सरगुजा : आम चुनाव 2019 के मतदान के बाद परिणाम भी देश के सामने आ चुके हैं, जहां मतदान के बाद परिणाम को लेकर उहापोह मची हुई थी. वहीं अब परिणाम आने के बाद लोगों मे इस बात की जिज्ञासा है कि आखिर कौन से वो कारण रहे, जिससे हार या जीत के मायने तय किए जाए.
दरअसल, सरगुजा संभाग की 14 या सरगुजा लोकसभा की 8 विधानसभा सीट हो, यहां के मतदाताओं की तासीर ही ऐसी है की यहां परिणाम बड़े अप्रत्याशित आते हैं. हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस ने सरगुजा में क्लीन स्वीप किया था और 14 विधानसभा में जीत दर्ज की थी, लेकिन कुछ महीनों बाद हुए लोकसभा चुनाव में यहां के मतदाताओं ने एक बार फिर अपनी तासीर के मुताबिक कांग्रेस के खिलाफ मतदान किया है.
रेणुका सिंह ने 40 हजार मतों से बढ़त बनाई
नवनिर्वाचित सांसद रेणुका सिंह ने 1 लाख 57 हजार से अधिक मतों से कांग्रेस के खेलसाय सिंह को चुनाव में हराया है, जबकी खेलसाय कई बार सांसद रह चुके हैं. रेणुका का यह पहला लोकसभा चुनाव रहा है, जिसमें उन्होंने जीत हासिल की. इस जीत में उनके गृह जिले और गृह विधानसभा का बड़ा योगदान रहा है. नवनिर्वाचित सांसद सूरजपुर जिले की प्रेमनगर विधानसभा से ताल्लुक रखती हैं और यहां से रेणुका सिंह ने 40 हजार मतों से बढ़त बनाई. वहीं बगल की विधानसभा से सबसे अधिक 49 हजार 616, प्रतापपुर विधानसभा से 10 हजार अम्बिकापुर विधानसभा से 16 हजार लुंड्रा विधानसभा से 14 हजार मतों से वे आगे रही.
सीतापुर विधानसभा से खेलसाय को मिला लाभ
बात करें सीतापुर विधानसभा की यहां से रेणुका सिंह 18 हजार 800 मतों से पीछे रहीं. लोकसभा क्षेत्र में यही एक विधानसभा ऐसी है, जहां से कांग्रेस बढ़त में है. वहीं बलरामपुर जिले की सामरी में 20 हजार वोट, और रामानुजगंज विधानसभा से 26 हजार मतों से भाजपा की रेणुका सिंह ने बढत बनाई है. इस प्रकार भाजपा की जीत में सबसे बड़ा योगदान भटगांव विधानसभा का और सबसे कम योगदान सीतापुर विधानसभा का रहा हैं. हारने वाले दल कांग्रेस के प्रत्याशी खेलसाय सिंह के लिए सीतापुर विधानसभा ही संजीवनी की तरह थी, जहां से उन्होंने 18 हजार की बढत बनाई.
दोहरे नेतृत्व का लाभ
जीत हार के फैक्टर की बात करें, तो पूरे देश की तरह सरगुजा में भी मोदी के नाम पर ही मतदान हुआ है, लेकिन कुछ स्थानीय मुद्दे औऱ सियासी उठापटक भी भाजपा की जीत में अहम भूमिका निभाते हैं. मोदी के नाम के अलावा ऐसे कई कारण थे, जिसने भाजपा की मदद की. खेलसाय सिंह का विधायक और प्राधिकरण का अध्यक्ष होना, जाहिर है की भाजपा मैनेजमेंट में माहिर है और मतदान के समय सरगुजा में एक अपील वायरल हुई, जिसमें रेणुका सिंह और खेलसाय सिंह दोनों के पदीय लाभ की बात थी. मामला यह था की सरगुजा लोकसभा चुनाव के निर्णायक जातिगत मतदाता गोंड़ समाज को यह समझाया गया कि खेल साय सिंह तो वैसे ही विधायक हैं, प्राधिकरण के अध्यक्ष हैं, रेणुका सिंह अगर सांसद बनेंगी तो समाज को देहरा प्रतिनिधित्व मिलेगा, ये बात इसलिए हुई क्योंकी रेणुका सिंह और खेल सायसिंह एक ही जाति के ही नहीं बल्कि आपस में इनका जेठ और बहू का रिश्ता भी है. यही बात थोड़ा अलग तरीके से सूरजपुर जिले के उन मतदाताओं को भी समझाई गई जो गोंड़ समाज से नहीं हैं, उन्हें अपने जिले का एक सांसद और एक प्राधिकरण के अध्यक्ष के दोहरे फायदे को बताया गया, अनुमान है की सूरजपुर की 2 विधानसभा में मिली सबसे बड़ी बढत का कारण भी यही है.
बाबा के सीएम नहीं बनने की नाराजगी
वहीं वर्तमान में स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को मुख्यमंत्री ना बनाये जाने का मुद्दा भी भाजपा ने खूब उठाया और सिंहदेव से व्यक्तिगत लगाव रखने वाले लोगों को कांग्रेस से दूर रखने में कामयाब हुए. दरअसल विधानसभा चुनाव में यह चर्चा जोरों पर थी कि टीएस मुख्यमंत्री बनेंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. इसके बाद सरगुजा की जनता के साथ-साथ कांग्रेसियों में भी कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ आक्रोश देखा गया था. हालाकि इस बात से सिंहदेव इत्तेफाक नहीं रखते, वो बार-बार कहते हैं की लोगों की ये मंशा थी की मैं सीएम बनू, हर कोई चाहता है की उसके क्षेत्र को प्रतिनिधित्व मिले, लेकिन समूहिक नेतृत्व में जीत के बाद सरकार भी सब मिलकर चला रहे हैं.
नमक, चना बंद, लोगों में आक्रोश
ठीक चुनाव प्रचार के समय सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत 5 रुपये किलो चना और फ्री में मिलने वाले नमक का वितरण बंद हो गया. भाजपा ने इसे चुनावी मुद्दा बनाया, लोगों को लगा की यह बंद हो गया है, कहीं ये सरकार 1 रुपए किलो मिलने वाला चावल भी न बंद कर दें, लिहाजा इस बात का असर भी इस मतदान पर पड़ा, हालांकी कांग्रेस इसे दुष्प्रचार बताती है, इस मामले में सरकार का तर्क है की नमक, चना वितरण बंद नहीं हुआ है, खराब क्वालिटी की वजह से रोका गया है.
बहरहाल सरगुजा में जब विधानसभा चुनाव में 8 में से 4 सीट थी, चाहे 8 में से 7 सीट थी या फिर 2018 में 8 में 8 सीट रही हो हर बार यहां की जनता लोकसभा चुनाव में भाजपा को ही मतदान किया है. बेरोजगारी, शिक्षा, चिकित्सा जैसे अहम मुद्दे हमेशा यहां के चुनाव से गायब ही रहे हैं.