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पढ़ें: 'अप्रत्याशित आते हैं सरगुजा के परिणाम, कुछ ऐसी है यहां के मतदाताओं की तासीर' - सरगुजा के परिणाम

नवनिर्वाचित सांसद रेणुका सिंह ने 1 लाख 57 हजार से अधिक मतों से कांग्रेस के खेलसाय सिंह को चुनाव में हराया है, जबकी खेलसाय कई बार सांसद रह चुके हैं.

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Published : May 26, 2019, 12:03 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

सरगुजा : आम चुनाव 2019 के मतदान के बाद परिणाम भी देश के सामने आ चुके हैं, जहां मतदान के बाद परिणाम को लेकर उहापोह मची हुई थी. वहीं अब परिणाम आने के बाद लोगों मे इस बात की जिज्ञासा है कि आखिर कौन से वो कारण रहे, जिससे हार या जीत के मायने तय किए जाए.

हार जीत पर राजनीतिक विश्लेषण

दरअसल, सरगुजा संभाग की 14 या सरगुजा लोकसभा की 8 विधानसभा सीट हो, यहां के मतदाताओं की तासीर ही ऐसी है की यहां परिणाम बड़े अप्रत्याशित आते हैं. हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस ने सरगुजा में क्लीन स्वीप किया था और 14 विधानसभा में जीत दर्ज की थी, लेकिन कुछ महीनों बाद हुए लोकसभा चुनाव में यहां के मतदाताओं ने एक बार फिर अपनी तासीर के मुताबिक कांग्रेस के खिलाफ मतदान किया है.

रेणुका सिंह ने 40 हजार मतों से बढ़त बनाई
नवनिर्वाचित सांसद रेणुका सिंह ने 1 लाख 57 हजार से अधिक मतों से कांग्रेस के खेलसाय सिंह को चुनाव में हराया है, जबकी खेलसाय कई बार सांसद रह चुके हैं. रेणुका का यह पहला लोकसभा चुनाव रहा है, जिसमें उन्होंने जीत हासिल की. इस जीत में उनके गृह जिले और गृह विधानसभा का बड़ा योगदान रहा है. नवनिर्वाचित सांसद सूरजपुर जिले की प्रेमनगर विधानसभा से ताल्लुक रखती हैं और यहां से रेणुका सिंह ने 40 हजार मतों से बढ़त बनाई. वहीं बगल की विधानसभा से सबसे अधिक 49 हजार 616, प्रतापपुर विधानसभा से 10 हजार अम्बिकापुर विधानसभा से 16 हजार लुंड्रा विधानसभा से 14 हजार मतों से वे आगे रही.

सीतापुर विधानसभा से खेलसाय को मिला लाभ
बात करें सीतापुर विधानसभा की यहां से रेणुका सिंह 18 हजार 800 मतों से पीछे रहीं. लोकसभा क्षेत्र में यही एक विधानसभा ऐसी है, जहां से कांग्रेस बढ़त में है. वहीं बलरामपुर जिले की सामरी में 20 हजार वोट, और रामानुजगंज विधानसभा से 26 हजार मतों से भाजपा की रेणुका सिंह ने बढत बनाई है. इस प्रकार भाजपा की जीत में सबसे बड़ा योगदान भटगांव विधानसभा का और सबसे कम योगदान सीतापुर विधानसभा का रहा हैं. हारने वाले दल कांग्रेस के प्रत्याशी खेलसाय सिंह के लिए सीतापुर विधानसभा ही संजीवनी की तरह थी, जहां से उन्होंने 18 हजार की बढत बनाई.

