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मैनपाट का दर्द, क्या है हर साल हो रही मौत का सच

सरगुजा में डायरिया की वजह से हो रही लोगों की मौत पर लगाम लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने मुहिम चलाई है.

पी एस सिसोदिया, सीएमएचओ
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Published : Apr 25, 2019, 9:41 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

सरगुजा: आदिवासी, वनांचल और अद्भूत परंपराओं की धनी सरगुजा की धरती में रहने वाले लोगों की ओर से बनाए गए नियम और परंपरा इन्हीं की जान की दुश्मन बन गई है.

डायरिया से हो रही लोगों की मौत


देसी शराब पीते हैं लोग
सीएमएचओ पीएस सिसोदिया ने बताया कि 'इलाके में रहने वाले लोग देसी शराब बनाकर उसका सेवन करते हैं और इसी वजह से वो धीरे-धीरे बीमारी के आगोश में आ जाते हैं, जो आगे चलकर उनकी जिंदगी पर भारी पड़ जाती है'.


30 मरीजों का किया इलाज
उन्होंने कहा कि 'इस साल स्वास्थ्य विभाग की टीम ने एहतियातन बीमारी को बढ़ने से पहले ही रोकने के प्रयास किए. इसका असर यह हुआ कि अभी तक यहां एक भी आदिवासी की मौत नहीं हुई है. फूड प्वॉयजनिंग से पीड़ित 30 मरीजों का इलाज किया गया. यहां रहने वाले ग्रामीण 3 दिन पुराना मांस खाते हैं, चावल को सड़ाकर बनने वाली "हड़िया" शराब का सेवन करते हैं, जिससे वो इन बीमारियों के शिकार हो रहे हैं'.


समाज को निभानी होगी जिम्मेदारी
उन्होंने कहा कि 'लोगों को स्वस्थ और स्वच्छ खान-पान के प्रति ग्रामीणों को जागरूक करने की दिशा में पूरे सरकारी तंत्र को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी, तभी इस समस्या से निपट पाना संभव है'.


ये हैं मौत के आंकड़े
बता दें कि बीते कई साल में इस इलाके में लोगों के उल्टी-दस्त और डायरिया का शिकार होने और उनकी मौत की खबर आती रही है. साल 2014 में इस बीमारी की चपेट में 1 हजार 194 लोग आए थे, जिनमें से चार लोगों की मौत हुई थी. मरने वालों में मैनपाट से तीन लोग शामिल थे.


भूख से हुई थी मौत
साल 2015 में डायरिया से कोई मौत नहीं हुई थी, जबकी 1697 लोगों में बीमारी के लक्षण पाए गए थे. बता दें कि मई 2015 में एक बच्चे का शव जंगल में मिला था, दरअसल बच्चा अपने पिता से शिवकुमार से बिछड़ गया था और भूख से उसकी मौत हो गई थी.


आंत्रशोध से हुई थी मौत
मामले में तत्कालीन सरकार के घिरने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने आंत्रशोध से मौत होना बताया था, लिहाजा इस मामले में भी गलती किसी एक की नहीं बल्कि पूरे सरकारी तंत्र की सामने आई थी.


सिस्टम ने नहीं लिया सबक
बावजूद इसके सिस्टम ने सबक नहीं लिया और 2016 में 2 हजार 695 लोगों को डायरिया की बीमारी हुई, जिसमें से 10 लोग मौत के आगोश में समां गए. 10 में से 9 मौतें अकेले मैनपाट में हुई थी. वहीं साल 2017 में 3 हजार 556, 2018 में 3 हजार 593 लोगों के डायरिया से पीड़ित होने का दावा खुद स्वास्थ्य विभाग ने किया, लेकिन 2017-018 में एक भी मौत न होने का दावा किया गया.

सरगुजा: आदिवासी, वनांचल और अद्भूत परंपराओं की धनी सरगुजा की धरती में रहने वाले लोगों की ओर से बनाए गए नियम और परंपरा इन्हीं की जान की दुश्मन बन गई है.

डायरिया से हो रही लोगों की मौत


देसी शराब पीते हैं लोग
सीएमएचओ पीएस सिसोदिया ने बताया कि 'इलाके में रहने वाले लोग देसी शराब बनाकर उसका सेवन करते हैं और इसी वजह से वो धीरे-धीरे बीमारी के आगोश में आ जाते हैं, जो आगे चलकर उनकी जिंदगी पर भारी पड़ जाती है'.


