अंबिकापुर: कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण पर ब्रेक लगाने के लिए देशभर में लॉकडाउन है, जिससे कोविड-19 की महामारी फैल न सके, लेकिन जो प्रवासी मजदूर हैं, उनके लिए लॉकडाउन काल बन गया है. दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों के पास अब न तो रहने का ठिकाना है, न ही खाने-पीने का कहीं सहारा बचा है. ऐसे में मजदूर तबके के लोग भारी संख्या में अपने घरों के लिए रवाना हो रहे हैं.
मजदूर खा रहे थे दर-दर की ठोकर, मदद के लिए आए पूर्व विधायक
अंबिकापुर के खरसिया नाका में सैकड़ों की संख्या में मजदूर बड़े-बड़े ट्रकों में भरकर अपने घरों के लिए जाते नजर आए. मजदूरों ने बताया कि उनमें से कुछ नागपुर (महाराष्ट्र) से पैदल चलकर बिहार के लिए निकले हैं. तो कुछ पैदल ही झारखंड जा रहे हैं.
कोरबा: प्रवासी मजदूरों को रोकने के लिए सड़कों पर लगाए गए बैरिकेड्स
मजदूरों की मदद करने वाला कोई नहीं
मजदूरों का कहना है कि वह कुछ दूर पैदल चलते हैं, तो कुछ दूर तक ट्रक से लिफ्ट लेकर सफर कर रहे हैं. साथ ही मजदूर शासन-प्रशासन से मदद की गुहार भी लगा रहे हैं, लेकिन मजदूरों की मदद करने वाला कोई नहीं है. अब सड़कों पर चलने वाले ट्रक ही उनके लिए सहारा बने हुए हैं, जो कुछ हद तक मदद कर रहे हैं, नहीं तो उनको पैदल ही सफर करना पड़ रहा है.
न खाना और न मजदूरी, साइकिल से बिहार के लिए निकल पड़े मजदूर
झारखंड और बिहार के लिए निकले हैं मजदूर
मजदूरों का कहना है कि वह भूखे पेट सैकड़ों किलोमीटर से पैदल चलते हुए अपने घर झारखंड और बिहार के लिए निकले हैं, जो पता नहीं कब अपने घर का आंगन देख पाएंगे. किस्मत की बेबसी और परिवार से मिलने की उम्मीद लेकर सफर कर रहे हैं.