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बच्चे के फेफड़े में फंसा बेर का बीज, ऑपरेशन से बची जान - ईएनटी विभाग

डॉक्टरों ने एक जटिल ऑपरेशन कर बच्चे के फेफड़े में फंसे बेर के बीज को निकाला है. बीज फंसने से बच्चे को सांस लेने में तकलीफ शुरू हो गई थी. जिसके बाद डॉक्टरों ने बच्चे के गले से ये बीज निकाल लिया है.

Doctors extract plum seed stuck in lungs of baby in Surguja
बच्चे के गले से निकाला गया बीज
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Published : Feb 22, 2021, 4:47 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा: मेडिकल कॉलेज अस्पताल में डॉक्टरों ने एक जटिल ऑपरेशन कर बच्चे के फेफड़े में फंसे बेर के बीज को निकाला है. बेर का बीज सांस नली से होते हुए बाएं फेफड़े में जाकर फंस गया था. जिससे बच्चे को सांस लेने में तकलीफ शुरू हो गई थी. लेकिन डॉक्टरों ने दो घंटे के ऑपरेशन के बाद सफलतापूर्वक बीज को बाहर निकाल लिया है. अब बच्चे की स्थिति सामान्य बताई जा रही है.

बलरामपुर जिले के चंद्रनगर निवासी पांच साल के अली राजा आलम बेर खाते समय गलती से बेर के बीज को भी निगल गया था. बीज सांस नली से होते हुए फेफड़े में जाकर फंस गया था. जिससे बच्चे को लगातार खांसी और बुखार आ रहा था. बच्चे को लेकर परिजन पिछले 20 दिनों से कई अस्पतालों के चक्कर लगा रहे थे. इस बीच बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होने लगी. जिसके बाद बच्चे को मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां रेडियोलॉजी विभाग ने अत्याधुनिक 128 स्लाइस के सीटी स्कैन मशीन से उसका परीक्षण किया. सीटी स्कैन में बेर के बीज के बाएं फेफड़े में फंसे होने की बात सामने आई. इससे बच्चे को निमोनिया होने की पुष्टि भी हुई.

मामूली ऑपरेशन में डॉक्टर ने निकाल ली मरीज की आंख ऐसे हुआ ऑपरेशन

ENT विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. शैलेन्द्र गुप्ता ने बताया कि निश्चेतना विभाग (एनेस्थीसिया विभाग) और ईएनटी विभाग के डॉक्टरों ने दो घंटे के अथक प्रयास के बाद सफलतापूर्वक फेफड़े से बेर का बीज निकाला. अब बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है. बच्चे का इलाज आयुष्मान कार्ड से निःशुल्क किया गया. ईएनटी विभाग के डॉक्टरों ने बताया कि यह बीज निकालना इसलिए चैलेंजिंग होता है, क्योंकि इस पर फोरसेप से पकड़ बनाना मुश्किल होता है. बार-बार ऑब्जेक्ट फिसलता है. जिस तरफ बीज फंसा रहता है उस तरफ का फेफड़ा काम नहीं करता है. जिससे मरीज का जीवन एक फेफड़े पर निर्भर रहता है. ऐसे में पूरी सावधानी बरतनी होती है कि बीज निकालते समय बीज दूसरे फेफड़े में न जाए.

ऑपरेशन से बची जान

ENT विभाग ने अब तक बड़ी संख्या में लोगों के गले में फंसे बाहरी चीजों को बाहर निकाला है. आंकड़ों के मुताबिक 5 से 60 साल तक के 23 लोगों के गले से मछली का कांटा, 1 से 5 साल तक के 14 बच्चों के गले से सिक्का, 16 से 40 साल तक के 5 लोगों के गले से पिन, 10 से 71 साल तक के 13 लोगों के गले से चिकन की हड्डी, 1-15 साल के 4 बच्चों के गले से बटन और बैटरी, 1-7 साल तक के 3 बच्चों के गले से बीज निकाले जा चुके हैं.

सरगुजा: मेडिकल कॉलेज अस्पताल में डॉक्टरों ने एक जटिल ऑपरेशन कर बच्चे के फेफड़े में फंसे बेर के बीज को निकाला है. बेर का बीज सांस नली से होते हुए बाएं फेफड़े में जाकर फंस गया था. जिससे बच्चे को सांस लेने में तकलीफ शुरू हो गई थी. लेकिन डॉक्टरों ने दो घंटे के ऑपरेशन के बाद सफलतापूर्वक बीज को बाहर निकाल लिया है. अब बच्चे की स्थिति सामान्य बताई जा रही है.

बलरामपुर जिले के चंद्रनगर निवासी पांच साल के अली राजा आलम बेर खाते समय गलती से बेर के बीज को भी निगल गया था. बीज सांस नली से होते हुए फेफड़े में जाकर फंस गया था. जिससे बच्चे को लगातार खांसी और बुखार आ रहा था. बच्चे को लेकर परिजन पिछले 20 दिनों से कई अस्पतालों के चक्कर लगा रहे थे. इस बीच बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होने लगी. जिसके बाद बच्चे को मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां रेडियोलॉजी विभाग ने अत्याधुनिक 128 स्लाइस के सीटी स्कैन मशीन से उसका परीक्षण किया. सीटी स्कैन में बेर के बीज के बाएं फेफड़े में फंसे होने की बात सामने आई. इससे बच्चे को निमोनिया होने की पुष्टि भी हुई.

मामूली ऑपरेशन में डॉक्टर ने निकाल ली मरीज की आंख ऐसे हुआ ऑपरेशन

ENT विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. शैलेन्द्र गुप्ता ने बताया कि निश्चेतना विभाग (एनेस्थीसिया विभाग) और ईएनटी विभाग के डॉक्टरों ने दो घंटे के अथक प्रयास के बाद सफलतापूर्वक फेफड़े से बेर का बीज निकाला. अब बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है. बच्चे का इलाज आयुष्मान कार्ड से निःशुल्क किया गया. ईएनटी विभाग के डॉक्टरों ने बताया कि यह बीज निकालना इसलिए चैलेंजिंग होता है, क्योंकि इस पर फोरसेप से पकड़ बनाना मुश्किल होता है. बार-बार ऑब्जेक्ट फिसलता है. जिस तरफ बीज फंसा रहता है उस तरफ का फेफड़ा काम नहीं करता है. जिससे मरीज का जीवन एक फेफड़े पर निर्भर रहता है. ऐसे में पूरी सावधानी बरतनी होती है कि बीज निकालते समय बीज दूसरे फेफड़े में न जाए.

ऑपरेशन से बची जान

ENT विभाग ने अब तक बड़ी संख्या में लोगों के गले में फंसे बाहरी चीजों को बाहर निकाला है. आंकड़ों के मुताबिक 5 से 60 साल तक के 23 लोगों के गले से मछली का कांटा, 1 से 5 साल तक के 14 बच्चों के गले से सिक्का, 16 से 40 साल तक के 5 लोगों के गले से पिन, 10 से 71 साल तक के 13 लोगों के गले से चिकन की हड्डी, 1-15 साल के 4 बच्चों के गले से बटन और बैटरी, 1-7 साल तक के 3 बच्चों के गले से बीज निकाले जा चुके हैं.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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