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छत्तीसगढ़ में 15 दिन में रोके गए 14 बाल विवाह - CHILD MARRIAGES

बाल विवाह रोकने भारत में साल 2006 में बाल विवाह निषेध अधिनियम बनाया गया, बावजूद इसके आज भी नाबालिग की शादी कराई जा रही है.

CHILD MARRIAGES CHHATTISGARH
बाल विवाह छत्तीसगढ़ (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Feb 14, 2025, 8:28 AM IST

जांजगीर चांपा: छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिले में पिछले 15 दिन में कुल 14 बाल विवाह रोके गए. जिससे नाबालिग बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो गया. प्रशासन और महिला एवं बाल विकास विभाग की तरफ से जिले में बाल विवाह रोकथाम अभियान लगातार चलाया जा रहा है.

जांजगीर में प्रशासन और महिला एवं बाल विकास विभाग की कार्रवाई: 13 फरवरी 2025 को नवागढ़ विकासखंड के ग्राम अवरीद में एक दिन में 5 बाल विवाह रोके गए. बाल विवाह की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन और महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम तुरंत गांव पहुंची. दूल्हा और दुल्हन की की जन्मतिथि और अंकसूची की जांच की गई. जिसमें उनकी उम्र शादी के लिए निर्धारित आयु से कम मिली. जिसके बाद टीम ने परिजनों और गांव वालों को बाल विवाह के दुष्परिणामों के बारे में बताया. जिसके बाद परिजनों की सहमति से विवाह रोका गया. गवाहों के सामने घोषणा पत्र व राजीनामा पत्र पर हस्ताक्षर कराए गए.

बता दें कि रोकी गई 5 शादियों में 3 विवाह 18, 19 और 21 फरवरी 2025 को प्रस्तावित थे, जबकि दो विवाह दिसंबर 2025 में होने वाले थे. विवाह की तैयारियां शुरू होने से पहले ही प्रशासन की सतर्कता के चलते इन्हें रोक लिया गया. जिससे ना सिर्फ बच्चों का भविष्य सुरक्षित हुआ बल्कि परिवारों को आर्थिक क्षति, सामाजिक अपमान और मानसिक तनाव से बचाया जा सका.

बाल विवाह रोकना क्यों जरूरी: महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी अनिता अग्रवाल ने बताया कि बाल विवाह केवल एक सामाजिक कुप्रथा नहीं, बल्कि बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा और भविष्य के लिए गंभीर खतरा है. छोटी उम्र में विवाह होने से शारीरिक और मानसिक विकास रुक जाता है. लड़कियों में कुपोषण, रक्त की कमी और जटिल प्रसव संबंधी समस्याएं बढ़ जाती हैं. बच्चों की शिक्षा बाधित होती है, जिससे वे आत्मनिर्भर बनने से वंचित रह जाते हैं. घरेलू हिंसा, शोषण और सामाजिक असमानता की संभावना बढ़ जाती है.

अनिता अग्रवाल ने कहीं भी बाल विवाह होने की जानकारी मिलने पर तुरंत विभाग को बताने की अपील आम लोगों से की. उन्होंने कहा कि बाल विवाह रोकना रोकना प्रशासन और समाज दोनों की संयुक्त जिम्मेदारी है. इस कुप्रथा को जड़ से खत्म करने में सहयोग करें और बच्चों को एक उज्ज्वल भविष्य दें.

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जांजगीर में प्रशासन और महिला एवं बाल विकास विभाग की कार्रवाई: 13 फरवरी 2025 को नवागढ़ विकासखंड के ग्राम अवरीद में एक दिन में 5 बाल विवाह रोके गए. बाल विवाह की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन और महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम तुरंत गांव पहुंची. दूल्हा और दुल्हन की की जन्मतिथि और अंकसूची की जांच की गई. जिसमें उनकी उम्र शादी के लिए निर्धारित आयु से कम मिली. जिसके बाद टीम ने परिजनों और गांव वालों को बाल विवाह के दुष्परिणामों के बारे में बताया. जिसके बाद परिजनों की सहमति से विवाह रोका गया. गवाहों के सामने घोषणा पत्र व राजीनामा पत्र पर हस्ताक्षर कराए गए.

बता दें कि रोकी गई 5 शादियों में 3 विवाह 18, 19 और 21 फरवरी 2025 को प्रस्तावित थे, जबकि दो विवाह दिसंबर 2025 में होने वाले थे. विवाह की तैयारियां शुरू होने से पहले ही प्रशासन की सतर्कता के चलते इन्हें रोक लिया गया. जिससे ना सिर्फ बच्चों का भविष्य सुरक्षित हुआ बल्कि परिवारों को आर्थिक क्षति, सामाजिक अपमान और मानसिक तनाव से बचाया जा सका.

बाल विवाह रोकना क्यों जरूरी: महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी अनिता अग्रवाल ने बताया कि बाल विवाह केवल एक सामाजिक कुप्रथा नहीं, बल्कि बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा और भविष्य के लिए गंभीर खतरा है. छोटी उम्र में विवाह होने से शारीरिक और मानसिक विकास रुक जाता है. लड़कियों में कुपोषण, रक्त की कमी और जटिल प्रसव संबंधी समस्याएं बढ़ जाती हैं. बच्चों की शिक्षा बाधित होती है, जिससे वे आत्मनिर्भर बनने से वंचित रह जाते हैं. घरेलू हिंसा, शोषण और सामाजिक असमानता की संभावना बढ़ जाती है.

अनिता अग्रवाल ने कहीं भी बाल विवाह होने की जानकारी मिलने पर तुरंत विभाग को बताने की अपील आम लोगों से की. उन्होंने कहा कि बाल विवाह रोकना रोकना प्रशासन और समाज दोनों की संयुक्त जिम्मेदारी है. इस कुप्रथा को जड़ से खत्म करने में सहयोग करें और बच्चों को एक उज्ज्वल भविष्य दें.

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