ETV Bharat / state

जानें, किस रिसर्च के लिए पूर्व इसरो डायरेक्टर ने किया अंबिकापुर के युवा वैज्ञानिक को सम्मानित - भारतीय रॉकेट जीएसएलवी

योगेश ने बंगलुरू में रहकर इसरो के साथ मिलकर भारतीय रॉकेट जीएसएलवी में 500 किलोग्राम का वजन कम करने का फार्मूला पेश किया था. जिसे इसरो और डीआरडीओ दोनों ने स्वीकार किया है. योगेश के इस शोध से JSLV रॉकेट के निर्माण की लागत में 38 करोड़ रुपए तक की कमी आएगी.

Former ISRO director honored young scientist from Ambikapur
पूर्व इसरो डायरेक्टर ने किया अम्बिकापुर के युवा वैज्ञानिक को सम्मानित
author img

By

Published : Jan 1, 2020, 7:33 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

सरगुजा: अंबिकापुर के एक युवा वैज्ञानिक ने देश भर में ना सिर्फ शहर बल्कि पूरे प्रदेश का नाम रोशन किया है. वैज्ञानिक को डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन) ने उनके शोध के लिए सम्मानित किया है.

दोस्ती के नाम कर दिया आवार्ड
योगेश प्रताप सिंह ने इस अवार्ड को अपने बचपन के दोस्त दिवंगत आसिफ अंसारी और उनकी मां सायरा बानो को समर्पित किया है. आसिफ और योगेश दोनों में गहरी दोस्ती थी. लेकिन युवा इंजीनियर आसिफ की मौत एक साल पहले एक कार एक्सीडेंट में हो गई थी. इस सम्मान को हासिल करने के साथ ही युवा शोधकर्ता ने दोस्ती और कौमी एकता की मिसाल पेश की है.

Yogesh Pratap Singh's late friend Ashif
योगेश प्रताप सिंह का दिवंगत दोस्त आशिफ

महज 24 वर्ष की उम्र में योगेश ने इतनी बड़ी सफलता हासिल कर सरगुजा का नाम तो देश भर में रोशन किया ही है इसके साथ ही उसने दोस्ती के अटूट रिश्ते का भी मान बढ़ाया है. योगेश ने अपना यह पुरस्कार अपने दिवंगत दोस्त आसिफ अंसारी को समर्पित किया है. योगेश ने इसकी जानकारी अपने सोशल अकॉउंट के माध्यम से दी है जिसमें उनसे इस बात का जिक्र किया है कि इस अवार्ड को लेते समय उसके जेहन में सिर्फ अपने मित्र आसिफ का नाम आ रहा था.

पूर्व इसरो डायरेक्टर ने किया सम्मानित
योगेश प्रताप सिंह को बैंगलोर में आयोजित DRDO के अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में बेस्ट रिसर्च पेपर के लिए सम्मानित किया गया है. इस कॉन्फ्रेंस में देश भर के युवा वैज्ञानिक और शोधकर्ता शामिल हुए थे. योगेश को यह अवार्ड इसरो के पूर्व डायरेक्टर और पद्मश्री सम्मानित बीएन सुरेश ने प्रदान किया है.

क्यों मिला सम्मान
योगेश ने बताया कि 'बैंगलोर में रहकर उसने इसरो के साथ मिलकर भारतीय रॉकेट जीएसएलवी में 500 किलोग्राम का वजन कम करने का फार्मूला पेश किया था. जिसे इसरो और डीआरडीओ दोनों ने स्वीकार किया है. योगेश के इस शोध से JSLV रॉकेट के निर्माण की लागत में 38 करोड़ रुपए तक की कमी आएगी. जिससे देश पर पड़ने वालs आर्थिक भार में काफी राहत मिलेगी. इसके साथ ही वर्तमान में योगेश आईआईएससी बैंगलोर में रहकर स्पेस रोबोटिक्स पर शोध कर रहा है'.

होनहार रहा योगेश
अंबिकापुर के केदारपुर पानी टंकी के पास रहने वाले योगेश प्रताप सिंह के पिता सोमेंद्र प्रताप सिंह कन्या महाविद्यालय में लैब टेक्नीशियन के रूप में कार्यरत है. योगेश ने आसिफ अंसारी के साथ अपनी 12 वीं कक्षा तक की पढ़ाई होलीक्रॉस स्कूल से की थी और एनआईटी रायपुर से बीटेक की डिग्री लेने के बाद उसने वर्ष 2018 में ही प्रधानमंत्री रिसर्च फेलोशिप जीतकर आईआईएससी बैंगलोर में पीएचडी के लिए अपनी पढ़ाई शुरू की थी. उसके इस प्रोजेक्ट को डीआरडीओ ने पहली बार में चयनित कर लिया था.

