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21वीं सदी में छत्तीसगढ़ी गहने हो गए हैं गुम, मुंदरी और पैरी की याद दिला रही हैं शांता

छत्तीसगढ़ी ज्वेलरी इस 21वीं सदी में गुम हो गई है. इसकी महत्ता और प्रभाव को बताने के लिए भिलाई की शांता शर्मा ने घूम-घूम कर लोगों को इसके फायदे बताए और आगे भी लोगों को जागरुक करने की बात कही हैं.

भिलाई की शांता शर्मा
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Published : Jul 8, 2019, 10:47 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

सरगुजा : मुंदरी, बिछिया, पैरी, पैजन, करधन ये सारे नाम शायद आज की युवा पीढ़ी ने नहीं सुनी होगी. पश्चिमी सभ्यता के इस फैशन की दौड़ में ये सारे नाम गुम से हो गए हैं. इस नाम और छत्तीसगढ़ी गहनों के महत्व को बताने के लिए भिलाई की शांता शर्मा निकल पड़ी हैं. इन्होंने इस परम्परा को जिंदा रखने का बीड़ा उठाया है.

भिलाई की शांता शर्मा ने बताया छत्तीसगढी गहनों का महत्व

भिलाई की रहने वाली शांता शर्मा इन दिनों सरगुजा संभाग के अलग-अलग क्षेत्रो में घूम रही हैं. स्कूलों में जाकर युवा पीढ़ी को छत्तीसगढ़ के पारंपरिक गहनों से किये जाने वाले श्रृंगार के महत्व को बता रही हैं.

छत्तीसगढ़ी श्रृंगार से बीमारियां रहती हैं दूर
शर्मा का मानना है कि इन गहनों से श्रृंगार करने वाली महिलाओं को बीमारियां नहीं घेरती हैं. हर गहने को धारण करने का अपना एक अलग ही महत्व है. वहीं हर एक गहने से महिलाओं को कई बीमारियों से छुटकारा मिलता है, लेकिन फैशन के दौर में युवा पीढ़ी इन गहनों से दूर भागती है और बीमारी को न्योता देती है.

चला रही हैं जागरूकता अभियान
बहरहाल, शांता ने युवा पीढ़ी में छत्तीसगढ़ के पारंपरिक गहनों की अलख जगाने का बीड़ा उठाया है. साथ ही वे अपने साथ छत्तीसगढ़ी गहनों से भरा बैग लेकर स्कूलों में पहुंचकर जागरूकता अभियान चला रही हैं.

सरगुजा : मुंदरी, बिछिया, पैरी, पैजन, करधन ये सारे नाम शायद आज की युवा पीढ़ी ने नहीं सुनी होगी. पश्चिमी सभ्यता के इस फैशन की दौड़ में ये सारे नाम गुम से हो गए हैं. इस नाम और छत्तीसगढ़ी गहनों के महत्व को बताने के लिए भिलाई की शांता शर्मा निकल पड़ी हैं. इन्होंने इस परम्परा को जिंदा रखने का बीड़ा उठाया है.

भिलाई की शांता शर्मा ने बताया छत्तीसगढी गहनों का महत्व

भिलाई की रहने वाली शांता शर्मा इन दिनों सरगुजा संभाग के अलग-अलग क्षेत्रो में घूम रही हैं. स्कूलों में जाकर युवा पीढ़ी को छत्तीसगढ़ के पारंपरिक गहनों से किये जाने वाले श्रृंगार के महत्व को बता रही हैं.

छत्तीसगढ़ी श्रृंगार से बीमारियां रहती हैं दूर
शर्मा का मानना है कि इन गहनों से श्रृंगार करने वाली महिलाओं को बीमारियां नहीं घेरती हैं. हर गहने को धारण करने का अपना एक अलग ही महत्व है. वहीं हर एक गहने से महिलाओं को कई बीमारियों से छुटकारा मिलता है, लेकिन फैशन के दौर में युवा पीढ़ी इन गहनों से दूर भागती है और बीमारी को न्योता देती है.

चला रही हैं जागरूकता अभियान
बहरहाल, शांता ने युवा पीढ़ी में छत्तीसगढ़ के पारंपरिक गहनों की अलख जगाने का बीड़ा उठाया है. साथ ही वे अपने साथ छत्तीसगढ़ी गहनों से भरा बैग लेकर स्कूलों में पहुंचकर जागरूकता अभियान चला रही हैं.

Intro:सरगुज़ा : मुंदरी, बिछिया, पैरी, पैजन, करधन ये सारे नाम भी शायद आज की युवा पीढी ने नही सुने होंगे, पश्चिमी सभ्यता के फैशन की दौड़ में भारतीय श्रृंगार खो चुका है, खास कर छत्तीसगढ़ के पारंपरिक गहनों का श्रृंगार अब कम ही देखा जाता है, विलुप्त हो रही इस विरासत को फिर से जीवित करने का बीड़ा एक महिला ने उठाया है और यह महिला अकेले ही निकल पड़ी है पूरे प्रदेश की युवा पीढी को छत्तीसगढ़ के पारंपरिक गहनों के महत्व को बताने।


Body:दरअसल भिलाई की रहने वाली शांता शर्मा इन दिनों सरगुज़ा संभाग के अलग अलग क्षेत्रो में घूम रहीं हैं, और स्कूलों में जाकर युवा पीढी को छत्तीसगढ़ के पारंपरिक गहनों से किये जाने वाले श्रृंगार के महत्व को बता रही हैं, शांता शर्मा का मानना है की इन गहनों से श्रृंगार करने वाली महिलाओं को बीमारियां नही घेरती हर गहने को धारण करने का अपना एक महत्व है और हर एक गहने से महिलाओं को अलग अलग कई बीमारियों से छुटकारा मिलता है, लेकिन फैशन के दौर में युवा पीढ़ी इन गहनों से दूर भागती है और बीमारी को न्योता देती है।


Conclusion:बहरहाल शांता शर्मा ने युवा पीढी में छत्तीसगढ़ के पारंपरिक गहनों की अलख जगाने का बीड़ा उठाया है, और अपने साथ छत्तीसगढ़ी गहनों से भरा बैग लेकर स्कूलो में जागरूकता अभियान चला रही हैं।

बाईट01_शांता शर्मा (पारंपरिक गहनों की प्रणेता)

देश दीपक सरगुजा
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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