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सरगुजा: SC पहुंचा सरगुजा में कोल ब्लॉक आवंटन का मामला, सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई जनहित याचिका में दावा किया गया है कि, सरगुजा में राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड को मिले कोल ब्लॉक आवंटन का संचालन गैर कानूनी तरीके से किया जा रहा है. मामले में सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान ले लिया है और सभी के खिलाफ नोटिस जारी कर पीआईएल के संबंध में जवाब मांगा है.

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Apr 8, 2019, 3:30 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

सरगुजा: उदयपुर विकासखंड के परसा और केते कोल ब्लॉक आवंटन की प्रक्रिया एक बार फिर खटाई में पड़ती दिख रही है. हालांकी इसके खिलाफ विरोध, आंदोलन या शिकायत का असर नहीं हुआ है बल्कि इस बार मामला सुप्रीम कोर्ट में है. सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई जनहित याचिका में दावा किया गया है कि, सरगुजा में राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड को मिले कोल ब्लॉक आबंटन का संचालन गैर कानूनी तरीके से किया जा रहा है.

वीडियो

सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान
यहां कोल खनन का काम एमडीओ के जरिये अडानी समूह को दिया जा रहा है. लिहाजा ज्यादातर आरोप अडानी समूह पर लगे हैं, लेकिन पीआईएल में राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड, अडानी, भारत सरकार समेत कई अन्य को भी पार्टी बनाया गया है. जिसके कारण अडानी समेत कई पक्षकारों की मुसीबत बढ़ती दिख रही है. मामले में सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान ले लिया है और सभी के खिलाफ नोटिस जारी कर पीआईएल के संबंध में जवाब मांगा है.

अडानी, RRVUN,भारत सरकार समेत चार आरोपी
कोल ब्लॉक आवंटन मामले में सरगुजा के जल, जंगल और जमीन के शोषण का आरोप लगा है. आरटीआई एक्टिविस्ट और वकील दिनेश कुमार सोनी ने बताया कि, मामले अधिकारियों की शिकायत पर जब कोई सुनवाई नहीं हुई तो, वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के जरिये सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई थी. जिसमें अडानी, राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड, भारत सरकार समेत 4 अन्य को आरोपी बनाया गया है. जनहित याचिका पर संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी आरोपियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

अडानी के साथ नहीं है RRVUN का अनुबंध
दरअसल, सरगुजा के उदयपुर विकासखंड के परसा कोल ब्लॉक, परसा ईस्ट एवं केते बासेन परियोजना में कोल उत्खनन के लिए राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड को सरकार ने आवंटन दे रखा है. मामले में आरोप है कि, खनन का काम अडानी कर रहा है. जबकी राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड से आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी में उसने खुद स्वीकार किया है कि, अडानी से उसका कोई अनुबंध नहीं है. अब अगर इन दोनों कंपनी का कोई अनुबंध नहीं है, तो अडानी बिना अनुबंध काम कैसे कर रहा है. साथ ही आरोप है कि, अडानी समूह अक्सर इस खनन के काम में अपनी भागीदारी को छिपाकर रखा है, लेकिन अधिवक्ता दिनेश सोनी बताते हैं कि, उनके पास जो कागजात हैं, उसमें अडानी ने अपने लेटर पैड पर सरगुजा कलेक्टर से परसा कोल ब्लॉक के संबंध में पत्राचार किया है.

खुले बाजार में कोयला बेच रहा अडानी
राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड को कोल ब्लॉक का आवंटन इस शर्त पर मिला है कि, वो यहां से खनन कर राजस्थान की दो पार्टियों को कोयला भेजेगा. जबकी नियमों को ताख पर रख छत्तीसगढ़ के खुले बाजार में अडानी कोयला बेच रहा है. इसके साथ ही पुनर्वास नीति, सीएसआर मद सहित कई नियमों के उल्लंघन और इसमें शासकीय लोगों की सहभागिता के भी आरोप लगे हैं.

भालू, चीतल और हाथी का विचरण क्षेत्र
पीआईएल में आरोप है कि, जब सरगुजा की जमीन का आवंटन अडानी को लेना था और वन विभाग की अनुशंसा की जरूरत थी, तब तत्कालीन वन मंडलाधिकारी ने नियमों के खिलाफ जाकर उक्त भूमि की अनुशंसा ऐसी लिखी कि कोल ब्लॉक आवंटन आसानी से मिल जाये. मामले में जब आरटीआई से उसी जमीन की जानकारी मांगी गई, तो वन विभाग ने उक्त जमीन को भालू, चीतल और हाथी का विचरण क्षेत्र बताया है. जबकी कोल ब्लॉक आवंटन के लिए बनाई गई रिपोर्ट में इसका जिक्र नहीं किया गया था.