सरगुजा: अंबिकापुर के एक युवा वैज्ञानिक ने देश भर में ना सिर्फ शहर बल्कि पूरे प्रदेश का नाम रोशन किया है. वैज्ञानिक को डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन) ने उनके शोध के लिए सम्मानित किया है.

दोस्ती के नाम कर दिया आवार्ड
योगेश प्रताप सिंह ने इस अवार्ड को अपने बचपन के दोस्त दिवंगत आसिफ अंसारी और उनकी मां सायरा बानो को समर्पित किया है. आसिफ और योगेश दोनों में गहरी दोस्ती थी. लेकिन युवा इंजीनियर आसिफ की मौत एक साल पहले एक कार एक्सीडेंट में हो गई थी. इस सम्मान को हासिल करने के साथ ही युवा शोधकर्ता ने दोस्ती और कौमी एकता की मिसाल पेश की है.

Yogesh Pratap Singh's late friend Ashif
योगेश प्रताप सिंह का दिवंगत दोस्त आशिफ

महज 24 वर्ष की उम्र में योगेश ने इतनी बड़ी सफलता हासिल कर सरगुजा का नाम तो देश भर में रोशन किया ही है इसके साथ ही उसने दोस्ती के अटूट रिश्ते का भी मान बढ़ाया है. योगेश ने अपना यह पुरस्कार अपने दिवंगत दोस्त आसिफ अंसारी को समर्पित किया है. योगेश ने इसकी जानकारी अपने सोशल अकॉउंट के माध्यम से दी है जिसमें उनसे इस बात का जिक्र किया है कि इस अवार्ड को लेते समय उसके जेहन में सिर्फ अपने मित्र आसिफ का नाम आ रहा था.

पूर्व इसरो डायरेक्टर ने किया सम्मानित
योगेश प्रताप सिंह को बैंगलोर में आयोजित DRDO के अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में बेस्ट रिसर्च पेपर के लिए सम्मानित किया गया है. इस कॉन्फ्रेंस में देश भर के युवा वैज्ञानिक और शोधकर्ता शामिल हुए थे. योगेश को यह अवार्ड इसरो के पूर्व डायरेक्टर और पद्मश्री सम्मानित बीएन सुरेश ने प्रदान किया है.

क्यों मिला सम्मान
योगेश ने बताया कि 'बैंगलोर में रहकर उसने इसरो के साथ मिलकर भारतीय रॉकेट जीएसएलवी में 500 किलोग्राम का वजन कम करने का फार्मूला पेश किया था. जिसे इसरो और डीआरडीओ दोनों ने स्वीकार किया है. योगेश के इस शोध से JSLV रॉकेट के निर्माण की लागत में 38 करोड़ रुपए तक की कमी आएगी. जिससे देश पर पड़ने वालs आर्थिक भार में काफी राहत मिलेगी. इसके साथ ही वर्तमान में योगेश आईआईएससी बैंगलोर में रहकर स्पेस रोबोटिक्स पर शोध कर रहा है'.

होनहार रहा योगेश
अंबिकापुर के केदारपुर पानी टंकी के पास रहने वाले योगेश प्रताप सिंह के पिता सोमेंद्र प्रताप सिंह कन्या महाविद्यालय में लैब टेक्नीशियन के रूप में कार्यरत है. योगेश ने आसिफ अंसारी के साथ अपनी 12 वीं कक्षा तक की पढ़ाई होलीक्रॉस स्कूल से की थी और एनआईटी रायपुर से बीटेक की डिग्री लेने के बाद उसने वर्ष 2018 में ही प्रधानमंत्री रिसर्च फेलोशिप जीतकर आईआईएससी बैंगलोर में पीएचडी के लिए अपनी पढ़ाई शुरू की थी. उसके इस प्रोजेक्ट को डीआरडीओ ने पहली बार में चयनित कर लिया था.

