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ग्रामीण अंचल की लड़कियों ने कहा- 'अगर शादी की न्यूनतम उम्र सीमा 21 साल हुई तो बना सकेंगे भविष्य' - reaction of girls in marriage age

केंद्र सरकार लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 21 साल करने पर विचार कर रही है. जिस पर सरगुजा के ग्रामीण अंचल में रहने वाली लड़कियों ने प्रतिक्रिया दी है.

sarguja village girls reaction on marriage age
फाइल फोटो
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Published : Sep 9, 2020, 3:22 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा: भारत में शादी करने की न्यूनतम उम्र लड़कों के लिए 21 और लड़कियों के लिए 18 वर्ष है. बाल विवाह रोकथाम कानून 2006 के तहत इससे कम उम्र में शादी गैर-कानूनी है, जिसके लिए दो साल की सजा और एक लाख रुपए का जुर्माना हो सकता है. अब सरकार लड़कियों के लिए इस सीमा को बढ़ाकर 21 वर्ष करने पर विचार कर रही है. इस मसले पर ग्रामीण अंचल की लड़कियों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.

शादी के लिए लड़कियों की न्यूनतम उम्र सीमा 21 साल करने पर प्रतिक्रिया

लड़कियां केंद्र सरकार के इस फैसले से खुश हैं. वे कहती हैं कि ज्यादातर ग्रामीण अंचलों में लड़कियों की शादी समय से पहले ही कर दी जाती है, जिससे उन्हें कई तरह की परेशानियों से जूझना पड़ता है. उन्हें इतनी समझदारी नहीं होती की शादी के बाद घर-परिवार को कैसे संभाला जाए. 18 साल तक की लड़कियों में ज्यादातर बचपना होता है, वह खुद के बारे में भी ठीक से नहीं सोच पाती. जल्द शादी करने से उन्हें पढ़ाई करने का मौका भी नहीं मिल पाता.

लड़कियां कहती हैं कि अगर शादी की उम्र 21 साल तय कर दी जाती है, तो उन्हें पढ़ने का मौका मिलेगा. जिससे वे अपना सुनहरा भविष्य चुन सकती हैं. इसके साथ ही घर-परिवार के बीच रहकर खुद को शादी के लिए तैयार कर सकती हैं. बढ़ती उम्र के साथ समझदारी भी आ जाती है, जिससे खुद की जिम्मेदारी लेने में आसानी होती है. उनका कहना है कि 18 साल में लड़कियां मानसिक और शारिरिक तौर पर शादी के लिए तैयार नहीं होती हैं. जल्दी शादी होने के बाद कम उम्र में गर्भवती होने के साथ ही लड़कियों को शारिरिक परेशानियों से गुजरना पड़ता है.

बाल विवाह रोकने की कोशिश जारी

महिला एवं बाल विकास विभाग बाल विवाह रोकने की तमाम तरह की कवायदें करता है. MSVP नामक संस्था जिले में इस काम को बखूबी निभाती है. सरकार ने बाल विवाह रोकने के लिए एक अधिकारी जनपद स्तर पर तैनात किया हुआ है, लेकिन ये प्रयास नाकाफी है. क्योंकी एक जनपद में सैकड़ों गांव होते हैं और एक अकेला अधिकारी MSVP के सहयोग से बाल विवाह रोक सके यह सम्भव नहीं. जमीनी हकीकत यह है की कई बार संस्था के लोगों और अधिकारियों को ग्रामीणों का विरोध तक झेलना पड़ता है. विवादित स्थिति के बीच किसी तरह संस्था को बाल विवाह रोकना पड़ता है, जाहिर है. सरकार इस कुप्रथा को बंद करने की दिशा में गंभीर है.यही वजह है की लड़कियों के विवाह की न्यूनतम उम्र को 18 से बढ़ाकर 21 करने पर विचार किया जा रहा है.

पढ़ें- लड़कियों की शादी की उम्र की जगह शिक्षा पर ध्यान देने की जरूरत

बहरहाल केंद्र सरकार अगर इस फैसले पर मुहर लगा देती है तो लड़कियों का भविष्य बेहतर ही होगा. कम उम्र में जिम्मेदारियां ले लेना, पारिवारिक तनाव को न झेल पाना और डिप्रेशन में जाने जैसी कई दिक्कतें लड़कियों के सामने आती हैं. यही कारण है कि कई बार कम लड़कियां आत्महत्या भी कर लेती हैं.

