सरगुजा: लिट्टी चोखा, मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और उत्तरप्रदेश में प्रचलित यह व्यंजन छत्तीसगढ़ के सरगुज़ा में भी पसंद किया जाता है. इन्हीं प्रदेशों से ज्यादातर संबंध रखने वाले लोगों की बहुलता होने के कारण यहां लिट्टी चोखा की डिमांड रहती है. संभाग मुख्यालय अम्बिकापुर में कई ठेलों में आपको लिट्टी चोखा मिल जायेगा, लेकिन थाना चौक के सोनी जी के लिट्टी चोखे की बात ही निराली है, लोग इनकी ही लिट्टी खाना पसंद करते हैं.
पड़ोसी राज्यों का असर
दरअसल उत्तर छत्तीसगढ़ यानी की सरगुज़ा संभाग जो झारखंड, और उत्तर प्रदेश की सीमा से सटा हुआ है. जाहिर है इस वजह से सरगुज़ा में पड़ोसी राज्यों के लोगों का आना जाना अधिक है और सरगुज़ा में ज्यादातर लोग झारखंड, बिहार और उत्तरप्रदेश से आकर बसे हैं. यही कारण है कि, सरगुज़ा की संस्कृति में पड़ोसी राज्यों की संस्कृति का मिश्रण मिलता है.पड़ोसी राज्यों के त्योहार, वहां की संस्कृति और वहां के व्यंजन भी सरगुज़ा में पाये जाते हैं. बिहार, झारखण्ड और उत्तरप्रदेश का सबसे मशहूर व्यंजन है लिट्टी चोखा और सरगुज़ा में भी इसके खाने वालों की संख्या अधिक है, और यही कारण है की यहां लिट्टी के कई ठेले आपको मिल जायेंगे
लेकिन जब किसी व्यंजन की बात हो तो सबसे पहले स्वाद महत्वपूर्ण होता है और लिट्टी चोखे के स्वाद के लिए आपको अम्बिकापुर के थाना चौक में सोनी जी की लिट्टी खानी होगी, सोनी जी 30 वर्षों से थाना चौक में लिट्टी चोखा बेच रहे हैं. लिट्टी का रेट भी काफी अधिक है. 30 रुपए की एक लिट्टी है लेकिन फर भी लोग इनकी लिट्टी के दीवाने हैं और इसका कारण है की इन्होंने अपनी लिट्टी में कोई नया प्रयोग ना करते हुये बिहार, झारखंड के पारंपरिक तरीके से ही लिट्टी को तैयार करते हैं.
कैसे बनती है लिट्टी
सबसे पहले गेहूं के आटे को गूंथ लिया जाता है, औए फिर इसकी छोटी छोटी लोई कर ली जाती है. अब इस लोई में सत्तू का मसाला भरा जाता है. सत्तू का मसाला तैयार करने में सत्तू, सरसों का तेल, हरी मिर्च, अमचूर, प्याज, लहसुन का उपयोग किया जाता है. आंटे की लोई के बीच मे सत्तू भरकर लिट्टी को गोल आकर दिया जाता है और फिर इसे कंडे की धीमी आग में सेका जाता है. इसी प्रकार लिट्टी के साथ खाने के लिए चोखा और चटनी बनाई जाती है, चोखे में उबला हुआ आलू, भुना हुआ टमाटर, हरी मिर्च और धनिया पत्ती डाली जाती है. इसके अलावा, इसे और चटपटा बनाने के लिए हरी मिर्च और धनियापत्ती की चटनी पीस कर रखी जाती है. जिससे लिट्टी चोखे के स्वाद में और भी निखार आ जाता है. लिट्टी तैयार होने के बाद इसे शुद्ध घी से भरे बर्तन के डाल दिया जाता है और 10 सेकेंड के बाद इसे घी से निकालकर चोखे और चटनी के साथ परोस दिया जाता है. इस तरह लोग लिट्टी चोखा खाते हैं
बहरहाल अगर आप भी सरगुज़ा में आये हैं और लिट्टी चोखा खाने के शौकीन हैं तो सोनी जी का लिट्टी चोखा खाना न भूलें.