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मैनपाट में भूस्खलन : जमीन में आई दरारें, अपनी जगह से खिसके घर दहशत में ग्रामीण

सरगुजा के मैनपाट में लगातार बारिश के बाद बिसरपानी में भूस्खलन देखने मिला है. बिसरपानी में कई जगहों पर 4 से 5 फीट की जमीन में दरारें आ गई हैं.

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मैनपाट में भूस्खलन
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Published : Aug 3, 2021, 7:31 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा : मैनपाट में हाथी के बाद अब प्रकृति ने भी अपना कहर बरपाया है. क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश के कारण मैनपाट के बिसरपानी में भूस्खलन की घटना सामने आई है. भूस्खलन के कारण बिसरपानी में कई स्थानों ओर जमीन में 4 से 5 फीट की दरारें आ गई है. जबकि कई स्थानों पर जमीन ऊपर उठ गई है. इस भूस्खलन का असर ग्रामीणों के घरों पर पड़ा है. भूस्खलन के कारण कई ग्रामीणों के घर क्षतिग्रस्त हुए है और लोगों के घरों में दरारें आ गई है. घरों में आई दरारों के कारण लोगों में दहशत का माहौल है. हालांकि अब तक इस घटना के कारण किसी प्रकार का नुकसान नहीं हुआ है.

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घरों में आई दरारें
सरगुजा जिले में पिछले दिनों जमकर बारिश हुई है. बारिश के कारण एक तरफ नदी-नाले उफान पर है तो वहीं अब मैनपाट में प्रकृति का प्रकोप नजर आया है. मैनपाट के बिसरपानी में बीती रात अचानक भूस्खलन हुआ है. भूस्खलन के कारण मैनपाट की इस समतल जमीन में बड़ी-बड़ी दरारें बन गई है. आधी रात हुई घटना के बाद पूरे गांव में हड़कंप मच गया है. जमीन के खिसकने से हुई कंपन के बाद लोग अपने घरों से बाहर निकल आए और पूरी रात दहशत में गुजारी. आज भी लोगों के चेहरे पर डर का माहौल साफ नजर आ रहा था लोग अपने घरों में जाने से कतरा रहे थे. मैनपाट में हुए इस भूस्खलन को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि यह घटना लगातार हुई बारिश और जमीन के नीचे मिट्टी गीली हो गई है. इसके साथ ही क्षेत्र में लगातार हो रहे उत्खनन और पेड़ों की कटाई के कारण जमीन कमजोर हो गई है. इसके साथ ही भारी वाहनों के आवागमन के कारण हो रही कम्पन के कारण यह स्थिति निर्मित हुई है.
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क्षतिग्रस्त हुए घर

जानिये ग्रामीणों का विज्ञान 'टेड़ा' की खासियत


भूगोल के जानकार डॉ अनिल सिन्हा ने इस घटना को समय प्रक्रिया बताया है, उन्होंने कहा की ऐसा जमीन में वनस्पति की कमी से होता है, जिन पठारों में खनिज की अधिकता होती है वहां मिट्टी की साथ खोखली होती है और अत्यधिक वर्षा के कारण ऐसा होना संभव है.

भविष्य में हो सकता है बड़ा नुकसान

विशेषज्ञों का मानना है कि जिस तरह से मैनपाट में उत्खनन और पेड़ों की कटाई हो रही है उससे काफी नुकसान हुआ है. यदि इस तरह पेड़ों की कटाई व उत्खनन जारी रहा तो आने वाले समय में जबरजस्त भूस्खलन हो सकता है और इससे भारी नुकसान होगा. विशेषज्ञ भारी बारिश होने से भी नुकसान होने की बात कह रहे हैं. बताया जा रहा है कि जमीन के नीचे बने गड्ढों में पानी भरने से एक तरफ खिंचाव होने की संभावना भी है जिससे नुकसान हो सकता है.

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खेत में पड़ी दरारें
लगातार हो रहा उत्खनन और जंगल का कटावसमुद्र तल से लगभग 6 हजार फीट की ऊंचाई पर बसे मैनपाट को छत्तीसगढ़ का शिमला कहा जाता है, लेकिन अब इस मैनपाट में भूमाफियाओं की नजर पड़ चुकी है और जंगल मे बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई की जा रही है. जबकि यहां बॉक्साइट उत्खनन का कार्य भी तेजी से चल रहा है. उत्खनन व पेड़ों की कटाई के कारण मैनपाट की जमीन को नुकसान तो हो ही रहा है इसका सीधा असर यहां के मौसम पर भी पड़ा है.

