सरगुजा: कोरोना काल में स्कूल बंद हैं, लेकिन वैक्सीन आने के बाद अन्य प्रदेशों की तरह छत्तीसगढ़ में भी सरकार स्कूल खोलने पर विचार कर सकती है. कोरोना संक्रमण काल में हाइजीन सबसे अहम पहलू बन चुका है. ऐसे में स्कूलों के टॉयलेट की साफ सफाई और अन्य व्यवस्थाओं की भूमिका महत्वपूर्ण होने वाली है. ETV भारत की टीम ने इस विषय में कुछ स्कूलों की पड़ताल की.
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सफाई कर्मियों की बात करें तो हाई और हायर सेकेंड्री स्कूल में शासन की ओर से सफाई कर्मी नियुक्त हैं. वहीं शाला विकास समिति के माध्यम से भी सफाई कर्मी रखे गए हैं. मिडिल और प्रायमरी स्कूल में शासन की ओर से सफाई कर्मी नियुक्त नहीं किए गए हैं. प्रधान पाठक शाला विकास समिति के माध्यम से स्वीपर की भर्ती की जाती है. इसका फंड अन्य माध्यम से जिला शिक्षा कार्यालय से स्कूलों को दिया जाता है.
नगर निगम की टीम करेगी कचरे का निपटारा
नगर निगम भी समय-समय पर स्कूलों में सफाई कर्मी भेज कर साफ सफाई कराता है. निगम आयुक्त ने बताया की वो जल्द ही स्कूलों में डस्टबीन लगाने वाले हैं. जिसमें छात्र और स्टाफ स्कूल का गीला और सूखा कचरा अलग-अलग रख सकेंगे. नगर निगम की टीम उस कचरे का संधारण करेगी.
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स्कूलों में सेनेटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन की व्यवस्था
स्कूलों में छात्राओं के लिए सेनेटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन लगी हुई है. छात्राओं को सरल तरीके से सेनेटरी नैपकिन मिल रहा है. इसके साथ ही सेनेटरी पैड से होने वाले संक्रमण के बचाव के लिए पैड को डिस्ट्रॉय करने की मशीन भी स्कूलों में लगाई गई है.
अधिकारी ने मिलने से किया मना
प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी आईपी गुप्ता से इस विषय में जानकारी लेने पहुंचे तो उन्होंने मिलने से मना कर दिया. उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया. सूत्रों से पता चला कि डीईओ साहब कार्यालयीन समय में दफ्तर नहीं आते. वे शाम 6 बजे के बाद दफ्तर में मिलते हैं. ETV भारत की टीम शाम करीब 6 बजे डीईओ कार्यालय पहुंची. सूत्रों की खबर पक्की थी. साहब बैठे थे, लेकिन दरबान से पर्ची भेजने के बाद अधिकारी ने मिलने से मना कर दिया.
असल पड़ताल तो स्कूल खुलने के बाद
डीईओ साहब की व्यस्तता या मीडिया में जवाब देने की घबराहट. इसे क्या समझा जाये ये तो वहीं बता सकते हैं. फिलहाल, जिले के स्कूलों में शौचालय की स्थिति ठीक दिख रही है, लेकिन साफ-सफाई की असल पड़ताल तो स्कूल खुलने के बाद ही होगी.