अंबिकापुर: देशभर में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. कोरोना के कारण पूरा देश आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है. बसों के पहिए थमने से जहां बस ऑपरेटरों को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है, वहीं बस चालकों के सामने भी रोजी-रोटी सी समस्या खड़ी हो गई है. बस चालकों ने बेरोजगारी भत्ते की मांग को लेकर एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन कर अपनी नाराजगी जाहिर की है.
पिछले 6 माह से बेरोजगार बैठे इन चालक, परिचालक और कामगारों के सामने रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई है और इनके परिवार के लालन-पालन में दिक्कत हो रही है. ऐसे में बस चालक और कंडक्टरों ने आंदोलन का निर्णय लिया है. बस चालकों ने शासन से 6 माह का बेरोजगारी भत्ता दिए जाने की मांग की है. संघ ने कलेक्टर के माध्यम से सीएम को ज्ञापन सौंपा है और मांग पूरी नहीं होने पर 10 दिन बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के घर के सामने उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है.
परिवार के भरण-पोषण की समस्या
बस चालकों ने कामगार वेलफेयर सोसायटी के बैनर तले बस स्टैंड में धरना-प्रदर्शन किया है. संघ के प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र शुक्ला का कहना है कि बसों का संचालन बंद होने से उनके सामने परिवार के भरण-पोषण की समस्या आ गई है और जमापूंजी भी इन 6 महीनों में समाप्त हो गई है. उन्होंने कहा कि सरकार ने बसों का संचालन तो शुरू कर दिया है, लेकिन उन्हें पर्याप्त सवारी नहीं मिल रही है. सवारी कम होने के कारण बस संचालक भी बसों का संचालन नहीं करना चाह रहे हैं.
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500 से अधिक बसें
सरगुजा में 500 से ज्यादा बसें प्रदेश और अन्य राज्यों के लिए आवगमन करती हैं, लेकिन 2 सितंबर से सिर्फ 4 बसों का संचालन सरगुजा से रायपुर के बीच किया जा रहा है. इस हिसाब से सिर्फ एक प्रतिशत बस ही संचालित हैं, बाकी बस चालक अभी भी बेरोजगार हैं.
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कहां कितने कर्मचारी
सरगुजा संभाग में संचालित बसों में कार्यरत कर्मचारियों की संख्या पर नजर डालें, तो पांच जिलों में कुल 1 हजार 975 कर्मचारी चालक, परिचालक और कामगार काम करते हैं. इनमें सरगुजा जिले के 550, बलरामपुर के 450, सूरजपुर के 300, कोरिया के 325 और जशपुर के 350 कर्मचारी शामिल हैं, जो पिछले छह माह से बस संचालन ठप होने से बेरोजगार बैठे हैं. वहीं प्रदेश की बात की जाए, तो छत्तीसगढ़ में कुल 12 हजार बसों का संचालन होता है, जिसमें 52 हजार कर्मचारी कार्यरत हैं.