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अंबिकापुर में लापरवाही की हद: ऑटो से शव ले गए परिजन, चार घंटे में भी नहीं पहुंची मुक्तांजलि

Dead body on auto in Ambikapur अंबिकापुर में मुक्तांजलि शव वाहन नहीं मिला तो परिजन ऑटो से शव ले गए. मुक्तांजलि शव वाहन के इंतजार के दौरान निजी एंबुलेंस के दलाल परिजनों से संपर्क करते रहे. वहीं अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल अधीक्षक डॉ लखन सिंह ने कार्रवाई का भरोसा दिया है.

dead body on auto in Ambikapur
ऑटो से शव ले गए परिजन
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Published : Oct 11, 2022, 7:53 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा: अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक बार फिर से मुक्तांजलि शव वाहन के चालक व कर्मचारियों की लापरवाही सामने आई है. अस्पताल में उपचार के दौरान मौत के बाद परिजन शव को घर ले जाने के लिए मुक्तांजलि के कर्मचरियों को लगातार फोन करते रहे. शुरुआत में तो मुक्तांजलि के कर्मचारियों ने उन्हें आश्वासन दिया कि वे रास्ते में हैं और जल्द ही अस्पताल पहुंच जाएंगे. लेकिन उसके बाद चालकों ने फोन उठाना ही बंद कर दिया. पांच घंटे के इन्तजार के बाद परिजन मृतक के शव को ऑटो में ले जाने को मजबूर हो गए. dead body on auto in Ambikapur

रात में 11 बजे हुई मौत: शहर के सरगवां निवासी दुर्योधन सिंह को तबीयत खराब होने पर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था. अस्पताल में जांच के दौरान उनका शुगर लेवल कम होने की बात सामने आई. उनकी सेहत में सुधार भी हो रहा था. लेकिन इस बीच कमजोरी के कारण बाथरूम जाते समय वे अस्पताल में ही गिर गए. गिरने की वजह से उनकी तबीयत खराब हो गई. सोमवार रात लगभग 9 बजे से उनकी हालत बिगड़ने लगी और 11 बजे तक उनकी मौत हो गई.

यह भी पढ़ें: देवर ने डंडे से मारकर कर दी भाभी की हत्या

शव वाहन अस्पताल ही नहीं पहुंचे: उपचार के दौरान मौत के बाद परिजन ने शव को घर ले जाने की तैयारी शुरू की और 1099 पर फोन कर मुक्तांजलि शव वाहन को बुलवाया. इस दौरान शुरू में जानकारी दी गई कि एक एम्बुलेंस बलरामपुर जिले में गई है जबकि दूसरी उदयपुर और तीसरी सीतापुर की ओर गई है. इनमें से सीतापुर की ओर गई एम्बुलेंस के कर्मचारी से मृतक के परिजन की बात भी हुई. चालक ने उन्हें बताया कि वह सीतापुर से निकल गया है. सीतापुर से शव वाहन को पहुंचने में अधिकतम दो घंटे का समय लगना चाहिए था. हैरानी की बात तो यह है कि भोर के चार बजे तक अस्पताल में एक भी शव वाहन वापस नहीं लौटा.

निजी एंबुलेंस चालक हुए सक्रिय: परिजन के मुताबिक "चार बजे भोर तक एक भी शव वाहन अस्पताल नहीं पहुंचा. इस दौरान अस्पताल के बाहर खड़े रहने वाले निजी एम्बुलेंस के दलाल और चालक सक्रिय हो गए. लगातार संपर्क कर घर पहुंचाने की बात कही लेकिन हमने इनकार कर दिया.'' मृतक के परिजन ने शव वाहन नहीं मिलने के पीछे यह आरोप भी लगाया कि ''निजी एम्बुलेंस के चालक और शव वाहन चालकों के बीच सांठगांठ हो गई है. जब मुसीबत के समय शव वाहन नहीं पहुंचेगा तो मजबूरन लोग एंबुलेंस वालों को मोटी रकम देकर शव ले जाने को मजबूर हो जा जाएंगे.''

