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'कुमकी' बनेगा ग्रामीणों की 'ढाल', हाथी नहीं पहुंचा पाएंगे नुकसान

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Published : May 5, 2019, 9:59 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

छत्तीसगढ़ के सरगुजा में जंगली हाथियों के तांडव पर लगाम लगाने के लिए वन विभाग कुमकी हाथियों की मदद लेने जा रहा है.

डिजाइन इमेज

सरगुजा: हाथी को जंगल का सबसे ताकतवर जानवर माना जाता है और यही वजह है कि हाथी और इंसान की दोस्ती के चर्चे गली-मोहल्लों से लेकर फिल्मों तक में आम हैं, लेकिन इंसानों की यही दोस्ती अब उसके लिए मुसीबत बन गई है.

स्टोरी पैकेज

फसलों को पहुंचाते हैं नुकसान
मामला छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले का है जहां जंगली हाथियों ने लोगों का जीना मुहाल कर रखा है. कहीं गजराज फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं, तो कहीं इंसानों के जान के दुश्मन बन जाते हैं. जिले में हाथी और इंसान के टकराव की खबर लगभग आम हो गई है. सरकार और वन विभाग ने कई प्रयास किए, लेकिन वो हाथियों के तांडव पर लगाम लगाने में सफल नहीं हो पाए.

जंगली हाथियों को भगाएंगे कुमकी हाथी
हाथियों पर लगाम लगाने के लिए वन विभाग ने एक नायाब तरकीब निकाली है. वन विभाग सरगुजा में कुमकी हाथियों के साथ महावत को प्रशिक्षण दे रहा है. ट्रेनिंग के बाद इन हाथियों का गांवों में तांडव मचाने वाले जंगली हाथियों को भगाने के साथ पेट्रोलिंग करने और हाथियों में कॉलर आईडी लगाने में मददगार होंगे. दरअसल, सरगुजा में 5 कुमकी हाथी लाए गए हैं, जिन्हें तमोर पिंगला अभ्यारण्य के रेस्क्यू सेंटर में रखा गया है.

सरगुजा रियासत में थे 361 हाथी
सरगुजा के जानकार गोविंद शर्मा बताते हैं कि सरगुजा के महाराज स्वर्गीय रामानुजशरण सिंहदेव एक महान एलिफेंट कैचर थे. अपने जमाने में वे करीब 361 हाथियों को अपने पास रखे थे. महाराज सैर से लेकर शिकार तक के लिए इन्हीं हाथियों का उपयोग किया करते थे.

लगाई गई कॉलर आईडी
वन विभाग ने कुमकी के आने से पहले ही सरगुजा के 3 जंगली हाथियों में जीपीएस कॉलर आईडी लगा दी है, जिसकी वजह से अलग-अलग हाथियों के दल की लोकेशन वन विभाग को मिल जाती है, वो उस क्षेत्र के ग्रामीणों को पहले से ही सतर्क कर देते हैं.

हादसों में कमी आने की उम्मीद
जहां एक ओर पिछले कई दिनों से इंसान और हाथियों के बीच संघर्ष की खबरें आम हो गई थी. वहीं प्रशासन के इस प्रयास से इस बात की उम्मीद की जा सकती है कि हाथियों से होने वाले हादसे में कमी आएगी.

सरगुजा: हाथी को जंगल का सबसे ताकतवर जानवर माना जाता है और यही वजह है कि हाथी और इंसान की दोस्ती के चर्चे गली-मोहल्लों से लेकर फिल्मों तक में आम हैं, लेकिन इंसानों की यही दोस्ती अब उसके लिए मुसीबत बन गई है.

स्टोरी पैकेज

फसलों को पहुंचाते हैं नुकसान
मामला छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले का है जहां जंगली हाथियों ने लोगों का जीना मुहाल कर रखा है. कहीं गजराज फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं, तो कहीं इंसानों के जान के दुश्मन बन जाते हैं. जिले में हाथी और इंसान के टकराव की खबर लगभग आम हो गई है. सरकार और वन विभाग ने कई प्रयास किए, लेकिन वो हाथियों के तांडव पर लगाम लगाने में सफल नहीं हो पाए.