30 मरीजों का किया इलाज
उन्होंने कहा कि 'इस साल स्वास्थ्य विभाग की टीम ने एहतियातन बीमारी को बढ़ने से पहले ही रोकने के प्रयास किए. इसका असर यह हुआ कि अभी तक यहां एक भी आदिवासी की मौत नहीं हुई है. फूड प्वॉयजनिंग से पीड़ित 30 मरीजों का इलाज किया गया. यहां रहने वाले ग्रामीण 3 दिन पुराना मांस खाते हैं, चावल को सड़ाकर बनने वाली "हड़िया" शराब का सेवन करते हैं, जिससे वो इन बीमारियों के शिकार हो रहे हैं'.


समाज को निभानी होगी जिम्मेदारी
उन्होंने कहा कि 'लोगों को स्वस्थ और स्वच्छ खान-पान के प्रति ग्रामीणों को जागरूक करने की दिशा में पूरे सरकारी तंत्र को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी, तभी इस समस्या से निपट पाना संभव है'.


ये हैं मौत के आंकड़े
बता दें कि बीते कई साल में इस इलाके में लोगों के उल्टी-दस्त और डायरिया का शिकार होने और उनकी मौत की खबर आती रही है. साल 2014 में इस बीमारी की चपेट में 1 हजार 194 लोग आए थे, जिनमें से चार लोगों की मौत हुई थी. मरने वालों में मैनपाट से तीन लोग शामिल थे.


भूख से हुई थी मौत
साल 2015 में डायरिया से कोई मौत नहीं हुई थी, जबकी 1697 लोगों में बीमारी के लक्षण पाए गए थे. बता दें कि मई 2015 में एक बच्चे का शव जंगल में मिला था, दरअसल बच्चा अपने पिता से शिवकुमार से बिछड़ गया था और भूख से उसकी मौत हो गई थी.


आंत्रशोध से हुई थी मौत
मामले में तत्कालीन सरकार के घिरने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने आंत्रशोध से मौत होना बताया था, लिहाजा इस मामले में भी गलती किसी एक की नहीं बल्कि पूरे सरकारी तंत्र की सामने आई थी.


सिस्टम ने नहीं लिया सबक
बावजूद इसके सिस्टम ने सबक नहीं लिया और 2016 में 2 हजार 695 लोगों को डायरिया की बीमारी हुई, जिसमें से 10 लोग मौत के आगोश में समां गए. 10 में से 9 मौतें अकेले मैनपाट में हुई थी. वहीं साल 2017 में 3 हजार 556, 2018 में 3 हजार 593 लोगों के डायरिया से पीड़ित होने का दावा खुद स्वास्थ्य विभाग ने किया, लेकिन 2017-018 में एक भी मौत न होने का दावा किया गया.

Intro:सरगुजा : आदिवासी, वननांचल और अद्भुत परंपराओं की धनी सरगुजा की धरती में यहां के लोगो के द्वारा ही बनाये गए नियम व परंपरा इन्ही की जान की दुश्मन बनी हुई है, लोग मौत की आगोश में समा जाते हैं, लेकिन फिर भी सतर्क नही होते है, हम बात कर रहे हैं यहां के लोगो के खानपान के तरीके की जो विषाक्त हो जाता है, फिर भी लोग उसका सेवन करते है और फिर बीमारीयो का शिकार होते हैं, हर वर्ष ग्रीष्म ऋतु आते ही सरगुजा की सबसे खूबसूरत जगह मैनपाठ से ही बुरी खबरे आनी शुरू हो जाती थी, लेकिन इस वर्ष स्वास्थ्य विभाग ने वो कर दिखाया जो पिछले कई वर्षों में नही हुआ, इस वर्ष बीमारी को बढ़ने से पहले ही रोका गया और एक भी मौत नही हुई।