कार्रवाई कर शासन को भेजेंगे रिपोर्ट: अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल अधीक्षक डॉ लखन सिंह ने कहा "घटना की जानकारी मिली है. हमने अपने नर्सिंग स्टाफ व कर्मचारियों से पूछताछ की है. इस मामले में जिसकी भी लापरवाही है, उस पर कार्रवाई की जाएगी. शव वाहन के जिम्मेदार अधिकारियों को बुलाकर पूछताछ की जाएगी और रिपोर्ट भी शासन को भेजी जाएगी.''

सरगुजा: अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक बार फिर से मुक्तांजलि शव वाहन के चालक व कर्मचारियों की लापरवाही सामने आई है. अस्पताल में उपचार के दौरान मौत के बाद परिजन शव को घर ले जाने के लिए मुक्तांजलि के कर्मचरियों को लगातार फोन करते रहे. शुरुआत में तो मुक्तांजलि के कर्मचारियों ने उन्हें आश्वासन दिया कि वे रास्ते में हैं और जल्द ही अस्पताल पहुंच जाएंगे. लेकिन उसके बाद चालकों ने फोन उठाना ही बंद कर दिया. पांच घंटे के इन्तजार के बाद परिजन मृतक के शव को ऑटो में ले जाने को मजबूर हो गए. dead body on auto in Ambikapur

रात में 11 बजे हुई मौत: शहर के सरगवां निवासी दुर्योधन सिंह को तबीयत खराब होने पर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था. अस्पताल में जांच के दौरान उनका शुगर लेवल कम होने की बात सामने आई. उनकी सेहत में सुधार भी हो रहा था. लेकिन इस बीच कमजोरी के कारण बाथरूम जाते समय वे अस्पताल में ही गिर गए. गिरने की वजह से उनकी तबीयत खराब हो गई. सोमवार रात लगभग 9 बजे से उनकी हालत बिगड़ने लगी और 11 बजे तक उनकी मौत हो गई.

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शव वाहन अस्पताल ही नहीं पहुंचे: उपचार के दौरान मौत के बाद परिजन ने शव को घर ले जाने की तैयारी शुरू की और 1099 पर फोन कर मुक्तांजलि शव वाहन को बुलवाया. इस दौरान शुरू में जानकारी दी गई कि एक एम्बुलेंस बलरामपुर जिले में गई है जबकि दूसरी उदयपुर और तीसरी सीतापुर की ओर गई है. इनमें से सीतापुर की ओर गई एम्बुलेंस के कर्मचारी से मृतक के परिजन की बात भी हुई. चालक ने उन्हें बताया कि वह सीतापुर से निकल गया है. सीतापुर से शव वाहन को पहुंचने में अधिकतम दो घंटे का समय लगना चाहिए था. हैरानी की बात तो यह है कि भोर के चार बजे तक अस्पताल में एक भी शव वाहन वापस नहीं लौटा.

निजी एंबुलेंस चालक हुए सक्रिय: परिजन के मुताबिक "चार बजे भोर तक एक भी शव वाहन अस्पताल नहीं पहुंचा. इस दौरान अस्पताल के बाहर खड़े रहने वाले निजी एम्बुलेंस के दलाल और चालक सक्रिय हो गए. लगातार संपर्क कर घर पहुंचाने की बात कही लेकिन हमने इनकार कर दिया.'' मृतक के परिजन ने शव वाहन नहीं मिलने के पीछे यह आरोप भी लगाया कि ''निजी एम्बुलेंस के चालक और शव वाहन चालकों के बीच सांठगांठ हो गई है. जब मुसीबत के समय शव वाहन नहीं पहुंचेगा तो मजबूरन लोग एंबुलेंस वालों को मोटी रकम देकर शव ले जाने को मजबूर हो जा जाएंगे.''

कार्रवाई कर शासन को भेजेंगे रिपोर्ट: अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल अधीक्षक डॉ लखन सिंह ने कहा "घटना की जानकारी मिली है. हमने अपने नर्सिंग स्टाफ व कर्मचारियों से पूछताछ की है. इस मामले में जिसकी भी लापरवाही है, उस पर कार्रवाई की जाएगी. शव वाहन के जिम्मेदार अधिकारियों को बुलाकर पूछताछ की जाएगी और रिपोर्ट भी शासन को भेजी जाएगी.''

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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