सरगुजा: शहरों के बाद अब गांवों में भी कोरोना तेजी से फैल रहा है. छत्तीसगढ़ के अधिकांश ग्रामीण इलाकों में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ रही है, लिहाजा कोरोना संक्रमण के दूसरे दौर में अब सरकार शहरों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी अलर्ट हो चुकी है. पिछले वर्ष का लॉकडाउन भी शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में अलग-अलग नियमों के साथ हुआ करता था. अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों को काफी छूट दी जाती थी, लेकिन इस वर्ष पूरे जिले में एक जैसी पाबंदी लगाई जा रही है. इसके साथ ही अब गांव में कोविड केयर सेंटर और सब हेल्थ सेंटर में कोरोना और इसके लक्षणों से संबंधित बीमारी के इलाज की व्यवस्था की गई है.
सरगुजा जिले में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान लुंड्रा विधानसभा में सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमित मरीज मिलना शुरू हुए. खासकर ब्लॉक मुख्यालय लुंड्रा में ज्यादा मरीज मिले. हालांकि समय रहते इस क्षेत्र में तेजी से कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग, दवाईयों का वितरण, होम आइसोलेशन जैसे तरीके अपनाए गए और स्थित पर नियंत्रण पाया गया. इस विधानसभा के विधायक डॉक्टर प्रीतम राम पेशे से डॉक्टर हैं. आरएमओ के पद से इस्तीफा देकर उन्होंने पहला चुनाव बलरामपुर के सामरी विधानसभा सीट से लड़ा था और विधायक बने थे, लेकिन 2018 के चुनाव में कांग्रेस में उन्हें सरगुजा की लुंड्रा सीट से प्रत्याशी बनाया और डॉ. प्रीतम यहां भी विजयी हुए. अब पेशे से डॉक्टर विधायक बने, तो अपने क्षेत्र में दौरे के साथ वे लोगों का इलाज भी करते हैं. शायद उनका यह अनुभव इस क्षेत्र के लोगों के काम आ रहा है, तभी तो इस क्षेत्र के ज्यादातर गांव कोरोना से सुरक्षित हैं और जहां संक्रमण पहुंचा भी है, तो आंकड़े बहुत कम हैं. यहां लोग वैक्सीन के प्रति भी जागरूक हैं.
बरडीह में महज 3 संक्रमित
गांव-गांव कोरोना की पड़ताल करते ईटीवी भारत की टीम लुंड्रा के कुछ गांवों में पहुंची. यहां सतर्कता दिखी, स्थिति सामान्य बनी हुई है. सबसे पहले हम ग्राम बरडीह पहुंचे. यहां ग्रामीणों और गांव के सरपंच विजेन्द्र टेकाम से बतचीत की. ग्रामीण कोरोना के प्रति जागरूक दिखे. मास्क से लेकर अन्य सभी गाइडलाइन की इन्हें पूरी जानकारी थी. इसके साथ ही इस गांव के सरपंच ने बताया कि गांव में 45 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों का टीकाकरण हो चुका है. यहां टीके के संबंध में फैली किसी अफवाह का कोई असर नहीं है. शुरू में लोग जरूर डर रहे थे, लेकिन प्रशासन की टीम और जनप्रतिनिधियों के द्वारा लगातार जागरूकता फैलाने से ग्रामीण जागरूक हुए और सभी ने टीका लगवाया.
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सरपंच ने बताया कि इस गांव की आबादी 1737 है, लेकिन अब तक यहां कुल 3 ही लोग कोरोना से संक्रमित हुए हैं. यहां से 3 किलोमीटर की दूरी पर उप स्वास्थ्य केंद्र है. जहां जांच, दवाई और डॉक्टर उपलब्ध हैं. वहीं 7 किलोमीटर की दूरी पर धौरपुर है, जहां कोविड केयर सेंटर बनाया गया है. इसके अलावा गांव में लगातार शिविर लगाकर जांच की जाती है. 2 बार ग्राम पंचायत कार्यालय में शिविर के माध्यम से सभी का टीकाकरण कराया गया है. वैक्सीन की पहले डोज के बाद जब लोगों को बुखार आया, तब गांव वाले थोड़ा डरे थे, लेकिन सरपंच के समझाने के बाद लोग समझ रहे हैं और दूसरी डोज भी लगवा रहे हैं. गांव के लोग इतने जागरूक हैं कि यहां 18 प्लस वालों का वैक्सीनेशन शुरू नहीं होने के बाद भी दूर के सेंटर पर जाकर यहां के युवकों ने वैक्सीन लगवा ली है.
बटवाही में 1 की मौत, 24 संक्रमित
इसके बाद ईटीवी भारत की टीम एक बड़ी ग्राम पंचायत बटवाही पहुंची. बटवाही काफी बड़ी पंचायत होने के साथ इसकी सीमा से शहरी क्षेत्र भी जुड़ा हुआ है. पंचायत के नेशनल हाईवे से लगे होने की वजह से यहां शहरी आबादी का आना-जाना ज्यादा होता है. इस गांव की आबादी 3,379 है, लेकिन दूसरी लहर में यहां महज 24 लोग ही कोरोना से संक्रमित हुए हैं. जिनमें से 15 लोग स्वस्थ हो चुके हैं. 8 का इलाज अभी जारी है, जबकि 1 की मौत हो चुकी है.
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सरपंच बताते हैं कि गांव के हर मोहल्ले में स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की टीम जाती है. कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के साथ लोगों की जांच और लक्षण के इलाज का काम किया जा रहा है. साथ ही इसी गांव में उप स्वास्थ्य केंद्र संचालित है, जहां दवाईयां, डॉक्टर और इलाज की बेहतर व्यवस्था है. इस गांव में 45 साल के ऊपर के लगभग सभी लोग वैक्सीन लगवा चुके हैं. इस गांव में 18 प्लस वालों के लिए शिविर लगाकर वैक्सीनेशन किया गया था. हालांकि अभी टीकाकरण स्थगित है, बाद में फिर से शिविर के माध्यम से लोगों को वैक्सीनेट किया जाएगा.
गांव में हालात काबू में
ईटीवी भारत की पड़ताल में लुंड्रा के गांवों में कोरोना की स्थिति सामान्य पाई गई. गांव तक कोरोना पहुंचा तो है, लेकिन ग्रामीणों की सजगता और प्रशासन के प्रयास से इस पर नियंत्रण रखा गया है. कहीं भी स्थिति बेकाबू होती नहीं दिखी. इसके साथ ही इस क्षेत्र में वैक्सीन को लेकर अफवाहों का डर भी लोगों में हावी नहीं है. हालांकि शुरुआत में लोगों में वैक्सीनेशन कौतूहल का विषय था, लेकिन प्रशासनिक पहल के बाद लोग इसका महत्व समझ गए.