दोहरे नेतृत्व का लाभ
जीत हार के फैक्टर की बात करें, तो पूरे देश की तरह सरगुजा में भी मोदी के नाम पर ही मतदान हुआ है, लेकिन कुछ स्थानीय मुद्दे औऱ सियासी उठापटक भी भाजपा की जीत में अहम भूमिका निभाते हैं. मोदी के नाम के अलावा ऐसे कई कारण थे, जिसने भाजपा की मदद की. खेलसाय सिंह का विधायक और प्राधिकरण का अध्यक्ष होना, जाहिर है की भाजपा मैनेजमेंट में माहिर है और मतदान के समय सरगुजा में एक अपील वायरल हुई, जिसमें रेणुका सिंह और खेलसाय सिंह दोनों के पदीय लाभ की बात थी. मामला यह था की सरगुजा लोकसभा चुनाव के निर्णायक जातिगत मतदाता गोंड़ समाज को यह समझाया गया कि खेल साय सिंह तो वैसे ही विधायक हैं, प्राधिकरण के अध्यक्ष हैं, रेणुका सिंह अगर सांसद बनेंगी तो समाज को देहरा प्रतिनिधित्व मिलेगा, ये बात इसलिए हुई क्योंकी रेणुका सिंह और खेल सायसिंह एक ही जाति के ही नहीं बल्कि आपस में इनका जेठ और बहू का रिश्ता भी है. यही बात थोड़ा अलग तरीके से सूरजपुर जिले के उन मतदाताओं को भी समझाई गई जो गोंड़ समाज से नहीं हैं, उन्हें अपने जिले का एक सांसद और एक प्राधिकरण के अध्यक्ष के दोहरे फायदे को बताया गया, अनुमान है की सूरजपुर की 2 विधानसभा में मिली सबसे बड़ी बढत का कारण भी यही है.

बाबा के सीएम नहीं बनने की नाराजगी
वहीं वर्तमान में स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को मुख्यमंत्री ना बनाये जाने का मुद्दा भी भाजपा ने खूब उठाया और सिंहदेव से व्यक्तिगत लगाव रखने वाले लोगों को कांग्रेस से दूर रखने में कामयाब हुए. दरअसल विधानसभा चुनाव में यह चर्चा जोरों पर थी कि टीएस मुख्यमंत्री बनेंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. इसके बाद सरगुजा की जनता के साथ-साथ कांग्रेसियों में भी कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ आक्रोश देखा गया था. हालाकि इस बात से सिंहदेव इत्तेफाक नहीं रखते, वो बार-बार कहते हैं की लोगों की ये मंशा थी की मैं सीएम बनू, हर कोई चाहता है की उसके क्षेत्र को प्रतिनिधित्व मिले, लेकिन समूहिक नेतृत्व में जीत के बाद सरकार भी सब मिलकर चला रहे हैं.

नमक, चना बंद, लोगों में आक्रोश
ठीक चुनाव प्रचार के समय सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत 5 रुपये किलो चना और फ्री में मिलने वाले नमक का वितरण बंद हो गया. भाजपा ने इसे चुनावी मुद्दा बनाया, लोगों को लगा की यह बंद हो गया है, कहीं ये सरकार 1 रुपए किलो मिलने वाला चावल भी न बंद कर दें, लिहाजा इस बात का असर भी इस मतदान पर पड़ा, हालांकी कांग्रेस इसे दुष्प्रचार बताती है, इस मामले में सरकार का तर्क है की नमक, चना वितरण बंद नहीं हुआ है, खराब क्वालिटी की वजह से रोका गया है.

बहरहाल सरगुजा में जब विधानसभा चुनाव में 8 में से 4 सीट थी, चाहे 8 में से 7 सीट थी या फिर 2018 में 8 में 8 सीट रही हो हर बार यहां की जनता लोकसभा चुनाव में भाजपा को ही मतदान किया है. बेरोजगारी, शिक्षा, चिकित्सा जैसे अहम मुद्दे हमेशा यहां के चुनाव से गायब ही रहे हैं.

सरगुजा : आम चुनाव 2019 के मतदान के बाद परिणाम भी देश के सामने आ चुके हैं, जहां मतदान के बाद परिणाम को लेकर उहापोह मची हुई थी. वहीं अब परिणाम आने के बाद लोगों मे इस बात की जिज्ञासा है कि आखिर कौन से वो कारण रहे, जिससे हार या जीत के मायने तय किए जाए.

