सरगुजा: भाजपा और कांग्रेस दोनों ने सरगुजा संसदीय सीट से अपने-अपने प्रत्याशियों के नामों का एलान कर दिया है. दोनों ही प्रत्याशी गोंड समाज से हैं, जिससे माना जा रहा है कि पार्टी ने जातिगत समीकरण को साधने ये कदम उठाया है. हालांकि पार्टी के नेता यह मानने को तैयार नहीं हैं.
इधर, जातिगत समीकरण में जहां मसीही समाज के वोट कांग्रेस के परंपरागत माने जाते हैं, तो वहीं इन वोट की न उम्मीदी से उरांव समाज के योग्य उम्मीदवार प्रबोध मिंज को भाजपा ने टिकट नहीं दिया. उधर मसीही समाज के उम्मीदवार और अंबिकापुर नगर निगम के महापौर अजय तिर्की ने भी कांग्रेस से टिकट मांगा था, लेकिन कांग्रेस ने उन्हें मौका नहीं दिया.
पार्टियों ने किया जातिगत समीकरण से इंकार
पार्टियों ने भले ही इसे जातिगत समीकरण को मानने से इंकार कर रही है, लेकिन सच्चाई तो यही है. सरगुजा से और भी कई नाम प्रबल दावेदारी में थे. कांग्रेस ने गोंड जनजाति के खेलसाय सिंह को और भाजपा ने रेणुका सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है, लेकिन चुनाव में राष्ट्रीय दलों को यह गलती भारी न पड़ जाए, क्योंकि संख्या बल में उरांव समाज का वोट इस लोकसभा में सबसे अधिक है.
उरांव समाज बना रही रणनीति
सरगुजा में कुल पौने तीन लाख उरांव मतदाता हैं. बताया जा रहा है कि उरांव समाज में मसीही समाज के नेता अपने-अपने दल से उपेक्षित होने के बाद अलग रणनीति बना रहे हैं. हालांकि रणनीति किस बात की बन रही है ये अभी स्पष्ट नहीं है. हालांकि एक तस्वीर में भाजपा नेता प्रबोध मिंज और जशपुर की कुनकुरी सीट से विधायक यूडी मिंज को चाय पर चर्चा करते देखा जा रहे हैं.
भाजपा का दामन छोड़ सकते प्रबोध मिंज
बताया जा रहा है कि यह पूरी चर्चा इसी विषय पर थी, कयास यह भी लगाए जा रहा है कि प्रबोध मिंज अब भाजपा का दामन छोड़ सकते हैं. बता दें कि प्रबोध मिंज ने विधानसभा चुनाव में भी सरगुजा की लुंड्रा विधानसभा से टिकट मांगा था और तब भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी थी. तब लोकसभा में टिकट देने का आश्वासन देकर उन्हें मनाया गया था, लेकिन लोकसभा में भी ठगे जाने के बाद संभावना है की प्रबोध सहित कई मसीही नेता भाजपा का दामन छोड़ सकते हैं.
लेकिन अभी ये नहीं कहा जा सकता कि वो कांग्रेस के साथ हो सकते है, क्योंकि मसीही समाज से ही जशपुर में रहने वाले रिटायर्ड आईएएस सर्जियस मिंज ने कांग्रेस से लोकसभा टिकट मांगी थी, लेकिन उन्हें भी निराशा ही हाथ लगी थी. लिहाजा खबर है की मसीही समाज दोनों ही पार्टियों से खफा चल रहे हैं.