सरगुजा: सरगुजा संभाग छत्तीसगढ़ के उत्तर पूर्व में आदिवासी बहुल संभाग है. इस संभाग में 6 जिले आते हैं. सरगुजा, मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर, कोरिया, बलरामपुर, सूरजपुर, जशपुर. जहां की ज्यादातर आबादी आदिवासी है. इन्हीं आदिवासी वोटर्स को साधने की कोशिश में कांग्रेस और बीजेपी दोनों है. दोनों ही पार्टियां आदिवासी हितैषी का दावा करते हुए आने वाले विधानसभा चुनावों के लिए वोट मांग रही है.
सरगुजा की 14 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा: छत्तीसगढ़ विधानसभा की 90 सीटों में सरगुजा संभाग की 14 सीटें काफी अहम है. यहां की 14 में से 9 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सरगुजा संभाग की सभी 14 सीटों पर कब्जा कर लिया. जबकि 2013 के विधानसभा चुनावों में 7 सीटों पर भाजपा का कब्जा था और 7 सीटों पर कांग्रेस थी. यानी 2018 के चुनाव में भाजपा को यहां काफी नुकसान हुआ.
2018 में भाजपा को 7 सीटों पर मिली हार: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 में भाजपा को जिन 7 सीटों पर मुंह की खानी पड़ी उनमें से 5 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित थी. ये सीटें भरतपुर सोनहत, जशपुर, कुनकुरी, पत्थलगांव, प्रतापपुर हैं. दो सामान्य सीटें मनेंद्रगढ़ और बैकुंठपुर में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा.
सरगुजा संभाग की सीटों का समीकरण:
अंबिकापुर विधानसभा सीट : साल 1952 में हुए पहले विधानसभा चुनाव से अंबिकापुर विधानसभा सीट अस्तित्व में आई. अंबिकापुर विधानसभा सीट हाईप्रोफाइल सीट रही है. यहां से वर्तमान विधायक डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव हैं. टीएस सिंहदेव के पूर्वज भी इसी सीट से इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते आए हैं. इस सीट से कुल 2 लाख 45 हजार 158 मतदाता हैं. करीब 50 प्रतिशत आबादी यहां एसटी वर्ग की है, जिनमें उरांव, कंवर और गोंड समाज की अधिकता है. रोजगार का प्रमुख साधन कृषि है.
लुंड्रा विधानसभा सीट: अंबिकापुर, लखनपुर और सीतापुर विधानसभा के हिस्सों को काटकर लुंड्रा विधानसभा क्षेत्र बनाया गया. कांग्रेस के प्रीतम राम यहां से विधायक हैं. लुंड्रा विधानसभा में वोटर्स की संख्या 1 लाख 88 हजार 717 हैं. जिनमें से लगभग 78 प्रतिशत जनसंख्या एसटी वर्ग है. इनमें भी गोंड और कंवर समाज के मतदाता ज्यादा है. इसके अलावा उरांव और यादव समाज के मतदाता भी जीत हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. मूलभत सुविधाओं की कमी बनी हुई है.
प्रतापपुर विधानसभा सीट: प्रतापपुर सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट है. छत्तीसगढ़ सरकार में पूर्व मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम प्रतापपुर सीट से विधायक हैं. इस सीट पर कुल 108325 मतदाता है. जिनमें अनुसूचित जनजाति की संख्या लगभग 60 फीसदी है. इसमें गोंड समाज की संख्या 40 प्रतिशत है. 30 से 35 फीसदी आबादी ओबीसी और सामान्य वर्ग से हैं. अलग जिला बनाने की मांग, हाथियों का उत्पात यहां की प्रमुख समस्या है. 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा का कब्जा था लेकिन 2018 में हार मिली.