हार जीत पर राजनीतिक विश्लेषण

दरअसल, सरगुजा संभाग की 14 या सरगुजा लोकसभा की 8 विधानसभा सीट हो, यहां के मतदाताओं की तासीर ही ऐसी है की यहां परिणाम बड़े अप्रत्याशित आते हैं. हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस ने सरगुजा में क्लीन स्वीप किया था और 14 विधानसभा में जीत दर्ज की थी, लेकिन कुछ महीनों बाद हुए लोकसभा चुनाव में यहां के मतदाताओं ने एक बार फिर अपनी तासीर के मुताबिक कांग्रेस के खिलाफ मतदान किया है.

रेणुका सिंह ने 40 हजार मतों से बढ़त बनाई
नवनिर्वाचित सांसद रेणुका सिंह ने 1 लाख 57 हजार से अधिक मतों से कांग्रेस के खेलसाय सिंह को चुनाव में हराया है, जबकी खेलसाय कई बार सांसद रह चुके हैं. रेणुका का यह पहला लोकसभा चुनाव रहा है, जिसमें उन्होंने जीत हासिल की. इस जीत में उनके गृह जिले और गृह विधानसभा का बड़ा योगदान रहा है. नवनिर्वाचित सांसद सूरजपुर जिले की प्रेमनगर विधानसभा से ताल्लुक रखती हैं और यहां से रेणुका सिंह ने 40 हजार मतों से बढ़त बनाई. वहीं बगल की विधानसभा से सबसे अधिक 49 हजार 616, प्रतापपुर विधानसभा से 10 हजार अम्बिकापुर विधानसभा से 16 हजार लुंड्रा विधानसभा से 14 हजार मतों से वे आगे रही.

सीतापुर विधानसभा से खेलसाय को मिला लाभ
बात करें सीतापुर विधानसभा की यहां से रेणुका सिंह 18 हजार 800 मतों से पीछे रहीं. लोकसभा क्षेत्र में यही एक विधानसभा ऐसी है, जहां से कांग्रेस बढ़त में है. वहीं बलरामपुर जिले की सामरी में 20 हजार वोट, और रामानुजगंज विधानसभा से 26 हजार मतों से भाजपा की रेणुका सिंह ने बढत बनाई है. इस प्रकार भाजपा की जीत में सबसे बड़ा योगदान भटगांव विधानसभा का और सबसे कम योगदान सीतापुर विधानसभा का रहा हैं. हारने वाले दल कांग्रेस के प्रत्याशी खेलसाय सिंह के लिए सीतापुर विधानसभा ही संजीवनी की तरह थी, जहां से उन्होंने 18 हजार की बढत बनाई.

दोहरे नेतृत्व का लाभ
जीत हार के फैक्टर की बात करें, तो पूरे देश की तरह सरगुजा में भी मोदी के नाम पर ही मतदान हुआ है, लेकिन कुछ स्थानीय मुद्दे औऱ सियासी उठापटक भी भाजपा की जीत में अहम भूमिका निभाते हैं. मोदी के नाम के अलावा ऐसे कई कारण थे, जिसने भाजपा की मदद की. खेलसाय सिंह का विधायक और प्राधिकरण का अध्यक्ष होना, जाहिर है की भाजपा मैनेजमेंट में माहिर है और मतदान के समय सरगुजा में एक अपील वायरल हुई, जिसमें रेणुका सिंह और खेलसाय सिंह दोनों के पदीय लाभ की बात थी. मामला यह था की सरगुजा लोकसभा चुनाव के निर्णायक जातिगत मतदाता गोंड़ समाज को यह समझाया गया कि खेल साय सिंह तो वैसे ही विधायक हैं, प्राधिकरण के अध्यक्ष हैं, रेणुका सिंह अगर सांसद बनेंगी तो समाज को देहरा प्रतिनिधित्व मिलेगा, ये बात इसलिए हुई क्योंकी रेणुका सिंह और खेल सायसिंह एक ही जाति के ही नहीं बल्कि आपस में इनका जेठ और बहू का रिश्ता भी है. यही बात थोड़ा अलग तरीके से सूरजपुर जिले के उन मतदाताओं को भी समझाई गई जो गोंड़ समाज से नहीं हैं, उन्हें अपने जिले का एक सांसद और एक प्राधिकरण के अध्यक्ष के दोहरे फायदे को बताया गया, अनुमान है की सूरजपुर की 2 विधानसभा में मिली सबसे बड़ी बढत का कारण भी यही है.