Body:दरअसल हमने स्वास्थ्य विभाग से ही आंकड़े प्राप्त किये हैं, जिनमे पिछले कई वर्षो में इस क्षेत्र में उल्टी दस्त यानी की डायरिया से मौत और अधिक संख्या में बीमार होने की बात सामने आई है, वर्ष 2014 में इस बीमारी से सरगुजा में 4 मौत हुई, और 1194 लोग डायरिया की चपेट में आये, जिसमे 3 मौत अकेले मैनपाट क्षेत्र में हुई, वर्ष 2015 में स्वास्थ्य विभाग ने डायरिया से कोई मौत ना होना बताया है, और 1697 लोग इस वर्ष डायरिया से ग्रसित हुए थे। लेकिन यहां पर हम आपको एक घटना की याद दिला देते हैं जो मई 2015 में हुई थी, इस मामले में जंगल मे एक बच्चे का मृत शरीर जंगल मे मिला था, यह बच्चा था माँझी आदिवासी शिवकुमार जो जंगल मे अपने पिता से बिछड़ गया और भूख से उसकी मौत हो गई थी, औऱ इस मामले में घिरी तत्कालीन सरकार को बचाने स्वास्थ्य विभाग ने आंत्रशोध से मौत होना बताया था, लिहाजा इस मामले में भी गलती किसी एक की नही बल्कि पूरे सरकारी तंत्र की सामने आई थी, फिर भी सबक नही लिया गया।, वही 2016 के आंकड़े भयावह है, इस वर्ष 2695 लोग डायरिया से पीड़ित हुए और इनमे से 10 की मौत हो गई, इन 10 मे भी 9 मौत मैनपाठ क्षेत्र में हुई। वहीं वर्ष 2017 में 3556 2018 में 3593 लोगो का डायरिया से पीड़ित होने का दावा खुद स्वास्थ्य विभाग कर रहा है, लेकिन 17-18 में एक भी मौत ना होने का दावा स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया गया है, हालाकी स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े उनकी सहूलियत के हिसाब से तय किये जाते हैं, मौत और बीमारी के आंकड़े इससे थोड़ा अधिक ही होते हैं।


Conclusion:बहरहाल सरगुजा स्वास्थ विभाग पर आखिर बार बार सवालिया निशान इसी वजह से लगते थे, क्योंकी जब मौत हो जाती थी तब स्वास्थ्य अमला दवाइयां और कैम्प लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में दौड़ता था और बात हाथ से निकल जाने के बाद लोगो का उपचार किया जाता था, लेकिन इस वर्ष स्वास्थ विभाग ने जो प्रयास किया है वो काबिले तारीफ है, मैनपाठ क्षेत्र में एक बार फिर डायरिया का प्रकोप और इस प्रकोप से लोगो की मौत होने से बचाया है, वक्त रहते जिले के सीएमएचओ ने स्थिति को नियंत्रित किया है, और फ़ूड प्वायजनिंग से पीड़ित 30 मरीजों को डायरिया, आंत्र शोध और फिर मौत के कहर से बचाया है, यह उनकी तत्परता से ही संभव हो सका है, आपको बतादें की जिले में जब से नए सीएमएचओ के रूप में डॉ पी एस सिसोदिया आये हैं विभाग के निचले कर्मचारियों और अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है, क्योकी यह साहब आफिस में नही बैठते ये कभी भी अपना वाहन उठाते हैं और अचानक किसी भी स्वास्थ केंद्र के औचक निरीक्षण में पहुंच जाते हैं नतीजन लापरवाह अधिकारी डांट या कार्यवाही के शिकार होते है, पर इस कार्यशैली ने स्वास्थ्य सिस्टम को सही कर दिया है, और इस मामले में भी सीएमएचओ की यही तत्परता ने लोगो की जान बचाई, उन्हें जैसे ही खबर लगी रात डेढ़ बजे वो 50 किलोमीटर दूर स्थित गांव पहुंच गए औऱ सबसे पहले पीडितों का इलाज शुरू कराया औऱ ग्रामीणों को दूषित भोजन और शराब को फेकने पर मजबूर किया।

लेकिन सीएमएचओ का मानना है की उनके द्वारा पीड़ित को बचाया जा सकता है एक डॉक्टर का यही फर्ज है लेकिन जब तक ग्रामीणों में जागरूकता नही आएगी तब तक इस समस्या पर काबू पाना असंभव है, दअरसल ग्रामीण 3 दिन पुराना मांस खाते हैं, चावल को सड़ा कर बनने वाली "हड़िया" शराब का सेवन करते हैं जिससे वो इन बीमारियों के शिकार होते है, लिहाजा स्वस्थ और स्वच्छ खान पान के प्रति ग्रामीणों को जागरूक करने की दिशा में पूरे सरकारी तंत्र को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी तभी इस समस्या से निपट पाना संभव है।

बाइट01_पीएस सिसोदिया (सीएमएचओ सरगुजा)

देश दीपक सरगुजा

नोट- स्वास्थ विभाग से प्राप्त आंकड़ो का पीडीएफ औऱ मैनपाठ में पूर्व में हुई मौत के फाइल फुटेज मेल से जाएंगे।
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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