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भगवान इंद्र को खुश करने के लिए निकाली गई मेंढक की बारात

लुंड्रा विकासखंड के धौरपुर में एक मेंढ़क की धूमधाम से बारात निकाली गई. पिछले एक पखवाड़े से जिले के किसी भी इलाके में बारिश की एक बूंद तक नहीं गिरी है. यही वजह है कि लोगों ने इंद्र देव को मनाने के लिए टोने-टोटके का सहारा लिया और मेंढक की शादी कराई.

मेंढक-मेंढकी की शादी
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Published : Jul 20, 2019, 7:58 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

सरगुजा: मौसम की बेरुखी से परेशान लोग अब टोने-टोटके का सहारा ले रहे हैं. सरगुजा में अच्छी बारिश के लिए लोग अब मेंढक की शादी करा रहे हैं. जिले के लुंड्रा विकासखंड के धौरपुर में एक मेंढ़क की धूमधाम से बारात निकाली गई.

भगवान इंद्र को खुश करने के लिए निकाली गई मेंढक की बारात

मेंढक की शादी के दौरान लोगों ने बैंड-बाजों की धुन पर जमकर नाचे. इस शादी समारोह को देखने के लिए सैकड़ों की संख्या में लोग वहां मौजूद रहे. दरअसल, जिले में कई दिनों से बारिश नहीं हो रही है. खेतों में लगी फसल सूख रहे हैं. वहीं आधे से ज्यादा किसानों ने अभी तक बुआई भी नहीं की है. ऐसे में लोगों ने अच्छी बारिश के लिए मेंढक के साथ मेंढकी की धूमधाम से शादी करने का फैसला लिया. जिसके बाद मेंढक की बारात निकाल लोगों ने धूमधाम से उसकी शादी कराई. बारात में आये लोगों के लिए मेंढकी पक्ष के लोगों ने भव्य स्वागत कर भोज का आयोजन भी किया था.

पढ़ें- रायगढ़ में 3 करोड़ की लागत से बनेगा वर्किंग वुमन हॉस्टल, निगम ने की राशि स्वीकृत

सरगुजा के धौरपुर समेत आसपास के दर्जनों गांव सूखे की मार झेल रहे हैं. पिछले एक पखवाड़े से इलाके में बारिश नहीं होने के कारण रोपा-बोनी का काम भी ठप पड़ा हुआ है. मान्यता है कि मेंढक की बारात निकालने से बारिश के देवता इंद्र देव प्रसन्न होते हैं और अच्छी बारिश होती है. पिछले एक पखवाड़े से जिले के किसी भी इलाके में बारिश की एक बूंद तक नहीं गिरी है. यही वजह है कि लोगों ने इंद्र देव को मनाने के लिए टोने-टोटके का सहारा लिया और मेंढक की शादी कराई.

सरगुजा: मौसम की बेरुखी से परेशान लोग अब टोने-टोटके का सहारा ले रहे हैं. सरगुजा में अच्छी बारिश के लिए लोग अब मेंढक की शादी करा रहे हैं. जिले के लुंड्रा विकासखंड के धौरपुर में एक मेंढ़क की धूमधाम से बारात निकाली गई.

भगवान इंद्र को खुश करने के लिए निकाली गई मेंढक की बारात

मेंढक की शादी के दौरान लोगों ने बैंड-बाजों की धुन पर जमकर नाचे. इस शादी समारोह को देखने के लिए सैकड़ों की संख्या में लोग वहां मौजूद रहे. दरअसल, जिले में कई दिनों से बारिश नहीं हो रही है. खेतों में लगी फसल सूख रहे हैं. वहीं आधे से ज्यादा किसानों ने अभी तक बुआई भी नहीं की है. ऐसे में लोगों ने अच्छी बारिश के लिए मेंढक के साथ मेंढकी की धूमधाम से शादी करने का फैसला लिया. जिसके बाद मेंढक की बारात निकाल लोगों ने धूमधाम से उसकी शादी कराई. बारात में आये लोगों के लिए मेंढकी पक्ष के लोगों ने भव्य स्वागत कर भोज का आयोजन भी किया था.

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सरगुजा के धौरपुर समेत आसपास के दर्जनों गांव सूखे की मार झेल रहे हैं. पिछले एक पखवाड़े से इलाके में बारिश नहीं होने के कारण रोपा-बोनी का काम भी ठप पड़ा हुआ है. मान्यता है कि मेंढक की बारात निकालने से बारिश के देवता इंद्र देव प्रसन्न होते हैं और अच्छी बारिश होती है. पिछले एक पखवाड़े से जिले के किसी भी इलाके में बारिश की एक बूंद तक नहीं गिरी है. यही वजह है कि लोगों ने इंद्र देव को मनाने के लिए टोने-टोटके का सहारा लिया और मेंढक की शादी कराई.

Intro:सरगुजा - तस्वीरों में आप जिस उत्सव को देख रहे हैं वो कोई आम उत्सव नही है, बल्कि यह एक अनूठे विवाह का जश्न है, दरअसल यहां मेंढक का विवाह रचाया जा रहा है, है ना अजीब बात भला मेंढ़क का विवाह कौन कराता है, लेकिन सरगुजा जिले के लुंड्रा विकासखंड के धौरपुर में लोगो ने मेंढक का विवाह कराया और बढ़े धूम धाम से यह विवाह सम्पन्न हुआ।


Body:मौसम की बेरुखी, सूखे की समस्या से जूझ रहे ग्रामीणों ने वर्षा के देवता भगवान इंद्र को खुश करने विधि विधान से मेंढक मेंढकी का विवाह रचाया, ग्रामीणों ने पूरे रीति रिवाज से इस शादी को संपन्न किया शादी में हल्दी मटकोर की रस्म पूरी की और साथ ही सज धज कर डीजे व बैंड बाजा के साथ मेंढक की बारात निकाली, मेढकी पक्ष द्वारा बारातियों का भव्य स्वागत कर भोज का आयोजन किया गया।

सरगुजा जिले के तहसील मुख्यालय धौरपुर सहित आसपास के दर्जनों गांव सूखे से जूझ रहे हैं पिछले एक पखवाड़े से वर्षा नहीं होने के कारण रोपा बोनी का कार्य ठप पड़ा हुआ है वहीं धान व अन्य फसलें सूख रही हैं वर्षा के लिए इंद्र को प्रसन्न करने ग्रामीणों ने विधि विधान से मेंढक मेंढकी का विवाह रचाने का निर्णय लिया, सुबह सवेरे हल्दी व मटकोड की रस्म पूरी की गई,,ग्रामीणों को विश्वास है कि मेंढक मेंढकि के विवाह के बाद अच्छी बरसात होगी तथा उनकी सूख रही फसल बच जाएगी ।
Conclusion:
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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