बाबा के सीएम नहीं बनने की नाराजगी
वहीं वर्तमान में स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को मुख्यमंत्री ना बनाये जाने का मुद्दा भी भाजपा ने खूब उठाया और सिंहदेव से व्यक्तिगत लगाव रखने वाले लोगों को कांग्रेस से दूर रखने में कामयाब हुए. दरअसल विधानसभा चुनाव में यह चर्चा जोरों पर थी कि टीएस मुख्यमंत्री बनेंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. इसके बाद सरगुजा की जनता के साथ-साथ कांग्रेसियों में भी कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ आक्रोश देखा गया था. हालाकि इस बात से सिंहदेव इत्तेफाक नहीं रखते, वो बार-बार कहते हैं की लोगों की ये मंशा थी की मैं सीएम बनू, हर कोई चाहता है की उसके क्षेत्र को प्रतिनिधित्व मिले, लेकिन समूहिक नेतृत्व में जीत के बाद सरकार भी सब मिलकर चला रहे हैं.

नमक, चना बंद, लोगों में आक्रोश
ठीक चुनाव प्रचार के समय सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत 5 रुपये किलो चना और फ्री में मिलने वाले नमक का वितरण बंद हो गया. भाजपा ने इसे चुनावी मुद्दा बनाया, लोगों को लगा की यह बंद हो गया है, कहीं ये सरकार 1 रुपए किलो मिलने वाला चावल भी न बंद कर दें, लिहाजा इस बात का असर भी इस मतदान पर पड़ा, हालांकी कांग्रेस इसे दुष्प्रचार बताती है, इस मामले में सरकार का तर्क है की नमक, चना वितरण बंद नहीं हुआ है, खराब क्वालिटी की वजह से रोका गया है.

बहरहाल सरगुजा में जब विधानसभा चुनाव में 8 में से 4 सीट थी, चाहे 8 में से 7 सीट थी या फिर 2018 में 8 में 8 सीट रही हो हर बार यहां की जनता लोकसभा चुनाव में भाजपा को ही मतदान किया है. बेरोजगारी, शिक्षा, चिकित्सा जैसे अहम मुद्दे हमेशा यहां के चुनाव से गायब ही रहे हैं.

Intro:सरगुजा : आम चुनाव 2019 के मतदान के बाद परिणाम भी देश के सामने आ चुके हैं, जहां मतदान के बाद परिणाम को लेकर उहापोह मची हुई थी, तो वहीं अब परिणाम में बाद इस बात की जिज्ञासा भी लोगो मे है की आखिर कौन से वो कारण रहे हैं जिससे हार या जीत के मायने तय किये.?

दरअसल सरगुज संभाग की 14 या सरगुजा लोकसभा की 8 विधानसभा सीट हों, यहां के मतदाताओं की तासीर ही ऐसी है की यहां परिणाम बड़े अप्रत्याशित आते हैं, यहां मतदाता जिसे प्रदेश में चुनते हैं, लोकसभा में ठीक उसके उलट मतदान करते हैं, हालही में हुये विधानसभा चुनाव 2018 में सरगुजा में कांग्रेस ने क्लीन स्वीप किया था, ना सिर्फ लोकसभा की आठो विधानसभा बल्कि संभाग की 14 विधानसभा में अप्रत्याशित जीत कांग्रेस ने दर्ज की थी। लेकिन कुछ महीनों बाद हुए लोकसभा चुनाव में यहां के मतदाताओं ने एक बार फिर अपनी तासीर के मुताबिक कांग्रेस के खिलाफ मतदान किया है, वही मतदाता हैं, जिन्होंने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का भरपूर साथ दिया था,लोकसभा में वो भाजपा के साथ हो गए तभी तो परिणाम ऐसे हैं।