सरगुजा: भारत में शादी करने की न्यूनतम उम्र लड़कों के लिए 21 और लड़कियों के लिए 18 वर्ष है. बाल विवाह रोकथाम कानून 2006 के तहत इससे कम उम्र में शादी गैर-कानूनी है, जिसके लिए दो साल की सजा और एक लाख रुपए का जुर्माना हो सकता है. अब सरकार लड़कियों के लिए इस सीमा को बढ़ाकर 21 वर्ष करने पर विचार कर रही है. इस मसले पर ग्रामीण अंचल की लड़कियों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.

शादी के लिए लड़कियों की न्यूनतम उम्र सीमा 21 साल करने पर प्रतिक्रिया

लड़कियां केंद्र सरकार के इस फैसले से खुश हैं. वे कहती हैं कि ज्यादातर ग्रामीण अंचलों में लड़कियों की शादी समय से पहले ही कर दी जाती है, जिससे उन्हें कई तरह की परेशानियों से जूझना पड़ता है. उन्हें इतनी समझदारी नहीं होती की शादी के बाद घर-परिवार को कैसे संभाला जाए. 18 साल तक की लड़कियों में ज्यादातर बचपना होता है, वह खुद के बारे में भी ठीक से नहीं सोच पाती. जल्द शादी करने से उन्हें पढ़ाई करने का मौका भी नहीं मिल पाता.

लड़कियां कहती हैं कि अगर शादी की उम्र 21 साल तय कर दी जाती है, तो उन्हें पढ़ने का मौका मिलेगा. जिससे वे अपना सुनहरा भविष्य चुन सकती हैं. इसके साथ ही घर-परिवार के बीच रहकर खुद को शादी के लिए तैयार कर सकती हैं. बढ़ती उम्र के साथ समझदारी भी आ जाती है, जिससे खुद की जिम्मेदारी लेने में आसानी होती है. उनका कहना है कि 18 साल में लड़कियां मानसिक और शारिरिक तौर पर शादी के लिए तैयार नहीं होती हैं. जल्दी शादी होने के बाद कम उम्र में गर्भवती होने के साथ ही लड़कियों को शारिरिक परेशानियों से गुजरना पड़ता है.

बाल विवाह रोकने की कोशिश जारी

महिला एवं बाल विकास विभाग बाल विवाह रोकने की तमाम तरह की कवायदें करता है. MSVP नामक संस्था जिले में इस काम को बखूबी निभाती है. सरकार ने बाल विवाह रोकने के लिए एक अधिकारी जनपद स्तर पर तैनात किया हुआ है, लेकिन ये प्रयास नाकाफी है. क्योंकी एक जनपद में सैकड़ों गांव होते हैं और एक अकेला अधिकारी MSVP के सहयोग से बाल विवाह रोक सके यह सम्भव नहीं. जमीनी हकीकत यह है की कई बार संस्था के लोगों और अधिकारियों को ग्रामीणों का विरोध तक झेलना पड़ता है. विवादित स्थिति के बीच किसी तरह संस्था को बाल विवाह रोकना पड़ता है, जाहिर है. सरकार इस कुप्रथा को बंद करने की दिशा में गंभीर है.यही वजह है की लड़कियों के विवाह की न्यूनतम उम्र को 18 से बढ़ाकर 21 करने पर विचार किया जा रहा है.

पढ़ें- लड़कियों की शादी की उम्र की जगह शिक्षा पर ध्यान देने की जरूरत

बहरहाल केंद्र सरकार अगर इस फैसले पर मुहर लगा देती है तो लड़कियों का भविष्य बेहतर ही होगा. कम उम्र में जिम्मेदारियां ले लेना, पारिवारिक तनाव को न झेल पाना और डिप्रेशन में जाने जैसी कई दिक्कतें लड़कियों के सामने आती हैं. यही कारण है कि कई बार कम लड़कियां आत्महत्या भी कर लेती हैं.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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