सीतापुर विधानसभा सीट: सीतापुर विधानसभा सीट भी अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट है. यहां से भाजपा का कभी खाता नहीं खुल पाया है. वर्तमान में अमरजीत भगत यहां से कांग्रेस के विधायक और सरकार में मंत्री हैं. यहां धर्मांतरण बड़ी संख्या में हुआ हैं. उरांव समाज के ज्यादातर लोग क्रिश्चियन कम्यूनिटी को मानते हैं. कंवर और गोंड समाज भी चुनाव में मुख्य भूमिका निभाता है. यहां कुल 194541 मतदाता है. रेल कनेक्टिविटी प्रमुख मांग है. रोजगार का प्रमुख साधन कृषि है. बतौली ब्लॉक में एल्यूमिनियम प्लांट प्रस्तावित है लेकिन ग्रामीण इसके विरोध में लगे हुए हैं.
सामरी विधानसभा सीट: सामरी सीट अविभाजित मध्यप्रदेश में भी थी. अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित इस सीट पर चिंतामणि महाराज कांग्रेस के विधायक हैं. वन संपदा से भरपूर इस सीट की जनता हमेशा से ही मूलभूत सुविधाओं को तरसती रही है. नक्सल प्रभावित इस क्षेत्र में कुल 197591 वोटर्स है. करीब 65 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति है. इनमें गोंड, कंवर, उरांव और खैरवार जनजाति के लोग हैं. 25-30 प्रतिशत लोग ओबीसी और सामान्य श्रेणी के हैं. नक्सल, हाथी, सड़क, स्वास्थ्य की सुविधाओं की कमी है.
रामानुजगंज विधानसभा सीट: रामानुजगंज विधानसभा बलरामपुर जिले में आती है. अविभाजित मध्यप्रदेश में इसे पाल विधानसभा के नाम से जाना जाता था. ये सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. इस सीट से बृहस्पति सिंह कांग्रेस के विधायक है लेकिन अक्सर वे अपने बयानों को लेकर विवादों में रहते हैं. यहां मतदाताओं की संख्या 188650 है. वनांचल क्षेत्र होने के कारण यहां की ज्यादातर आबादी गांवों में रहती है. स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी, पहुंचविहीन गांव, हाथी समस्या प्रमुख है. साफ पीने के पानी की भी बड़ी समस्या है.
प्रेमनगर विधानसभा सीट: सूरजपुर जिले की प्रेमनगर सीट सामान्य सीट है. इसी विधानसभा से रेणुका सिंह केंद्रीय मंत्री हैं. वर्तमान में कांग्रेस के खेलसाय सिंह यहां से विधायक हैं. सामान्य सीट होने के बावजूद कोई भी पार्टी यहां से किसी सामान्य जाति के उम्मीदवार को टिकट नहीं देती है. इस सीट पर 226600 वोटर्स है. लगभग 60 प्रतिशत आबादी ओबीसी और सामान्य है. 35 से 40 फीसदी लोग अनुसूचित जनजाति के हैं. भालू यहां का सबसे बड़ी समस्या है.
भंटगांव विधानसभा सीट: सूरजपुर जिले की दूसरी अनारक्षित सीट है. भटगांव विधानसभा से पारसनाथ राजवाड़े विधायक हैं. यहां कुल 221964 मतदाता है. यहां राजवाड़े समाज की 30 प्रतिशत आबादी है. 70 प्रतिशत आबादी ओबीसी और जनरल वर्ग से हैं. गोंड, कवर, पंडो, चेरवा, पहाड़ी कोरवा समाज के लोग भी ज्यादा है. चारों तरफ जंगल से घिरा रहने के कारण हाथियों की बड़ी समस्या है. विकास की कमी है.
पत्थलगांव विधानसभा सीट: पत्थलगांव विधानसभा सीट जशपुर जिले में आती है. अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित इस सीट से रामपुकार सिंह कांग्रेस के विधायक है. पत्थलगांव विधानसभा में कुल 210498 मतदाता हैं. कंवर वोटर्स यहां सबसे ज्यादा है. इसके बाद उरांव और गोंड जाति के लोग है यहीं वजह है कि कोई भी पार्टी इन्हीं दो जातियों के लोगों को प्रत्याशी के रूप में चुनती है. सड़कें जर्जर है. शहरी इलाकों में पानी की कमी और साफ सफाई की समस्या है. 2013 में यह भाजपा की सीट थी लेकिन 2018 के चुनाव में भाजपा को हार मिली.