बहरहाल भाजपा प्रत्याशी रेणुका सिंह ने 1 लाख 57 हजार से अधिक मतों से कांग्रेस के खेल साय सिंह को चुनाव हराया है, जबकी रेणुका ने अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था जबकी खेल साय कई बार सांसद रह चुके हैं। रेणुका सिंह को मिली बढ़त में उनके गृह जिले औऱ गृह विधानसभा का बड़ा योगदान रहा है, रेणुका सिंह सूरजपुर जिले की प्रेमनगर विधानसभा से ताल्लुक रखती हैं और यहां से रेणुका सिंह ने 40 हजार मतों से बढ़त बनाई, वहीं बगल की विधानसभा से सबसे अधिक 49 हजार 616, प्रतापपुर विधानसभा से 10 हजार मतों से आगे रहीं, सरगुजा जिले की अम्बिकापुर विधानसभा से रेणुका सिंह 16 हजार मतों से आगे रही, लुंड्रा विधानसभा से 14 हजार मतोंसे आगे रही, लेकिन सरगुजा की ही सीतापुर विधानसभा से रेणुका सिंह 18 हजार 800 मतों से पीछे रहीं, लोकसभा क्षेत्र में यही एक विधानसभा है जहां से कांग्रेस बढ़त में है। वहीं बलरामपुर जिले की सामरी में 20 हजार वोट, और रामानुजगंज विधानसभा से 26 हजार मतों से भाजपा की रेणुका सिंह ने बढत बनाई। इस प्रकार भाजपा की जीत में सबसे बड़ा योगदान भटगांव विधानसभा का और सबसे कम योगदान सीतापुर विधानसभा का रहा हैं। हारने वाले दल कांग्रेस के प्रत्याशी खेल साय सिंह के लिए सीतापुर विधानसभा ही संजीवनी की तरह थी जहां।से उन्होंने 18 हजार की बढत बनाई


रेणुका सिंह का पूरा सफर

1- सरगुजा लोकसभा की नई सांसद और पहली महिला सांसद रेणुका सिंह का पूरा नाम रेणुका सिंह सरूता है, पिता का नाम फूल सिंह, रेणुका 58 वर्ष की हैं और हायर सेकेंड्री तक पढ़ाई की हैं,

2- वर्ष 2000 से 2003 तक अविभाजित मध्यप्रदेश में भाजपा रामानुजनगर मंडल की प्रथम महिला अध्यक्ष बनी।

3- वर्ष 2000 से 2003 तक रामानुजनगर जनपद सदस्य निर्वाचित हुई और 2001 से 03 तक समाज कल्याण बोर्ड की सदस्य रही।

4 - वर्ष 2003 में पहली बार रेणुका प्रेमनगर विधानसभा से चुनाव लड़ी और विधायक बनी, लागतार दूसरी बार 2008 मे रेणुका सिंह दोबारा विधायक बनी औऱ 2013 तक विधायक रही।

5- वर्ष 2002 से 04 तक भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश मंत्री रही, वर्ष 2003 से 05 तक महिला बाल विकास एवं समाज कल्याण मंत्री रहीं।

6- वर्ष 2005 से लगातार 2013 तक सरगुजा विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष रहीं।

7- वर्ष 2013 के विधानसभा में रेणुका सिंह खेल साय सिंह से चुनाव हार गईं, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति मोर्चा की राष्ट्रीय सचिव के पद पर रही।

8- वर्तमान में रेणुका अनुसूचित जनजाति मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और भाजपा की प्रदेश कार्य समिति सदस्य हैं।