जंगली हाथियों को भगाएंगे कुमकी हाथी
हाथियों पर लगाम लगाने के लिए वन विभाग ने एक नायाब तरकीब निकाली है. वन विभाग सरगुजा में कुमकी हाथियों के साथ महावत को प्रशिक्षण दे रहा है. ट्रेनिंग के बाद इन हाथियों का गांवों में तांडव मचाने वाले जंगली हाथियों को भगाने के साथ पेट्रोलिंग करने और हाथियों में कॉलर आईडी लगाने में मददगार होंगे. दरअसल, सरगुजा में 5 कुमकी हाथी लाए गए हैं, जिन्हें तमोर पिंगला अभ्यारण्य के रेस्क्यू सेंटर में रखा गया है.

सरगुजा रियासत में थे 361 हाथी
सरगुजा के जानकार गोविंद शर्मा बताते हैं कि सरगुजा के महाराज स्वर्गीय रामानुजशरण सिंहदेव एक महान एलिफेंट कैचर थे. अपने जमाने में वे करीब 361 हाथियों को अपने पास रखे थे. महाराज सैर से लेकर शिकार तक के लिए इन्हीं हाथियों का उपयोग किया करते थे.

लगाई गई कॉलर आईडी
वन विभाग ने कुमकी के आने से पहले ही सरगुजा के 3 जंगली हाथियों में जीपीएस कॉलर आईडी लगा दी है, जिसकी वजह से अलग-अलग हाथियों के दल की लोकेशन वन विभाग को मिल जाती है, वो उस क्षेत्र के ग्रामीणों को पहले से ही सतर्क कर देते हैं.

हादसों में कमी आने की उम्मीद
जहां एक ओर पिछले कई दिनों से इंसान और हाथियों के बीच संघर्ष की खबरें आम हो गई थी. वहीं प्रशासन के इस प्रयास से इस बात की उम्मीद की जा सकती है कि हाथियों से होने वाले हादसे में कमी आएगी.

Intro:सरगुजा : हाथियों की आमद से सम्पूर्ण सरगुजा थर्राया हुआ है, इंसान के लिये हाथी काल साबित हो रहे हैं, कभी फसलों को नुकसान तो कभी इंसानी मौत यहां आम हो चुकी है, सरकार और वन विभाग दोनों ने प्रयास तो बहोत किये हैं, लेकिन इसके परिणाम जमीन पर कुछ खास नही दिखते, अब इंसानी मायनो की बात करें तो यहां सिर्फ मानव जीवन ही नही बल्कि हाथियों के जीवन पर भी संकट छाया हुआ है, लोग अपने बचाव के लिये हाथियों की जान ले लेते हैं। सरगुजा में हाथियों और इंसानो के बीच द्वंद जारी है, और वन विभाग के प्रयास भी जारी हैं।


Body:इस सबके बीच हमने यह जाना की आखिर सरगुजा में ही हाथी इतने अधिक क्यों है, सरकारी आंकड़ो के अनुसार सरगुजा वन वृत्त में 90 के आस पास हाथी विचरण करते हैं, इस सवाल के जवाब के लिए हमने सरगुजा के जानकार गोविंद शर्मा से बात की तो उन्होंने बताया की सरगुजा शुरू से ही हाथियो का घर रहा है, आबादी बढ़ती गई और लोग जंगल काटकर अपना घर बनाने लगे, अब हाथियों के रहने के लिए जगह, खाने के लिए चारा और पीने के लिए पानी की कमी होने की वजह से हाथी लोगो की परेशानी का सबब बने हुये हैं।

