सरगुजा: हाथी को जंगल का सबसे ताकतवर जानवर माना जाता है और यही वजह है कि हाथी और इंसान की दोस्ती के चर्चे गली-मोहल्लों से लेकर फिल्मों तक में आम हैं, लेकिन इंसानों की यही दोस्ती अब उसके लिए मुसीबत बन गई है.
फसलों को पहुंचाते हैं नुकसान
मामला छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले का है जहां जंगली हाथियों ने लोगों का जीना मुहाल कर रखा है. कहीं गजराज फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं, तो कहीं इंसानों के जान के दुश्मन बन जाते हैं. जिले में हाथी और इंसान के टकराव की खबर लगभग आम हो गई है. सरकार और वन विभाग ने कई प्रयास किए, लेकिन वो हाथियों के तांडव पर लगाम लगाने में सफल नहीं हो पाए.
जंगली हाथियों को भगाएंगे कुमकी हाथी
हाथियों पर लगाम लगाने के लिए वन विभाग ने एक नायाब तरकीब निकाली है. वन विभाग सरगुजा में कुमकी हाथियों के साथ महावत को प्रशिक्षण दे रहा है. ट्रेनिंग के बाद इन हाथियों का गांवों में तांडव मचाने वाले जंगली हाथियों को भगाने के साथ पेट्रोलिंग करने और हाथियों में कॉलर आईडी लगाने में मददगार होंगे. दरअसल, सरगुजा में 5 कुमकी हाथी लाए गए हैं, जिन्हें तमोर पिंगला अभ्यारण्य के रेस्क्यू सेंटर में रखा गया है.
सरगुजा रियासत में थे 361 हाथी
सरगुजा के जानकार गोविंद शर्मा बताते हैं कि सरगुजा के महाराज स्वर्गीय रामानुजशरण सिंहदेव एक महान एलिफेंट कैचर थे. अपने जमाने में वे करीब 361 हाथियों को अपने पास रखे थे. महाराज सैर से लेकर शिकार तक के लिए इन्हीं हाथियों का उपयोग किया करते थे.
लगाई गई कॉलर आईडी
वन विभाग ने कुमकी के आने से पहले ही सरगुजा के 3 जंगली हाथियों में जीपीएस कॉलर आईडी लगा दी है, जिसकी वजह से अलग-अलग हाथियों के दल की लोकेशन वन विभाग को मिल जाती है, वो उस क्षेत्र के ग्रामीणों को पहले से ही सतर्क कर देते हैं.
हादसों में कमी आने की उम्मीद
जहां एक ओर पिछले कई दिनों से इंसान और हाथियों के बीच संघर्ष की खबरें आम हो गई थी. वहीं प्रशासन के इस प्रयास से इस बात की उम्मीद की जा सकती है कि हाथियों से होने वाले हादसे में कमी आएगी.