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आस्था का महापर्व: पारंपरिक गीतों के साथ उदीयमान भगवान भास्कर को दिया गया अर्घ

चार दिवसीय छठ पर्व का प्रारंभ चैत्र चतुर्थी को होता है और समापन चैत्र माह की सप्तमी को किया जाता है. यह महापर्व प्रकृति के प्रति कृतज्ञता जाहिर करने की याद दिलाता है.

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Published : Apr 12, 2019, 10:36 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

भगवान सूर्य देव को अर्घ देते श्रद्धालु

अंबिकापुर: चैती छठ महापर्व के तीसरे दिन गुरुवार को छठव्रतियों ने अस्ताचलगामी भगवान सूर्य देव को अर्घ दिया. इसके अगले दिन शुक्रवार को उदीयमान भगवान सूर्य को अर्घ देने के साथ आस्था का महापर्व छठ संपन्न हो गया.

भगवान सूर्य देव को अर्घ देते श्रद्धालु

पारंपरिक गीतों के साथ अंबिकापुर के शंकर घाट पर आस्था के महापर्व छठ के चौथे दिन उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ दिया गया. सूर्योपासना का यह चार दिवसीय महापर्व आज उदीयमान सूर्य को अर्घ देने के साथ ही खत्म हो गया. इसके बाद छठव्रतियों ने प्रसाद का वितरण किया. चार दिवसीय छठ पर्व का प्रारंभ चैत्र चतुर्थी को होता है और समापन चैत्र माह की सप्तमी को किया जाता है. यह महापर्व प्रकृति के प्रति कृतज्ञता जाहिर करने की याद दिलाता है.

चैती छठ पूजा में पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है. पूजा के चारों दिन उपवास के साथ कठिन नियम और संयम का पालन किया जाता है. छठ पूजा महिलाएं और पुरुष दोनों करते हैं, लेकिन ज्यादातर महिलाएं इस व्रत को करती हैं.

अंबिकापुर: चैती छठ महापर्व के तीसरे दिन गुरुवार को छठव्रतियों ने अस्ताचलगामी भगवान सूर्य देव को अर्घ दिया. इसके अगले दिन शुक्रवार को उदीयमान भगवान सूर्य को अर्घ देने के साथ आस्था का महापर्व छठ संपन्न हो गया.

भगवान सूर्य देव को अर्घ देते श्रद्धालु

पारंपरिक गीतों के साथ अंबिकापुर के शंकर घाट पर आस्था के महापर्व छठ के चौथे दिन उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ दिया गया. सूर्योपासना का यह चार दिवसीय महापर्व आज उदीयमान सूर्य को अर्घ देने के साथ ही खत्म हो गया. इसके बाद छठव्रतियों ने प्रसाद का वितरण किया. चार दिवसीय छठ पर्व का प्रारंभ चैत्र चतुर्थी को होता है और समापन चैत्र माह की सप्तमी को किया जाता है. यह महापर्व प्रकृति के प्रति कृतज्ञता जाहिर करने की याद दिलाता है.

चैती छठ पूजा में पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है. पूजा के चारों दिन उपवास के साथ कठिन नियम और संयम का पालन किया जाता है. छठ पूजा महिलाएं और पुरुष दोनों करते हैं, लेकिन ज्यादातर महिलाएं इस व्रत को करती हैं.

Intro:अम्बिकापुर- अम्बिकापुर में चैती छठ पूजा धूमधाम से मनाया जाता है, हजारो की संख्या में श्रद्धालु अंबिकापुर के शंकर घाट में परिवार की सुख, समृद्धि, संतान और मनोकामना की पूर्ति के लिए सूर्य भगवान की पूजा अर्चना करते हैं।

हिन्दू नव वर्ष के पहले माह में चैत्र शुक्ल चतुर्थी से आरंभ होकर चैत्र शुक्ल सप्तमी तक चलने वाला इस व्रत में महिलाएं लगभग 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखती है।

इस पूजा में पहले दिन महिलाएं नहाई खाई से व्रत की शुरुआत करती हैं , इस दिन प्रसाद के रूप में सेंधा नमक, घी से बनी हुई अरवा चावल और कद्दू की सब्जी लेती है, दूसरे दिन खरना पूजा के साथ निर्जला व्रत की शुरुआत होती है इस दिन भर व्रत करने के बाद शाम को सूर्यास्त के समय सूर्य भगवान की पूजा अर्चना कर खीर का भोग लगाकर उसका प्रसाद ग्रहण करती हैं, तीसरे दिन सूर्य अस्त होने के दौरान सूर्य भगवान को दूध और जल से अर्ध्य अर्पण करती हैं अंत में सप्तमी के दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर 4 दिन की पूजा संपन्न होती है।

चैती छठ पूजा में पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है पूजा के चारों दिन उपवास के साथ कठिन नियम और संयम का पालन किया जाता है छठ पूजा महिलाओं के साथ पुरुष भी कर सकते हैं लेकिन ज्यादातर महिलाएं इस व्रत को करती हैं इस व्रत को करते समय आरामदायक बिस्तर एवं सुख साधनों के दूर रहते हैं कहते है इस व्रत करने वाली महिलाएं के संतान की प्राप्ति उनके सकुशल रहने का आशीर्वाद मिलता है और पुरुष भी अपने मनोवांछित कार्य में सफल होने के लिए इस व्रत को करते हैं।


बाईट01 - फुलवंती बारी( श्रद्धालु)

बाईट 02- मनोज स्वामी( श्रद्धालु)


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Conclusion:
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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