सरगुजा: उदयपुर विकासखंड के परसा और केते कोल ब्लॉक आवंटन की प्रक्रिया एक बार फिर खटाई में पड़ती दिख रही है. हालांकी इसके खिलाफ विरोध, आंदोलन या शिकायत का असर नहीं हुआ है बल्कि इस बार मामला सुप्रीम कोर्ट में है. सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई जनहित याचिका में दावा किया गया है कि, सरगुजा में राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड को मिले कोल ब्लॉक आबंटन का संचालन गैर कानूनी तरीके से किया जा रहा है.

वीडियो

सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान
यहां कोल खनन का काम एमडीओ के जरिये अडानी समूह को दिया जा रहा है. लिहाजा ज्यादातर आरोप अडानी समूह पर लगे हैं, लेकिन पीआईएल में राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड, अडानी, भारत सरकार समेत कई अन्य को भी पार्टी बनाया गया है. जिसके कारण अडानी समेत कई पक्षकारों की मुसीबत बढ़ती दिख रही है. मामले में सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान ले लिया है और सभी के खिलाफ नोटिस जारी कर पीआईएल के संबंध में जवाब मांगा है.

अडानी, RRVUN,भारत सरकार समेत चार आरोपी
कोल ब्लॉक आवंटन मामले में सरगुजा के जल, जंगल और जमीन के शोषण का आरोप लगा है. आरटीआई एक्टिविस्ट और वकील दिनेश कुमार सोनी ने बताया कि, मामले अधिकारियों की शिकायत पर जब कोई सुनवाई नहीं हुई तो, वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के जरिये सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई थी. जिसमें अडानी, राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड, भारत सरकार समेत 4 अन्य को आरोपी बनाया गया है. जनहित याचिका पर संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी आरोपियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

अडानी के साथ नहीं है RRVUN का अनुबंध
दरअसल, सरगुजा के उदयपुर विकासखंड के परसा कोल ब्लॉक, परसा ईस्ट एवं केते बासेन परियोजना में कोल उत्खनन के लिए राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड को सरकार ने आवंटन दे रखा है. मामले में आरोप है कि, खनन का काम अडानी कर रहा है. जबकी राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड से आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी में उसने खुद स्वीकार किया है कि, अडानी से उसका कोई अनुबंध नहीं है. अब अगर इन दोनों कंपनी का कोई अनुबंध नहीं है, तो अडानी बिना अनुबंध काम कैसे कर रहा है. साथ ही आरोप है कि, अडानी समूह अक्सर इस खनन के काम में अपनी भागीदारी को छिपाकर रखा है, लेकिन अधिवक्ता दिनेश सोनी बताते हैं कि, उनके पास जो कागजात हैं, उसमें अडानी ने अपने लेटर पैड पर सरगुजा कलेक्टर से परसा कोल ब्लॉक के संबंध में पत्राचार किया है.

खुले बाजार में कोयला बेच रहा अडानी
राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड को कोल ब्लॉक का आवंटन इस शर्त पर मिला है कि, वो यहां से खनन कर राजस्थान की दो पार्टियों को कोयला भेजेगा. जबकी नियमों को ताख पर रख छत्तीसगढ़ के खुले बाजार में अडानी कोयला बेच रहा है. इसके साथ ही पुनर्वास नीति, सीएसआर मद सहित कई नियमों के उल्लंघन और इसमें शासकीय लोगों की सहभागिता के भी आरोप लगे हैं.

भालू, चीतल और हाथी का विचरण क्षेत्र
पीआईएल में आरोप है कि, जब सरगुजा की जमीन का आवंटन अडानी को लेना था और वन विभाग की अनुशंसा की जरूरत थी, तब तत्कालीन वन मंडलाधिकारी ने नियमों के खिलाफ जाकर उक्त भूमि की अनुशंसा ऐसी लिखी कि कोल ब्लॉक आवंटन आसानी से मिल जाये. मामले में जब आरटीआई से उसी जमीन की जानकारी मांगी गई, तो वन विभाग ने उक्त जमीन को भालू, चीतल और हाथी का विचरण क्षेत्र बताया है. जबकी कोल ब्लॉक आवंटन के लिए बनाई गई रिपोर्ट में इसका जिक्र नहीं किया गया था.