दोहरे नेतृत्व का लाभ

जीत हार के फैक्टर की बात करें तो पूरे देश की तरह सरगुजा में भी मोदी के नाम पर ही मतदान हुआ है। लेकिन कुछ स्थानीय मुद्दे औऱ सियासी उठापटक भी भाजपा की जीत में अहम भूमिका निभाते हैं, मोदी के नाम के अलावा ऐसे कई कारण थे जिसने भाजपा की मदद की, जैसे खेल साय सिंह का विधायक और प्राधिकरण का अध्यक्ष होना, जाहिर है की भाजपा मैनेजमेंट में माहिर है और मतदान के समय सरगुजा में एक अपील वायरल हुई जिसमें रेणुका सिंह और खेल साय सिंह दोनों के पदीय लाभ की बात थी, मामला यह था की सरगुजा लोकसभा चुनाव के निर्णायक जातिगत मतदाता गोंड़ समाज को यह समझाया गया की खेल साय सिंह तो वैसे ही विधायक हैं, प्राधिकरण के अध्यक्ष हैं, रेणुका सिंह अगर सांसद बनेंगी तो समाज को देहरा प्रतिनिधित्व मिलेगा, ये बात इसलिए हुई क्योंकी रेणुका सिंह और खेल साय सिंह एक ही जाती के ही नही आपस में इनका जेठ और बहू का रिश्ता भी है। यही बात थोड़ा अलग तरीके से सूरजपुर जिले के उन मतदाताओ को भी समझाई गई जो गोंड़ समाज से नही हैं, उन्हें अपने जिले का एक सांसद और एक प्राधिकरण के अध्यक्ष के दोहरे फायदे को बताया गया, अनुमान है की सूरजपुर की 2 विधानसभा में मिली सबसे बड़ी बढत का कारण भी यही है।


बाबा नही बने सीएम

वहीं वर्तमान में स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंह देव को मुख्यमंत्री ना बनाये जाने का मुद्दा भी भाजपा ने खूब उठाया और सिंहदेव से व्यक्तिगत लगाव रखने वाले लोगो को कांग्रेस से दूर रखने में कामयाब हुये, दरअसल विधानसभा चुनाव में यह चर्चा जोरों पर थी की टी एस सिंह मुख्यमंत्री बनेंगे लेकिन ऐसा हुआ नही, और इसके बाद सरगुजा की जनता के साथ साथ कांग्रेसियों में भी कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ आक्रोश देखा गया था। हालाकी इस बात से टी एस सिंह देव कोई इत्तेफाक नही रखते वो बार बार कहते हैं की लोगो की ये मंशा थी की मैं सीएम बनू, हर कोई चाहता है की उसके क्षेत्र को प्रतिनिधित्व मिले, लेकिन समूहिक नेतृत्व में जीत के बाद सरकार भी सब मिलकर चला रहे हैं।

नमक चना बंद

ठीक चुनाव प्रचार के समय सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत 5 रुपये किलो चना और फ्री में मिलने वाले नमक का वितरण बंद हो गया, भाजपा ने इसे चुनावी मुद्दा बनाया, लोगो को लगा की यह बंद हो गया है, कहीं ये सरकार 1 रुपए किलो मिलने वाला चावल भी ना बन्द कर दे, लिहाजा इस बात का असर भी इस मतदान पर पड़ा, हालाकी कांग्रेस इसे दुष्प्रचार बताती है, इस मामले में सरकार का तर्क है की नमक चना वितरण बन्द नही हुआ है, खराब क्वालिटी की वजह से रोका गया है।








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बहरहाल सरगुजा में जब विधानसभा चुनाव में 8 में से 4 सीट थी , चाहे 8 में से 7 सीट थी या फिर 2018 में 8 में 8 सीट रही हों हर बार यहां की जनता लोकसभा चुनाव में भाजपा को ही मतदान किया है, बेरोजगारी, शिक्षा, चिकित्सा जैसे अहम मुद्दे हमेशा यहां के चुनाव से गायब ही रहे हैं।

बाईट01- सुधीर पांडेय (राजनीति के जानकार व वरिष्ठ पत्रकार)
बाईट02- त्रिलोक कपूर कुशवाहा ,( राजनीति के जानकार)

देश दीपक सरगुजा


Conclusion:
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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