी खा गए. गजराज के उत्पात से ग्रामीण डर के साये में जीने को मजबूर हैं.

terror of elephants in Manpat
मैनपाट में हाथियों का आतंक
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Published : May 27, 2021, 4:01 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा: वन परिक्षेत्र मैनपाट में हाथियों का एक दल पिछले कई दिनों से डेरा जमाया हुआ है. हाथियों का दल बुधवार रात मैनपाट वन परिक्षेत्र के ग्राम बरडांड़ और उससे लगे बावपहाड़ के रिहायशी इलाके में घुस गया. हाथियों ने 3 घरों को तोड़ते हुए घर में रखे अनाज को चट कर गया. गजराज रातभर जमकर उत्पात मचाते हुए रिहायशी इलाके में घूमते रहे. हाथियों के आतंक से ग्रामीणों ने भागकर किसी तरह अपनी जान बचाई. फिलहाल हाथियों के हमले में जनहानि की खबर नहीं है. ग्रामीण के घरों को तोड़ने और अनाज खाने के नुकसान का मैनपाट वन विभाग (Mainpat Forest Department) मुआवजा प्रकरण तैयार करने में जुट गया है. वन विभाग ग्रामीणों को मुआवजा देने का आश्वासन दिया है.

मैनपाट में हाथियों का आतंक

ग्रामीणों ने आंगनबाड़ी में ली शरण

इधर, चक्रवाती तूफान यास के प्रभाव के बीच हाथियों के दल द्वारा ग्रामीणों के मकान टूटने के बाद अब ग्रामीणों की चिंता और बढ़ गई है. फिलहाल ग्रामीणों को गांव के आंगनबाड़ी में अस्थायी रूप से रखा गया है. वन विभाग की टीम क्षतिपूर्ति आंकलन के बाद इसका भरपाई करने की बात कह रहे हैं. हालांकि जमीनी स्तर पर वन विभाग का अमला सक्रिय नहीं है. हाथियों के दल ठीक तरीके से अपनी मॉनिटरिंग नहीं कर पा रहा है. यहीं कारण है कि हाथियों के रिहायशी इलाके में आने की खबर ग्रामीणों को समय से पहले नहीं मिल रही है.

सरगुजा : पटकुरा गांव में हाथियों ने मचाया उत्पात, किसानों की फसल बर्बाद

90 के दशक में सरगुजा में आए फिर बन गया स्थायी ठिकाना
मध्य प्रदेश, झारखंड और ओडिशा से जुड़े छत्तीसगढ़ को हाथियों का कॉरीडोर भी कहा जाता है. प्रमाण मिलते हैं कि यह इलाका सदियों से हाथियों के विचरण क्षेत्र का हिस्सा रहा है. स्थानीय लोग बताते हैं कि 90 के दशक में बड़ी तादाद में झारखंड से सरगुजा की सीमा में घुसे थे. इसके बाद आना-जाना बढ़ता गया. फिर ये जंगल उनका स्थायी ठिकाना बन गया. इधर, ओडिशा से भी इनका पलायन रायगढ़, महासमुंद, बलौदा बाजार, गरियाबंद जिले में होता गया.

VIDEO: फिंगेश्वर की गलियों में घूम रहे हाथी

Chhattisgarh Assembly में उठ चुका है हाथियों के आतंक का मुद्दा

सरगुजा संभाग में हाथियों के आतंक का मुद्दा Chhattisgarh Assembly में कई बार उठ चुका है. सरकार ने हाथियों के आतंक पर अंकुश लगाने के लिए कई प्लान तैयार किए. हालांकि सभी प्लान या तो सही से लागू नहीं हो पाया या फाइलों में दब कर रह गया. पिछली बार सरगुजा में हाथी के आतंक का मुद्दा विधायक अंबिका सिंहदेव (MLA Ambika Singhdeo) ने सदन में उठाया था. चर्चा के बाद विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत ने इसे विधानसभा की प्रश्न संदर्भ समिति को भेज दिया था. सिंहदेव ने कहा कि कोरिया में ग्रामीणों को हाथी कुचल रहे हैं. 90 ग्रामीणों का घर तोड़ दिया गया. लेमरू प्रोजेक्ट को हाथी कारिडोर से बाहर कर दिया गया है. इस पर वन मंत्री मोहम्मद अकबर (Forest Minister Mohammad Akbar) ने कहा कि पिछली सरकार ने लेमरू को प्रोजेक्ट से बाहर कर दिया था. फिलहाल वर्तमान में लेमरू एलिफेंट पार्क (Lemru Elephant Park) बनाने का काम जारी है.

सरगुजा में हाथियों का आतंक

मुख्यमंत्री ने लेमरू एलिफेंट पार्क बनाने की थी घोषणा

15 अगस्त 2019 को स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) ने लेमरू एलिफेंट पार्क बनाने की घोषणा की थी. पुलिस परेड ग्राउंड में कार्यक्रम के दौरान सीएम भूपेश बघेल ने कहा था कि- लेमरू दुनिया में अपनी तरह का पहला 'एलीफेंट रिजर्व' होगा. जहां हाथियों का स्थाई ठिकाना होगा. स्थाई ठिकाना बन जाने से उनकी अन्य स्थानों पर आवाजाही और इससे होने वाले नुकसान पर भी अंकुश लगेगा और जैव विविधता के साथ वन्य प्राणी की दिशा में प्रदेश का योगदान दर्ज होगा.

