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CG Assembly Election 2023 कांग्रेस के लिए क्यों कठिन हुई सरगुजा की डगर, 2018 और अब में क्या है फर्क ? - सरगुजा संभाग

CG Assembly Election 2023 सरगुजा संभाग में इस बार 14 सीटों पर मुकाबला रोमांचक होने वाला है.पिछली बार कांग्रेस ने इस संभाग की सभी सीटों पर जीत हासिल करते हुए विरोधियों को जोरदार झटका दिया था.लेकिन अब कांग्रेस के पांच साल देखने के बाद क्या फिर से सरगुजा की जनता पिछले विधानसभा के आंकड़े दोहराएगी.ये एक बड़ा सवाल है.और इस बात पर प्रश्न चिन्ह इसलिए भी लग रहे हैं क्योंकि सरगुजा में टिकट कटने से नाराज विधायकों के समर्थक और कुछ सीटों पर अंतर्कलह पार्टी को भारी पड़ सकती है.बावजूद इसके डिप्टी सीएम का मानना है कि सरगुजा में कांग्रेस की 10 सीटें कहीं नहीं गईं.Surguja becomes difficult for Congress

CG Assembly Election 2023
कांग्रेस के लिए क्यों कठिन हुई सरगुजा की डगर
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 11, 2023, 2:45 PM IST

रायपुर : छत्तीसगढ़ में बस्तर के बाद यदि किसी जगह पर दलों का फोकस होता है तो सरगुजा है.सरगुजा संभाग में 14 विधानसभा सीटें आती हैं.इस समय ये 14 सीटें कांग्रेस के पास है.पिछले चुनाव में कांग्रेस ने 90 में से 68 सीटों पर जीत हासिल करते हुए 15 साल से सत्ता में जमी बीजेपी को बाहर किया था. उस वक्त बीजेपी विरोधी लहर और टीएस सिंहदेव के घोषणापत्र में की गई मेहनत के साथ किसान कर्जमाफी के वादे ने कांग्रेस के लिए तुरूप के इक्के का काम किया.लेकिन क्या अब सरगुजा पिछले चुनाव का इतिहास दोहराएगा.

सरगुजा में कैसे हैं समीकरण ? :सरगुजा संभाग में 6 जिले हैं. जशपुर, कोरिया, सूरजपुर, सरगुजा, बलरामपुर और मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर (एमसीबी). इन छह जिलों में 14 सीटें, जशपुर जिले में कुनकुरी, पत्थलगांव और जशपुर, सरगुजा जिले में अंबिकापुर, लुंड्रा और सीतापुर, बलरामपुर में प्रतापपुर, रामानुगंज और सामरी, सूरजपुर में प्रेमनगर और भटगांव, कोरिया में बैकुंठपुर और एमसीबी जिले में मनेंद्रगढ़ और भरतपुर-सोनहत हैं.जिनमें 17 नवंबर को मतदान होने हैं.इन 14 सीटों में से 9 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं.वहीं 5 सीटें सामान्य हैं.

भूपेश सरकार में सरगुजा से तीन मंत्री : 14 में से 14 सीटें जीतने के बाद भूपेश सरकार में तीन मंत्री सरगुजा संभाग से बने.जिसमें टीएस सिंहदेव, अमरजीत भगत और प्रेमसाय सिंह टेकाम थे.लेकिन चुनाव से पहले ही ना सिर्फ प्रेमसाय सिंह टेकाम का मंत्री पद छीना गया.बल्कि मौजूदा चुनाव में उन्हें प्रतापपुर से टिकट भी नसीब नहीं हुई है. इसी के साथ चिंतामणि महाराज (सामरी), बृहस्पत सिंह (रामानुगंज) और विनय जायसवाल (मनेंद्रगढ़) का टिकट भी कटा है.

डिप्टी सीएम किसे मानते हैं चुनौती ? सरगुजा संभाग में 4 मौजूदा विधायकों के टिकट कटे.जिनमें से बृहस्पत सिंह को लेकर पहले ही टीएस सिंहदेव ने नाराजगी जाहिर की थी. बाकी के तीन विधायकों का टिकट सर्वे के आधार पर काटा गया.इस मामले में टीएस सिंहदेव का भी मानना है कि दूसरे चरण के चुनाव में कांग्रेस को कुछ झटके जरुर लगेंगे.लेकिन बृहस्पत को लेकर टीएस सिंहदेव ने कहा कि उन्होंने अपनी लाइन क्रास कर दी थी.इसके बाद भी टीएस सिंहदेव ने कहा कि यदि सर्वे में बृहस्पत सिंह जीत रहे होते,तो मैं रास्ते में नहीं खड़ा होता.लेकिन सर्वे में उनके खिलाफ लोगों में काफी आक्रोश दिखा.