सरगुजा : मैनपाट में हाथी के बाद अब प्रकृति ने भी अपना कहर बरपाया है. क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश के कारण मैनपाट के बिसरपानी में भूस्खलन की घटना सामने आई है. भूस्खलन के कारण बिसरपानी में कई स्थानों ओर जमीन में 4 से 5 फीट की दरारें आ गई है. जबकि कई स्थानों पर जमीन ऊपर उठ गई है. इस भूस्खलन का असर ग्रामीणों के घरों पर पड़ा है. भूस्खलन के कारण कई ग्रामीणों के घर क्षतिग्रस्त हुए है और लोगों के घरों में दरारें आ गई है. घरों में आई दरारों के कारण लोगों में दहशत का माहौल है. हालांकि अब तक इस घटना के कारण किसी प्रकार का नुकसान नहीं हुआ है.

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घरों में आई दरारें
सरगुजा जिले में पिछले दिनों जमकर बारिश हुई है. बारिश के कारण एक तरफ नदी-नाले उफान पर है तो वहीं अब मैनपाट में प्रकृति का प्रकोप नजर आया है. मैनपाट के बिसरपानी में बीती रात अचानक भूस्खलन हुआ है. भूस्खलन के कारण मैनपाट की इस समतल जमीन में बड़ी-बड़ी दरारें बन गई है. आधी रात हुई घटना के बाद पूरे गांव में हड़कंप मच गया है. जमीन के खिसकने से हुई कंपन के बाद लोग अपने घरों से बाहर निकल आए और पूरी रात दहशत में गुजारी. आज भी लोगों के चेहरे पर डर का माहौल साफ नजर आ रहा था लोग अपने घरों में जाने से कतरा रहे थे. मैनपाट में हुए इस भूस्खलन को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि यह घटना लगातार हुई बारिश और जमीन के नीचे मिट्टी गीली हो गई है. इसके साथ ही क्षेत्र में लगातार हो रहे उत्खनन और पेड़ों की कटाई के कारण जमीन कमजोर हो गई है. इसके साथ ही भारी वाहनों के आवागमन के कारण हो रही कम्पन के कारण यह स्थिति निर्मित हुई है.
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क्षतिग्रस्त हुए घर

जानिये ग्रामीणों का विज्ञान 'टेड़ा' की खासियत


भूगोल के जानकार डॉ अनिल सिन्हा ने इस घटना को समय प्रक्रिया बताया है, उन्होंने कहा की ऐसा जमीन में वनस्पति की कमी से होता है, जिन पठारों में खनिज की अधिकता होती है वहां मिट्टी की साथ खोखली होती है और अत्यधिक वर्षा के कारण ऐसा होना संभव है.

भविष्य में हो सकता है बड़ा नुकसान

विशेषज्ञों का मानना है कि जिस तरह से मैनपाट में उत्खनन और पेड़ों की कटाई हो रही है उससे काफी नुकसान हुआ है. यदि इस तरह पेड़ों की कटाई व उत्खनन जारी रहा तो आने वाले समय में जबरजस्त भूस्खलन हो सकता है और इससे भारी नुकसान होगा. विशेषज्ञ भारी बारिश होने से भी नुकसान होने की बात कह रहे हैं. बताया जा रहा है कि जमीन के नीचे बने गड्ढों में पानी भरने से एक तरफ खिंचाव होने की संभावना भी है जिससे नुकसान हो सकता है.

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खेत में पड़ी दरारें
लगातार हो रहा उत्खनन और जंगल का कटावसमुद्र तल से लगभग 6 हजार फीट की ऊंचाई पर बसे मैनपाट को छत्तीसगढ़ का शिमला कहा जाता है, लेकिन अब इस मैनपाट में भूमाफियाओं की नजर पड़ चुकी है और जंगल मे बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई की जा रही है. जबकि यहां बॉक्साइट उत्खनन का कार्य भी तेजी से चल रहा है. उत्खनन व पेड़ों की कटाई के कारण मैनपाट की जमीन को नुकसान तो हो ही रहा है इसका सीधा असर यहां के मौसम पर भी पड़ा है.
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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