सरगुजा: सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ देशभर में अभियान छिड़ा है. कहीं कपड़े के झोले के उपयोग को प्राथमिकता दी जा रही है, तो कहीं कागज के बने पैकेट का इस्तेमाल किया जा रहा है. इन सबसे अलग अंबिकापुर में बर्तन के यूज को प्राथमिकता दी जा रही है. खास बात यह है कि इन्होंने समारोहों में इस्तेमाल होने वाली डिस्पोजल की जगह बर्तन के उपयोग का सिलसिला आज से नहीं बल्कि 2017 से शुरू कर दिया था. यहां 2017 में 'दीदी बर्तन बैंक' के नाम से शुरू किया गया था, जिसे आज कई और शहरों ने भी अपना लिया है.
'बर्तन बैंक' का मॉडल अंबिकापुर नगर निगम बहुत पहले लेकर आया था. इसके लिए अंबिकापुर में 2017 में 'दीदी बर्तन बैंक' खोले गए. पार्टियों में प्लास्टिक, डिस्पोजल के उपयोग को बंद करने के लिए बर्तन की व्यवस्था की गई. इस योजना का शुभारंभ सितंबर 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह ने किया था, लेकिन बर्तन बैंक का काम 2017 में ही शुरू कर दिया गया था.
कारगर साबित हुई मुहिम
अंबिकापुर से शुरू की गई यह योजना धीरे-धीरे अब कई शहरों में भी शुरू की गई है. ये योजना प्लास्टिक के उपयोग को रोकने की मुहिम में कारगार साबित हो रही है. अंबिकापुर में स्वयं सहायता समूह की महिलाएं 'दीदी बर्तन बैंक' संचालित करती हैं. नगर निगम क्षेत्र में 5 बर्तन बैंक खोले गए हैं. वहीं इन बैंकों के अधीन शहर के हर मोहल्ले में फ्रेंचाइजी दी गई है, जिसके माध्यम से बर्तन बैंक से लोग किराए पर बर्तन ले पाते हैं.
2 लाख 94 हजार 960 रुपये की आय
बर्तन बैंक से बर्तन के एक सेट में 1 थाली, 3 कटोरी, 1 गिलास और 1 चम्मच के सेट का किराया 8 रुपये तय किया गया है. ये कीमत 24 घंटे के लिए तय की जाती है. अप्रैल 2018 से दिसंबर 2018 तक बर्तन बैंक ने इससे 2 लाख 94 हजार 960 रुपये कमाए हैं. जिसे पर्यावरण संरक्षण के साथ इसमें काम करने वाले कर्मचारियों पर खर्च किया जाता है. बर्तन बैंक की योजना न सिर्फ प्लास्टिक के खिलाफ एक मुहिम साबित हुई है, बल्कि महिलाओं के लिए रोजगार का साधन भी बन गया है.
अंबिकापुर नगर निगम को इस पहल के लिए बधाई.