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सरगुजा में क्यों हो सकता है गणित फेल ? : सरगुजा संभाग में पिछली बार लोगों ने ये सोचकर वोटिंग की थी कि उन्हें पहली बार संभाग से सीएम मिलने वाला है. टीएस सिंहदेव सीएम की रेस में सबसे आगे थे.उनकी मेहनत हर ओर दिखी भी थी.टीएस सिंहदेव की स्वीकार्यता को लेकर ही संभाग के वोटर्स ने बिना किसी आशंका के हर उस कैंडिडेट को जीताया जिसके लिए टीएस सिंहदेव ने वोट मांगे.लेकिन रिजल्ट के बाद भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के बीच आलाकमान ने भूपेश बघेल को चुना.उस दिन से लेकर मौजूदा चुनाव तक भूपेश बघेल को लेकर ही कांग्रेस माहौल बना रही है.जो कहीं ना कहीं कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब सरगुजा में बन सकता है. क्योंकि जब भूपेश बघेल सीएम बने और टीएस सिंहदेव से उनकी दूरियां बढ़ी तो इससे सबसे ज्यादा नुकसान सरगुजा का ही हुआ.इसलिए ये कहना गलत नहीं होगा कि इस बार सरगुजा की डगर कांग्रेस के लिए थोड़ी मुश्किल जरुर है.

रायपुर : छत्तीसगढ़ में बस्तर के बाद यदि किसी जगह पर दलों का फोकस होता है तो सरगुजा है.सरगुजा संभाग में 14 विधानसभा सीटें आती हैं.इस समय ये 14 सीटें कांग्रेस के पास है.पिछले चुनाव में कांग्रेस ने 90 में से 68 सीटों पर जीत हासिल करते हुए 15 साल से सत्ता में जमी बीजेपी को बाहर किया था. उस वक्त बीजेपी विरोधी लहर और टीएस सिंहदेव के घोषणापत्र में की गई मेहनत के साथ किसान कर्जमाफी के वादे ने कांग्रेस के लिए तुरूप के इक्के का काम किया.लेकिन क्या अब सरगुजा पिछले चुनाव का इतिहास दोहराएगा.

सरगुजा में कैसे हैं समीकरण ? :सरगुजा संभाग में 6 जिले हैं. जशपुर, कोरिया, सूरजपुर, सरगुजा, बलरामपुर और मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर (एमसीबी). इन छह जिलों में 14 सीटें, जशपुर जिले में कुनकुरी, पत्थलगांव और जशपुर, सरगुजा जिले में अंबिकापुर, लुंड्रा और सीतापुर, बलरामपुर में प्रतापपुर, रामानुगंज और सामरी, सूरजपुर में प्रेमनगर और भटगांव, कोरिया में बैकुंठपुर और एमसीबी जिले में मनेंद्रगढ़ और भरतपुर-सोनहत हैं.जिनमें 17 नवंबर को मतदान होने हैं.इन 14 सीटों में से 9 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं.वहीं 5 सीटें सामान्य हैं.

भूपेश सरकार में सरगुजा से तीन मंत्री : 14 में से 14 सीटें जीतने के बाद भूपेश सरकार में तीन मंत्री सरगुजा संभाग से बने.जिसमें टीएस सिंहदेव, अमरजीत भगत और प्रेमसाय सिंह टेकाम थे.लेकिन चुनाव से पहले ही ना सिर्फ प्रेमसाय सिंह टेकाम का मंत्री पद छीना गया.बल्कि मौजूदा चुनाव में उन्हें प्रतापपुर से टिकट भी नसीब नहीं हुई है. इसी के साथ चिंतामणि महाराज (सामरी), बृहस्पत सिंह (रामानुगंज) और विनय जायसवाल (मनेंद्रगढ़) का टिकट भी कटा है.

डिप्टी सीएम किसे मानते हैं चुनौती ? सरगुजा संभाग में 4 मौजूदा विधायकों के टिकट कटे.जिनमें से बृहस्पत सिंह को लेकर पहले ही टीएस सिंहदेव ने नाराजगी जाहिर की थी. बाकी के तीन विधायकों का टिकट सर्वे के आधार पर काटा गया.इस मामले में टीएस सिंहदेव का भी मानना है कि दूसरे चरण के चुनाव में कांग्रेस को कुछ झटके जरुर लगेंगे.लेकिन बृहस्पत को लेकर टीएस सिंहदेव ने कहा कि उन्होंने अपनी लाइन क्रास कर दी थी.इसके बाद भी टीएस सिंहदेव ने कहा कि यदि सर्वे में बृहस्पत सिंह जीत रहे होते,तो मैं रास्ते में नहीं खड़ा होता.लेकिन सर्वे में उनके खिलाफ लोगों में काफी आक्रोश दिखा.

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