सरगुजा: वन परिक्षेत्र मैनपाट में हाथियों का एक दल पिछले कई दिनों से डेरा जमाया हुआ है. हाथियों का दल बुधवार रात मैनपाट वन परिक्षेत्र के ग्राम बरडांड़ और उससे लगे बावपहाड़ के रिहायशी इलाके में घुस गया. हाथियों ने 3 घरों को तोड़ते हुए घर में रखे अनाज को चट कर गया. गजराज रातभर जमकर उत्पात मचाते हुए रिहायशी इलाके में घूमते रहे. हाथियों के आतंक से ग्रामीणों ने भागकर किसी तरह अपनी जान बचाई. फिलहाल हाथियों के हमले में जनहानि की खबर नहीं है. ग्रामीण के घरों को तोड़ने और अनाज खाने के नुकसान का मैनपाट वन विभाग (Mainpat Forest Department) मुआवजा प्रकरण तैयार करने में जुट गया है. वन विभाग ग्रामीणों को मुआवजा देने का आश्वासन दिया है.

मैनपाट में हाथियों का आतंक

ग्रामीणों ने आंगनबाड़ी में ली शरण

इधर, चक्रवाती तूफान यास के प्रभाव के बीच हाथियों के दल द्वारा ग्रामीणों के मकान टूटने के बाद अब ग्रामीणों की चिंता और बढ़ गई है. फिलहाल ग्रामीणों को गांव के आंगनबाड़ी में अस्थायी रूप से रखा गया है. वन विभाग की टीम क्षतिपूर्ति आंकलन के बाद इसका भरपाई करने की बात कह रहे हैं. हालांकि जमीनी स्तर पर वन विभाग का अमला सक्रिय नहीं है. हाथियों के दल ठीक तरीके से अपनी मॉनिटरिंग नहीं कर पा रहा है. यहीं कारण है कि हाथियों के रिहायशी इलाके में आने की खबर ग्रामीणों को समय से पहले नहीं मिल रही है.

सरगुजा : पटकुरा गांव में हाथियों ने मचाया उत्पात, किसानों की फसल बर्बाद

90 के दशक में सरगुजा में आए फिर बन गया स्थायी ठिकाना
मध्य प्रदेश, झारखंड और ओडिशा से जुड़े छत्तीसगढ़ को हाथियों का कॉरीडोर भी कहा जाता है. प्रमाण मिलते हैं कि यह इलाका सदियों से हाथियों के विचरण क्षेत्र का हिस्सा रहा है. स्थानीय लोग बताते हैं कि 90 के दशक में बड़ी तादाद में झारखंड से सरगुजा की सीमा में घुसे थे. इसके बाद आना-जाना बढ़ता गया. फिर ये जंगल उनका स्थायी ठिकाना बन गया. इधर, ओडिशा से भी इनका पलायन रायगढ़, महासमुंद, बलौदा बाजार, गरियाबंद जिले में होता गया.

VIDEO: फिंगेश्वर की गलियों में घूम रहे हाथी

Chhattisgarh Assembly में उठ चुका है हाथियों के आतंक का मुद्दा

सरगुजा संभाग में हाथियों के आतंक का मुद्दा Chhattisgarh Assembly में कई बार उठ चुका है. सरकार ने हाथियों के आतंक पर अंकुश लगाने के लिए कई प्लान तैयार किए. हालांकि सभी प्लान या तो सही से लागू नहीं हो पाया या फाइलों में दब कर रह गया. पिछली बार सरगुजा में हाथी के आतंक का मुद्दा विधायक अंबिका सिंहदेव (MLA Ambika Singhdeo) ने सदन में उठाया था. चर्चा के बाद विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत ने इसे विधानसभा की प्रश्न संदर्भ समिति को भेज दिया था. सिंहदेव ने कहा कि कोरिया में ग्रामीणों को हाथी कुचल रहे हैं. 90 ग्रामीणों का घर तोड़ दिया गया. लेमरू प्रोजेक्ट को हाथी कारिडोर से बाहर कर दिया गया है. इस पर वन मंत्री मोहम्मद अकबर (Forest Minister Mohammad Akbar) ने कहा कि पिछली सरकार ने लेमरू को प्रोजेक्ट से बाहर कर दिया था. फिलहाल वर्तमान में लेमरू एलिफेंट पार्क (Lemru Elephant Park) बनाने का काम जारी है.

सरगुजा में हाथियों का आतंक

मुख्यमंत्री ने लेमरू एलिफेंट पार्क बनाने की थी घोषणा

15 अगस्त 2019 को स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) ने लेमरू एलिफेंट पार्क बनाने की घोषणा की थी. पुलिस परेड ग्राउंड में कार्यक्रम के दौरान सीएम भूपेश बघेल ने कहा था कि- लेमरू दुनिया में अपनी तरह का पहला 'एलीफेंट रिजर्व' होगा. जहां हाथियों का स्थाई ठिकाना होगा. स्थाई ठिकाना बन जाने से उनकी अन्य स्थानों पर आवाजाही और इससे होने वाले नुकसान पर भी अंकुश लगेगा और जैव विविधता के साथ वन्य प्राणी की दिशा में प्रदेश का योगदान दर्ज होगा.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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