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सरगुजा: बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए बनी योजना 'कुपोषण' का शिकार

बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए और गर्भवती महिलाओं को पोषण आहार देने के लिए फुलवारी केंद्र में खाना बनाकर बच्चों और गर्भवती माताओं को भोजन कराया जाता था, लेकिन कुपोषण दूर करने वाली योजना खुद बीते दो साल से कुपोषण का शिकार होती दिख रही है.

फुलवारी केंद्र में महिलाएं
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Published : Apr 2, 2019, 11:16 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

सरगुजा: छत्तीसगढ़ में सरकारी योजनाएं कैसे दम तोड़ रही हैं, इसका ताजा उदाहरण सरगुजा में देखने को मिला है. जिले में संचालित फुलवारी केंद्रों को बीते दो साल से राशि नहीं मिल रही है. इसके कारण फुलवारी केंद्र बंद पड़ा है, लेकिन दो साल के किसी जिम्मेदार ने इसकी सुध तक नहीं ली है.

वीडियो

क्यों खोले गए थे फुलवारी केंद्र

छत्तीसगढ़ में बच्चों को कुपोषण से बचाने, प्रसूताओं और गर्भवती महिलाओं में कमजोरी दूर करने के लिए महिला एवं बाल विकास ने फुलवारी केंद्र खोले थे. 6 माह से 3 वर्ष तक के बच्चों को पोषण आहार देने की योजना थी. बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए और गर्भवती महिलाओं को पोषण आहार देने के लिए फुलवारी केंद्र में खाना बनाकर बच्चों और गर्भवती माताओं को भोजन कराया जाता था, लेकिन कुपोषण दूर करने वाली योजना खुद बीते दो साल से कुपोषण का शिकार होती दिख रही है.

दो साल से बंद पड़ा है केंद्र

सरगुजा जिले के लखनपुर विकासखंड के ग्राम बेलदगी के उतारपारा आंगनबाड़ी केंद्र में संचालित फुलवारी केंद्र पिछले दो वर्षों से बंद पड़ा है. संचालिका का कहना है कि, पहले पैसा आता था तो फुलवारी केंद्र चलता था, लेकिन अब पैसा नहीं आता है, इसलिए फुलवारी केंद्र बंद पड़े हैं.

'दो साल से नहीं आ रहा है पैसा'

वहीं महिला बाल विकास की सुपरवाइजर बताती हैं कि, फुलवारी केंद्र के लिए पैसा ग्राम पंचायत के खाते में आता था और वहीं से सरपंच-सचिव इसे फुलवारी केंद्र को देते थे. जिससे बच्चों को पोषण आहार सहित उनकी जरूरत की तमाम चीजें उपलब्ध कराई जाती थी, लेकिन पिछले 2 साल से पैसा नहीं आ रहा है, इस वजह से फुलवारी केंद्र पड़े हैं.

सरगुजा: छत्तीसगढ़ में सरकारी योजनाएं कैसे दम तोड़ रही हैं, इसका ताजा उदाहरण सरगुजा में देखने को मिला है. जिले में संचालित फुलवारी केंद्रों को बीते दो साल से राशि नहीं मिल रही है. इसके कारण फुलवारी केंद्र बंद पड़ा है, लेकिन दो साल के किसी जिम्मेदार ने इसकी सुध तक नहीं ली है.

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क्यों खोले गए थे फुलवारी केंद्र

छत्तीसगढ़ में बच्चों को कुपोषण से बचाने, प्रसूताओं और गर्भवती महिलाओं में कमजोरी दूर करने के लिए महिला एवं बाल विकास ने फुलवारी केंद्र खोले थे. 6 माह से 3 वर्ष तक के बच्चों को पोषण आहार देने की योजना थी. बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए और गर्भवती महिलाओं को पोषण आहार देने के लिए फुलवारी केंद्र में खाना बनाकर बच्चों और गर्भवती माताओं को भोजन कराया जाता था, लेकिन कुपोषण दूर करने वाली योजना खुद बीते दो साल से कुपोषण का शिकार होती दिख रही है.