Intro:


सरगुजा : अम्बिकापुर का एक युवा वैज्ञानिक देश भर में ना सिर्फ शहर बल्कि पूरे प्रदेश का नाम रौशन कर रहा है। युवा वैज्ञानिक को डीआरडीओ द्वारा उनके शोध के लिए सम्मानित किया गया है। इस सम्मान को हासिल कर युवा शोधकर्ता ने दोस्ती और कौमी एकता की मिशाल पेश की है।

दरअसल अम्बिकापुर के योगेश प्रताप सिंह ने इस अवार्ड को अपने बचपन के दोस्त स्व. आसिफ अंसारी व उनकी माता सायरा बानो को समर्पित किया है, आसिफ योगेश दोनों जिगरी दोस्त थे, लेकिन युवा इंजीनियर आसिफ की मौत एक वर्ष पहले एक कार एक्सीडेंट में हो गई थी।

योगेश प्रताप सिंह को बैंगलोर में आयोजित डीआरडीए के अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में बेस्ट रिसर्च पेपर के लिए सम्मानित किया गया है। इस कॉन्फ्रेंस में देश भर के युवा वैज्ञानिक व शोधकर्ता शामिल हुए और योगेश को यह अवार्ड इसरो के पूर्व डायरेक्टर व पद्मश्री सम्मानित बीएन सुरेश ने प्रदान किया है। महज 24 वर्ष की उम्र में योगेश ने इतनी बड़ी सफलता हासिल कर सरगुजा का नाम तो देश भर में रौशन किया ही है इसके साथ ही उसने दोस्ती के अटूट रिश्ते का भी मान बढ़ाया है। योगेश ने अपना यह पुरूस्कार अपने दिवंगत दोस्त आसिफ अंसारी को समर्पित किया है योगेश ने इसकी जानकारी अपने सोशल अकॉउंट के माध्यम से दी है जिसमें उनसे इस बात का जिक्र किया है कि इस अवार्ड को लेते समय उसके जेहन में सिर्फ अपने मित्र आसिफ का नाम आ रहा था। इंजीनियरिंग की अपनी पढ़ाई पूरी कर घर लौटा आसिफ एक होनहार छात्र था और आगे चलकर देश की सेवा करना चाहता था परन्तु अब वह उसके सपने को आगे बढ़ाने के साथ ही उसके नाम पर और भी बड़े अवार्ड हासिल करेगा। योगेश प्रताप सिंह का अपने दोस्त आसिफ को दिया गया तोहफा ना सिर्फ दोस्ती के पक्के रिश्ते को दर्शाता है बल्कि यह कौमी एकता भी एक मिशाल भी पेश करता है।

योगेश ने बताया कि बैंगलोर में रहकर उसके द्वारा इसरो के साथ मिलकर भारतीय रॉकेट जीएसएलवी में 500 किलोग्राम का वजन कम करने का फार्मूला पेश किया गया था जिसे इसरो और डीआरडीओ द्वारा स्वीकार किया गया। योगेश के इस शोध से जीएसएलवी रॉकेट के निर्माण की लागत में 38 करोड़ रुपए तक की कमी आएगी जिससे देश के खजाने में पड़ने वाले भार से काफी राहत मिलेगी। इसके साथ ही वर्तमान में योगेश आईआईएससी बैंगलोर में रहकर स्पेस रोबोटिक्स पर शोध कर रहे है।

अम्बिकापुर के केदारपुर पानी टंकी के पास रहने वाले योगेश प्रताप सिंह के पिता सोमेंद्र प्रताप सिंह कन्या महाविद्यालय में लैब टेक्नीशियन के रूप में कार्यरत है। योगेश ने आसिफ अंसारी के साथ अपनी 12 वीं कक्षा तक की पढ़ाई होलीक्रॉस स्कूल से की थी और एनआईटी रायपुर से बीटेक की डिग्री लेने के बाद उसने वर्ष 2018 में ही प्रधानमन्त्री रिसर्च फेलोशिप जीतकर आईआईएससी बैंगलोर में पीएचडी के लिए अपनी पढ़ाई शुरू की थी और उनके इस प्रोजेक्ट को डीआरडीओ द्वारा पहली बार में चयनित कर लिया गया। Body:नोट- 3 फोटोग्राफ हैं, जिसमे अवार्ड लेते हुए योगेश हैं, दूसरी फोटो अवार्ड की है और तीसरी फोटो योगेश के दिवंगत मित्र आसिफ की है।Conclusion:
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.