सरगुजा: छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव 2023 नजदीक है. कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, छत्तीसगढ़ की महिलाओं की भागीदारी राजनीति में सुनिश्चित करती हैं, तो छत्तीसगढ़ और कांग्रेस पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा? छत्तीसगढ़ की राजनीति और मतदान में महिलाओं की स्थिति क्या है? यह जानने के लिये हमें कुछ आंकड़ों पर नजर डालना होगा.
छत्तीसगढ़ में महिला मतदाताओं की स्थिति: छत्तीसगढ़ में पुरुष वोटर 97 लाख 27 हजार से अधिक हैं, जबकि महिला वोटर 97 लाख के करीब है. दिव्यांग मतदाताओं की संख्या 14 लाख, 6 हजार 981 हो गई है. साथ ही थर्ड जेंडर वोटरों की संख्या 811 है. मतदाता सूची के प्रारंभिक प्रकाशन में कुल आबादी की तुलना में वोट देने वालों का अनुपात 60.37 प्रतिशत है. यह 2023 के लिए तय की गई अनुमानित आबादी 3 करोड़ 18 हजार के आधार पर है.
राज्य गठन से अब तक की स्थिति: छत्तीसगढ़ राज्य की विधानसभा में महिला विधायकों की बात करें, तो राज्य विभाजन के वक्त सब 2000 में विधानसभा में 6 महिला सदस्य थीं. 2003 के चुनाव में भी 6 महिला विधायक ही विधानसभा पहुंच सकीं. 2008 के चुनाव में यह संख्या दोगुनी हो गई. कुल 12 महिला विधायक चुनीं गईं. लेकिन 2013 के विधानसभा चुनाव के बाद यह संख्या फिर घटी और सिर्फ 10 महिला विधायक ही विधायक बन सकीं. लेकिन वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद अब छत्तीसगढ़ में 16 महिला विधायक हैं.
सदन में महिला विधायकों की वर्तमान स्थिति: विधानसभा चुनाव 2018 में छत्तीसगढ़ की 90 सीट में से 13 सीटों पर महिलाओं ने जीत हासिल की. इनमें रेणु जोगी कोटा से, अंबिका सिंहदेव बैकुंठपुर से, उत्तरी गणपत जांगड़े सारंगढ़ से, डॉ रश्मि सिंह तखतपुर से, इंदू बंजारे पामगढ़ से, अनीता शर्मा धरसींवा से, शकुंतला साहू कसडोल से, डॉ लक्ष्मी ध्रुव सिहावा से, रंजना साहू धमतरी से, संगीता सिन्हा संजारी बालोद से, अनिला भेड़िया डौंडीलोहारा से, ममता चंद्राकर पंडरिया से और छन्नी साहू खुज्जी से विधायक चुनी गई थीं. इसके बाद तीन उपचुनाव में दंतेवाड़ा में देवती कर्मा, खैरागढ़ में यशोदा वर्मा और भानुप्रतापपुर उपचुनाव में सावित्री मंडावी सहित महिला विधायकों संख्या 16 हो चुकी है.
छत्तीसगढ़ में कुल महिला विधायकों की संख्या
- कुल विधानसभा सीटें: 90
- कुल महिला विधायक: 16
दलों के अनुसार छत्तीसगढ़ में महिला विधायकों की संख्या
- कांग्रेस: 13 महिला विधायक
- बीजेपी: एक महिला विधायक
- जेसीसीजे: एक महिला विधायक
- बीएसपी: एक महिला विधायक
- कुल महिला विधायक: 16
छत्तीसगढ़ की मौजूदा महिला विधायकों के बारे में जानिए
- बैकुंठपुर से अंबिका सिंह सिंहदेव, कांग्रेस की विधायक
- सारंगढ़ से उत्तरी गणपत जांगड़े, कांग्रेस की विधायक
- कोटा से रेणु जोगी, जेसीसीजे की विधायक
- तखतपुर से रश्मि आशीष सिंह, कांग्रेस की विधायक
- पामगढ़ से इंदु बंजारे, बीएसपी की विधायक
- कसडोल से शकुंतला साहू, कांग्रेस की विधायक
- धंरसीवा से अनीता शर्मा, कांग्रेस की विधायक
- सिंहावा से लक्ष्मी ध्रुव, कांग्रेस की विधायक
- धमतरी से रंजना साहू, बीजेपी की विधायक
- संजारी बालोद से संगीता सिन्हा, कांग्रेस की विधायक
- डौंडी लोहारा से अनिला भेड़िया, कांग्रेस की विधायक
- पंडरिया से ममता चंद्राकर, कांग्रेस की विधायक
- खैरागढ़ से यशोदा वर्मा, कांग्रेस की विधायक
- खुज्जी से चन्नी साहू, कांग्रेस की विधायक
- भानुप्रतापपुर से सावित्री मंडावी, कांग्रेस की विधायक
- दंतेवाड़ा से देवती कर्मा, कांग्रेस की विधायक
ज्यादातर महिला विधायक संभाल रहीं विरासत:
- देवती कर्मा: कद्दावर आदिवासी नेता रहते हुए सलवा जुडूम से जुड़े महेंद्र कर्मा की पत्नी होने के नाते देवती कर्मा, पति की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहीं हैं. झीरम घाटी में हुए नक्सली हमले में उनके पति महेंद्र कर्मा शहीद हुए थे.
