सरगुजा: छत्तीसगढ़ विधानसभा का बजट सत्र 22 फरवरी से होने वाला है. कोरोना के बुरे दौर से गुजरने के बाद इस बजट पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी कह चुके हैं कि बजट पर कोरोना का असर दिखेगा. ETV भारत ने बजट से उम्मीदों को लेकर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव से बात की. सिंहेदव ने बातचीत के दौरान इशारों-इशारों में बताया कि सरकार की जेब का हाल ठीक नहीं है.
जवाब: इस बजट में प्रदेश को अलग से कुछ नहीं मिला. पिछले साल 74 हजार करोड़ रुपये का हेल्थ बजट 2 लाख 23 हजार करोड़ का हो गया. बाद में पता चला कि इसमें 1 लाख 9 हजार करोड़ रुपये ही हेल्थ एंड फैमिली प्लानिंग के लिए है. उसमें भी 35 हजार करोड़ वैक्सीनेशन के अतिरिक्त हैं. ये गुमराह करने वाले आंकड़े हैं.
सवाल: अनियमित कर्मचारियों और पुलिसकर्मियों से किया गया वादा छत्तीसगढ़ सरकार इस बजट में पूरा करेगी ?
जवाब: बजट आएगा तब पता चलेगा. ना मेरे पास इसकी स्वतंत्रता है, ना मुझे जानकारी है. ये काम वित्तमंत्री का है. हम सभी को पता है कि वित्तमंत्री के बंद डिब्बे में या बस्ते में गुप्त दस्तावेज होते हैं. इसकी जानकारी किसी को नहीं होती. माननीय मुख्यमंत्री जी वित्त विभाग का प्रभार संभाल रहे हैं. वो जब बजट प्रस्तुत करेंगे तब बातें सामने आएंगी. वर्तमान में देश और प्रदेश बहुत कठिन आर्थिक परिस्थितियों से गुजर रहा है. कई आमदनी के सोर्सेज में कमी आई है. केंद्र सरकार ने डीजल-पेट्रोल पर सेस लगा दिया. एक्साइज की कटौती करके सेस लगा दिया. इससे राज्यों को मिलने वाला 41% राजस्व का नुकसान हो गया. पिछले साल 2019-20 के बजट में छत्तीसगढ़ के लिए 5 हजार 808 करोड़ रुपए का प्रावधान था, वो नहीं मिला. साल 2020-21 में 7 हजार 733 करोड़ मतलब 13 हजार करोड़ से ज्यादा कम हो गए.
- 14 हजार करोड़ रुपये अर्धसैनिक बलों की तनख्वाह का नहीं दिया गया.
- 4 हजार करोड़ रुपये कोयले के हक का नहीं दिया.
- लौह अयस्क पर 22.5% का हिस्सा नहीं मिला.
- हर 3 साल में लौह अयस्क पर टैक्स बढ़ाया जाता है, 2 बार से ये टैक्स नहीं बढ़ा.
इन प्रावधानों में एकाएक राज्य सरकार कोई बड़ी राशि खर्च कर पाए ये संभव नहीं. कर्मियों के लिए कहा गया था, मैं तो उन्हें सब्र करने का आग्रह करूंगा. तत्काल इतनी बड़ी राशि देना बहुत ज्यादा चुनौतीपूर्ण है. सारे काम रुक जाएंगे तब शायद ये हो पाए. कोई रोड ना बने, कोई पुल ना बने, सारे काम रूक जाएं तब शायद कर्मियों से किया वादा पूरा हो सके.
टीएस सिंहदेव ने कहा कि घोषणा पत्र की बात है तो उसमें समय सीमा में ऋण माफी और बोनस की बात कही गई थी. बाकी के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं थी. इसमें समय लग सकता है. कर्मचारियों ने एक मांग रखी थी कि बिना वेतन वृद्धि के नियमित किया जाए ये कार्रवाई जरूर बची है, लेकिन वेतन वृद्धि या कोई अतिरिक्त वित्तीय भार लेना राज्य सरकार के लिए बहुत कठिन होगा. चावल का ही देख लीजिए, एक महीने तक छत्तीसगढ़ का चावल नहीं उठाया गया. फिर 60 लाख टन बोलकर 44 लाख टन चावल ही उठाया गया. इसमें छत्तीसगढ़ को ढाई हजार करोड़ का नुकसान होगा. नई नौकरियों का भी एलान किया गया है. ऐसे में मुश्किल है, लेकिन बजट आने पर पता चलेगा.
सवाल: भाजपा कहती है वादा आपने किया था, केंद्र पर आरोप क्यों लगाते हैं ? रमन सिंह जब बोनस देते थे तब यूपीए सरकार के समय कैसी स्थिति थी?
जवाब: रमन सिंह ने बोनस की बात की और यूपीए की सरकार ने कभी मना नहीं किया, लेकिन उन्होंने तो नियम बना दिया कि आपने बोनस दिया तो हम चावल नहीं उठाएंगे. जब राजनीति करने का समय आया, चुनाव आया तो इन्होंने भी कहा कि बोनस देंगे. बीजेपी के छत्तीसगढ़ इकाई के नेताओं ने बताया कि अगर बोनस नही देंगे तो चुनाव हार जाएंगे. यहीं चुनाव में हार जीत का बड़ा कारण भी ये रहा. राहुल जी ने सरगुजा के सीतापुर से ही घोषणा की थी. बीजेपी ने हमेशा ये प्रयास किया है कि राज्य सरकार किसानों को कोई अतिरिक्त लाभ ना दे या उसका क्रेडिट ना ले सके. जबकि ये खुद 6 हजार रुपये किसानों को दे रहे हैं.
बीजेपी पूछती है कि हमसे पूछकर फैसले लिए थे क्या ? ना हमने पूछा था, ना हमें पूछने की जरूरत है. इतनी स्वतंत्रता हमें है कि, हम किसी बात को चुनाव के समय रखकर उसे पूरा करने का प्रयास कर सकते हैं. सवाल ये है कि आप बाधा क्यों उत्पन्न कर रहे हैं? जब आपने समर्थन मूल्य की घोषणा की थी तब उसमें यह लिखा था क्या कि इतना ही चावल हम समर्थन मूल्य पर उठाएंगे, क्या मात्रा फिक्स की गई थी?