दो साल से बंद पड़ा है केंद्र

सरगुजा जिले के लखनपुर विकासखंड के ग्राम बेलदगी के उतारपारा आंगनबाड़ी केंद्र में संचालित फुलवारी केंद्र पिछले दो वर्षों से बंद पड़ा है. संचालिका का कहना है कि, पहले पैसा आता था तो फुलवारी केंद्र चलता था, लेकिन अब पैसा नहीं आता है, इसलिए फुलवारी केंद्र बंद पड़े हैं.

'दो साल से नहीं आ रहा है पैसा'

वहीं महिला बाल विकास की सुपरवाइजर बताती हैं कि, फुलवारी केंद्र के लिए पैसा ग्राम पंचायत के खाते में आता था और वहीं से सरपंच-सचिव इसे फुलवारी केंद्र को देते थे. जिससे बच्चों को पोषण आहार सहित उनकी जरूरत की तमाम चीजें उपलब्ध कराई जाती थी, लेकिन पिछले 2 साल से पैसा नहीं आ रहा है, इस वजह से फुलवारी केंद्र पड़े हैं.

Intro:सरगुज़ा : कुपोषण पर काबू पाने शुरू किये गये फुलवारी केंद्र अब दम तोड़ते नजर आ रहे हैं, 6 माह से 3 वर्ष तक के बच्चों को पोषित करने वाली यह योजना खुद कुपोषण का शिकार होती दिख रही है, मामला सरगुज़ा जिले के लखनपुर विकासखंड के ग्राम बेलदगी के उतारपारा आंगनबाड़ी केंद्र में संचालित फुलवारी केंद्र पिछले दो वर्षों से बंद पड़ा है।

संचालिका बताती हैं की पहले पैसा आता था तो केंद्र चलता था पर अब पैसा नही आता इस लिए फुलवारी केंद्र बन्द पड़े हैं। वहीं महिला बाल विकास की सुपरवाइजर ने जानकारी देते हुए बताया की फुलवारी केंद्र के लिए पैसा ग्राम पंचायत के खाते में आता था और सरपंच सचिव के द्वारा फुलवारी केंद्र को दिया जाता था, जिससे बच्चो को पोषण आहार सहित उनके लिए अन्य व्यवस्थाएं की जाती थी लेकिन पिछले 2 वर्षों से पैसा नही आ रहा है, जिस वजह से फुलवारी बन्द पड़ी है।

बहरहाल सरगुज़ा जैसे पिछड़े इलाके के गांव यह योजना आदिवासियों के बच्चो के लिये किसी वरदान से कम नही थी, लेकिन फिलहाल यह बन्द पड़ी है।

बाईट01-निर्मला सिंह (संचालिका, पीली साड़ी में)
बाईट02-दुर्गावती (सुपरवाइजर, पीला सूट, लाल दुपट्टा)


Body:सरगुज़ा : कुपोषण पर काबू पाने शुरू किये गये फुलवारी केंद्र अब दम तोड़ते नजर आ रहे हैं, 6 माह से 3 वर्ष तक के बच्चों को पोषित करने वाली यह योजना खुद कुपोषण का शिकार होती दिख रही है, मामला सरगुज़ा जिले के लखनपुर विकासखंड के ग्राम बेलदगी के उतारपारा आंगनबाड़ी केंद्र में संचालित फुलवारी केंद्र पिछले दो वर्षों से बंद पड़ा है।

संचालिका बताती हैं की पहले पैसा आता था तो केंद्र चलता था पर अब पैसा नही आता इस लिए फुलवारी केंद्र बन्द पड़े हैं। वहीं महिला बाल विकास की सुपरवाइजर ने जानकारी देते हुए बताया की फुलवारी केंद्र के लिए पैसा ग्राम पंचायत के खाते में आता था और सरपंच सचिव के द्वारा फुलवारी केंद्र को दिया जाता था, जिससे बच्चो को पोषण आहार सहित उनके लिए अन्य व्यवस्थाएं की जाती थी लेकिन पिछले 2 वर्षों से पैसा नही आ रहा है, जिस वजह से फुलवारी बन्द पड़ी है।

बहरहाल सरगुज़ा जैसे पिछड़े इलाके के गांव यह योजना आदिवासियों के बच्चो के लिये किसी वरदान से कम नही थी, लेकिन फिलहाल यह बन्द पड़ी है।

बाईट01-निर्मला सिंह (संचालिका, पीली साड़ी में)
बाईट02-दुर्गावती (सुपरवाइजर, पीला सूट, लाल दुपट्टा)


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Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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