Intro:सरगुजा : जिले के उदयपुर विकासखंड में परसा और केते कोल ब्लॉक आबंटन की प्रक्रिया एक बार फिर खटाई में पड़ती दिख रही है, हालांकी अब तक इनके विरुद्ध किसी प्रकार के विरोध, आंदोलन या शिकायत का असर नही हुआ है, लेकिन इस बार मामला सुप्रीम कोर्ट में है, और सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई जन हित याचिका में यह दावा किया गया है की सरगुजा जिले में राजस्थान राज्य विद्दुत निगम लिमिटेड को मिले कोल ब्लॉक आबंटन का संचालन गैर कानूनी तरीके से किया जा रहा है, जाहिर है की यहां कोल उत्तखनन का काम एमडीओ के माध्यम से अडानी द्वारा किया जा रहा है, लिहाज ज्यादातर आरोप अडानी पर हैं लेकिन पीआईएल में राजस्थान राज्य विद्दुत निगम लिमिटेड, अडानी, भारत सरकार सहित कई अन्य के पार्टी बनाया गया है। और अब अडानी सहित अन्य पक्षकारों की मुसीबत बढ़ती दिख रही है, क्योकी सुप्रीम कोर्ट ने मामले में संज्ञान ले लिया है और सभी के खिलाफ नोटिस जारी कर पीआईएल के आरोपों के संबंध में जवाब मांगे हैं।


Body:कोल ब्लॉक का आबंटन लेकर सरगुजा के जल जंगल और जमीन का गैरकानूनी ढंग से शोषण करने के आरोप और लाख शिकायतों के बाद भी जब कोई सुनवाई नही हुई,तो स्थानीय अधिवक्ता दिनेश कुमार सोनी ने अधिवक्ता प्रसांत भूषण के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका लगाई थी। यह जनहित याचिका अदानी, राजस्थान राज्य विद्दुत निगम लिमिटेड, भारत सरकार सहित कुल 4 के खिलाफ यह याचिका लगाई गई थी।

दरअसल सरगुजा जिले के उदयपुर विकासखंड में परसा कोल ब्लॉक, परसा ईस्ट एवं केते बासेन परियोजना में कोल उत्खनन के लिये राजस्थान राज्य विद्दुत निगम लिमिटेड को सरकार ने आबंटन दे रखा है, लेकिन आरोप यह है की उत्खनन का काम अदानी के द्वारा किया जा रहा है, जबकी राजस्थान राज्य विद्दुत निगम लिमिटेड से आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी में उसने खुद स्वीकार किया हैं की अदानी से उसका कोई अनुबंध नही है, अब अगर इन दोनों कंपनी का कोई अनुबंध नहीं है तो अदानी बिना अनुबंध के काम कैसे कर रहा है, वहीं अदानी के लोग अक्सर इस काम मे अपनी भागीदारी को छिपाकर रखते हैं लेकिन अधिवक्ता दिनेश सोनी ने वह कागजात भी जुटाए है जिसमे अडानी ने अपने लेटर पेड में सरगुजा कलेक्टर से परसा कोल ब्लॉक के संबंध में पत्राचार किया है।

बहरहाल इसके अलावा राजस्थान राज्य विद्दुत निगम लिमिटेड को कॉल ब्लाक का आबंटन इस शर्त पर मिला हैं की वो यहां से उत्खनन कर राजस्थान की दो पार्टियों को कोयला भेजेगा, जबकी नियमो को ताख पर रखकर छत्तीसगढ़ कें खुले बाजार में अडानी कोयला बेच रहा है। इसके साथ ही पुनर्वास नीति, सीएसआर मद सहित कई नियमो के उल्लंघन और इसमें शासकीय लोगो की सहभागिता के आरोप लगाए गए हैं।

इस पूरी पीआईएल में सबसे बड़ी और अहम बात यह है की जब सरगुजा की जमीन का आबंटन अदानी को लेना था और वन विभाग की अनुशंसा चाहियें थी तब तत्कालीन वन मंडलाधिकारी ने नियमो के विरुद्ध जाते हुए उक्त भूमि की अनुशंसा ऐसी लिखी की कोल ब्लॉक आबंटन आसानी से मिल जाये, और जब वन विभाग से आरटीआई से उसी जमीन की जानकारी मांगी गई तो वन विभाग ने उक्त जमीन पर भालू, चीतल, और हाथी विचरण क्षेत्र होने की बात लिखित में दी है, जबकी कोल ब्लॉक आबंटन के लिय बनाई गई रिपोर्ट में इसका ज़िक्र नही किया था।





Conclusion:बहरहाल अडानी की कोयला खदानों के लिये ग्रामीण आंदोलन भी कर रहे हैं तो इधर आरटीआई कार्यकर्ता की पीआईएल मंजूर हो चुकी है और सुप्रीम कोर्ट ने जवाब तलब भी किया है, अब देखना यह होगा की धन बल के आगे यह पीआईएल कब तक टिक पाती है।

बाइट01_दिनेश सोनी (आरटीआई कार्यकर्ता एवं अधिवक्ता)

देश दीपक सरगुजा
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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