स्टेट जमाने मे काबू में थे हाथी

गोविन्द शर्मा बताते हैं की स्टेट जमाने मे स्व. महाराज रामानुज शरण सिंह देव जो विश्व के महान एलीफेंट कोचर माने जाते थे, उन्होंने यहां के हाथियों को काबू में किया था, और उन्हें एक एक महावत देकर मानव से आत्मसात किया था, जिसके परिणाम स्वरूप हाथी, यहां लड़की ढोने के काम लाये जाते थे, साथ ही महाराज सैर के लिए इन हाथियों का उपयोग करते थे, गोविंद शर्मा बताते हैं, हाथियों को काबू करने की इस कला को देखने विदेश से लोग सरगुजा आये थे। इनके अनुसार उस समय महाराज ने 361 हाथियों को अपने कंट्रोल में रखा था।

इंसान की संख्या कम करना ही समाधान

हाथियों की समस्या से समाधान के सवाल पर गोविंद शर्मा का बयान प्रक्रति प्रेम को दर्शाता है, उनका कहना है की इंसान ने हाथियों की जगह पर कब्जा किया है, हमारी आबादी तेजी से बढ़ रही है, हमने बसाहट के लिए प्रकृति का विनाश किया, नतीजन फ्रेस ऑक्सीजन तक नही बची, ऐसे में हाथियों के जीवन पर संकट है, इंसान अपनी गलती की सजा भुगत रहा है, लिहाजा इंसान की आबादी आधी होनी चाहिये।

कुमकी हाथी लंबे समय मे देंगे राहत

वहीं इस संबंध में डीएफओ एलीफेंट अरविंद पीएम का कहना है की सरगुजा में कुमकी हाथियों के साथ सरगुजा के महावत का प्रशिक्षण चल रहा है, प्रशिक्षण के बाद कुमकी हाथी वन विभाग द्वारा उपयोग में लाये जाएंगे, कुमकी हाथी जंगली हाथियों को गांव से भगाने, पेट्रोलिंग करने, व हाथियों में कॉलर आईडी लगाने के लिए सहायक साबित होंगे। आपको बतादें की सरगुजा मे 5 कुमकी हाथी लाये गये हैं जिन्हें तमोर पिंगला अभ्यारण्य के रेस्क्यू सेंटर में रखा गया है,

कॉलर आईडी बताती है लोकेशन

वहीं वन विभाग ने कुमकी आने से पहले ही सरगुजा के 3 जंगली हाथियों में जीपीएस कॉलर आईडी लगा दी है, जिससे अलग अलग हाथियों के दल की लोकेशन वन विभाग को मिल जाती है, वो उस क्षेत्र के ग्रामीणों को पहले से ही सतर्क कर देते हैं।

रेस्क्यू सेंटर में अनुकूल प्रबंध

वहीं सूरजपुर जिले के तैमोर पिंगला अभ्यारण्य में हाथियों के लिए रेस्क्यू सेंटर बनाया गया है, और वन विभाग हाथियों को इसी रेस्क्यू सेंटर तक ले जाने का प्रयास करता है, क्योकी यह जगह इंसानो से खाली है और हाथियों के रहने के लिए अनुकूल है, यहां उनके खाने, पीने, और रहने की पर्याप्त व्यवस्था है।




Conclusion:बहरहाल इंसान और हाथियों के इस द्वंद का कारण बढ़ती आबादी और कटते वन है, अब इंसान की मौत होती है तो लोग हाथियों को जिम्मेदार ठहराते हैं, लेकिन सच ये है की इंसानो ने हाथियों के रहवास कर कब्जा कर रखा है, जिस वजह से वो हाथियों के शिकार बन रहे है, वहीं समस्या से निजात के प्रबंध भी वन विभाग उसी तरह कर रहा है, जिस तरह वर्षो पहले सरगुजा महाराज किया करते थे, मतलब हाथियों को चाहे खुद आत्मसात करना हो या फिर कुमकी हाथी की मदद से इंसानो के साथ आत्मसात करना।

बाइट01-02-03_गोविंद शर्मा (सरगुजा के इतिहास के जानकार)

बाइट04-05_अरविंद पीएम (डीएफओ एलीफेंट)

नोट - खबर के कुछ विजुअल, मेल से जाएंगे,
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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