सरगुजा : मुंदरी, बिछिया, पैरी, पैजन, करधन ये सारे नाम शायद आज की युवा पीढ़ी ने नहीं सुनी होगी. पश्चिमी सभ्यता के इस फैशन की दौड़ में ये सारे नाम गुम से हो गए हैं. इस नाम और छत्तीसगढ़ी गहनों के महत्व को बताने के लिए भिलाई की शांता शर्मा निकल पड़ी हैं. इन्होंने इस परम्परा को जिंदा रखने का बीड़ा उठाया है.
भिलाई की रहने वाली शांता शर्मा इन दिनों सरगुजा संभाग के अलग-अलग क्षेत्रो में घूम रही हैं. स्कूलों में जाकर युवा पीढ़ी को छत्तीसगढ़ के पारंपरिक गहनों से किये जाने वाले श्रृंगार के महत्व को बता रही हैं.
छत्तीसगढ़ी श्रृंगार से बीमारियां रहती हैं दूर
शर्मा का मानना है कि इन गहनों से श्रृंगार करने वाली महिलाओं को बीमारियां नहीं घेरती हैं. हर गहने को धारण करने का अपना एक अलग ही महत्व है. वहीं हर एक गहने से महिलाओं को कई बीमारियों से छुटकारा मिलता है, लेकिन फैशन के दौर में युवा पीढ़ी इन गहनों से दूर भागती है और बीमारी को न्योता देती है.
चला रही हैं जागरूकता अभियान
बहरहाल, शांता ने युवा पीढ़ी में छत्तीसगढ़ के पारंपरिक गहनों की अलख जगाने का बीड़ा उठाया है. साथ ही वे अपने साथ छत्तीसगढ़ी गहनों से भरा बैग लेकर स्कूलों में पहुंचकर जागरूकता अभियान चला रही हैं.