- अनिता शर्मा: झीरम घाटी नक्सली हमले में शहीद हुए कांग्रेस नेता स्वर्गीय योगेंद्र शर्मा की पत्नी हैं. पति की विरासत को आगे बढ़ा रहीं हैं.
- अंबिका सिंहदेव: अपने दिवंगत चाचा और छत्तीसगढ़ के पहले वित्तमंत्री रामचंद्र सिंहदेव की विरासत को आगे बढ़ा रहीं हैं.
- संगीता सिन्हा: पूर्व में विधायक रहे पति भैयाराम सिन्हा की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रही हैं.
- शकुंतला साहू: माता-पिता से राजनीति विरासत में मिली. हालांकी इनके माता-पिता सरपंच रहे और अब विधायक के रूप में उनकी बेटी विरासत आगे बढ़ा रही हैं.
- रश्मि सिंह: सरपंच रहे अपने माता-पिता की राजनीति को विधायक बनकर आगे बढ़ा रही हैं.
- सावित्री मंडावी: भानुप्रतापपुर की नवनिर्वाचित विधायक सावित्री मंडावी पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष दिवंगत मनोज मंडावी की पत्नी हैं. सावित्री पेशे से शिक्षक थीं, जो पति देहावसान के बाद अब वो विधायक हैं.
प्रदेश की महिला मंत्री और संसदीय सचिव: भूपेश बघेल की सरकार में एक महिला मंत्री और तीन महिलाएं, संसदीय सचिव की भूमिका निभा रहीं हैं. डौंडी लोहारा से विधायक अनिला भेड़िया प्रदेश में महिला एवं बाल विकास मंत्री के रूप में कार्यभार संभाल रही हैं. बैकुंठपुर से विधायक कोरिया राजपरिवार से आने वाली अंबिका सिंहदेव बतौर संसदीय सचिव लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी एवं ग्रामोद्योग की जिम्मेदारी में सहयोगी हैं. कसडोल विधायक शकुंतला साहू बतौर संसदीय सचिव के रूप में संसदीय कार्य से लेकर कई विभागों में काम कर रही है. संसदीय सचिव डॉ रश्मि सिंह महिला एवं बाल विकास, समाज कल्याण में अपना सहयोग दे रही हैं.
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प्रदेश में महिलाओं की सामाजिक स्थिति बेहतर: सामाजिक कार्यकर्ता राजेश सिंह सिसोदिया कहते हैं कि "सामाजिक, अर्थिक और राजनीतिक रूप से केरला के बाद छत्तीसगढ़ दूसरे नंबर पर है. महिलाओं की उपस्थिति यहां हर क्षेत्र में अच्छी है, लेकिन वो सेल्फ मेड नहीं है. ज्यादातर लोगों के पति उनका काम काज देखते हैं. कुछ महिला विधायक अपने पति के कारण राजनीति में हैं. तो शहीदों की पत्नियां राजनीति में हैं. छत्तीसगढ़ से 3 सांसद भी लोकसभा में हैं.
छत्तीसगढ़ महतारी कहते हैं हम: राजेश सिंह कहते हैं "छत्तीसगढ़ में 11 हजार 664 ग्राम पंचायतों में 3800 महिला सरपंच हैं. वहीं जनपद पंचायत में 146 में 48 महिला सदस्य हैं. छत्तीसगढ़ के धार्मिक, सांस्कृतिक ताने बाने की बात करें, तो हम छत्तीसगढ़ महतारी कहते हैं, क्योंकि यह माता कौशल्या की धरती है. यहां शबरी माता, राजिम माता, दयावती बाई, राधा बाई, राजमोहनी देवी रही हैं. मिनी माता, तीजन बाई, शबा अंजुम, फुलबासन बाई, ममता चंद्राकर जैसी महिला छत्तीसगढ़ में रही हैं.
प्रदेश में महिलाओं की सामाजिक स्थिति बहुत अच्छी है, लेकिन राजनीति में इनकी स्थिति अलग है. ये खुद काम नहीं करतीं, उनके पति उनको चलाते हैं. छत्तीसगढ़ में महिला पुरुष मतदाता लगभग बराबरी पर हैं. इसलिए छत्तीसगढ़ में महिलाओं को आगे बढ़ाया जा सकता है. लेकिन राजनैतिक रूप से ऐसी महिलाओं को आगे आना चाहिए, जो खुद से अपना करियर बनाएं."
महिला कार्ड हो सकता है सफल: छत्तीसगढ़ में महिला मतदाताओं और जनप्रतिनिधियों की दखल को देखा जाये, तो यहां कोई भी राजनैतिक दल महिलाओं को बढ़ावा दे सकता है. लिंगानुपात यहां 50-50 के बराबर है. ऐसे में महिला और पुरुष प्रधानता की बात यहां नहीं है. छत्तीसगढ़ की मात्र 90 विधानसभा सीटों में से 16 महिला विधायक होना बड़ी बात है. ऐसे में महिला चेहरे पर कोई भी सियासी दल आगे बढ़ सकता है.महिला सशक्तिकरण का उदाहरण पेश कर सकता है.