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SPECIAL: 300 साल पुराना है ये थिएटर, नाटक देखने दूर-दूर से आते थे दर्शक - सरगुजा न्यूज

सरगुजा के रामगढ़ की प्राचीन नाट्यशाला एक गुफा में स्थित है. इसका निर्माण पत्थरों को तराशकर किया गया था. इसमें मंच, दर्शक दीर्घा, मेकअप रूम मौजूद हैं.

The specialty of the ancient theater of Ramgarh
रामगढ़ की प्राचीन नाट्यशाला की खासियत
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Published : Feb 8, 2021, 7:12 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा: सिनेमा, थिएटर और मल्टीप्लेक्स, तमाम टीवी चैनलों, ओटीटी प्लेटफॉर्म के जरिये हम न जाने मनोरंजन के कितने संसाधनों की ओर बढ़ चुके हैं. जाहिर सी बात है आपने बहुत से आधुनिक युग के थिएटर देखे होंगे. आज हम आपको रामगढ़ स्थित एक प्राचीन नाट्यशाला के बारे में बताने वाले हैं.

रामगढ़ की प्राचीन नाट्यशाला की खासियत

अब सवाल उठता है कि एक नाट्यशाला में कौन-कौन सी चीजें जरूरी होती हैं. एक मंच, उसके सामने दर्शक दीर्घा, मंच के दोनों ओर ग्रीन हाउस (कलाकरों का मेकअप रूम), नेचुरल लाइट और साउंड की व्यवस्था. ये सब कुछ आधुनिक संसाधनों से बिना यहां मौजूद है.

नाट्यशाला में बने छिद्रों का है अपना महत्व

रामगढ़ की प्राचीन नाट्यशाला एक गुफा में स्थित है. इसका निर्माण पत्थरों को तराशकर किया गया था. इसमें मंच, दर्शक दीर्घा और मेकअप रूम मौजूद है. नाट्यशाला में काफी लंबे-लंबे छिद्र हैं. शोधकर्ताओं का मानना है इन छिद्रों की मदद से टेली कम्युनिकेशन किया जाता था. मंच पर प्रस्तुति दे रहे कलाकारों को निर्देशक इन्हीं छिद्रों से निर्देश देते थे. खूबियों से भरे इस मंच में नेचुरल साउंड सिस्टम का भी खास इंतजाम किया गया था.

SPECIAL: इस पुलिसकर्मी की पेंटिंग्स ने बदल दिया थानों का रंगरूप

2018 में राजपथ की शाम बनी थी नाट्यशाला की झांकी

छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में रामगढ़ की पहाड़ियों में स्थित यह प्राचीन नाट्यशाला 300 ईसा पूर्व की है. 2018 में गणतंत्र दिवस के मुख्य समारोह में छत्तीसगढ़ की झांकी नाट्शाला की थीम पर थी. राजपथ पर इस झांकी ने सबका मन मोह लिया था.

वास्तु का है विशेष महत्व

पंडित योगेश नारायण मिश्र बताते हैं की भरत मुनि के नाट्य शास्त्र में जिस तरह की नाट्यशाला का जिक्र किया गया है. ठीक वैसी ही नाट्यशाला रामगढ़ में स्थित है. वे कहते हैं कि यह एक मात्र प्राचीन नाट्यशाला है, जिसमें वास्तु का विशेष महत्व है. वास्तु शास्त्री बताते हैं कि वायु की दिशा में वायु के प्रवाह की वजह से मंच पर होने वाली ध्वनी स्पष्ट रूप से दर्शकों तक पहुंचती है.

हालांकि नाट्य मंच आज भी होते हैं, लेकिन अब ये उतना चलन में नहीं हैं. बहरहाल, थियेटर आर्टिस्ट्स इस अद्भुत थियेटर के संरक्षण और यहां मंचन शुरू कराने की मांग कर रहे हैं.

सरगुजा: सिनेमा, थिएटर और मल्टीप्लेक्स, तमाम टीवी चैनलों, ओटीटी प्लेटफॉर्म के जरिये हम न जाने मनोरंजन के कितने संसाधनों की ओर बढ़ चुके हैं. जाहिर सी बात है आपने बहुत से आधुनिक युग के थिएटर देखे होंगे. आज हम आपको रामगढ़ स्थित एक प्राचीन नाट्यशाला के बारे में बताने वाले हैं.

रामगढ़ की प्राचीन नाट्यशाला की खासियत

अब सवाल उठता है कि एक नाट्यशाला में कौन-कौन सी चीजें जरूरी होती हैं. एक मंच, उसके सामने दर्शक दीर्घा, मंच के दोनों ओर ग्रीन हाउस (कलाकरों का मेकअप रूम), नेचुरल लाइट और साउंड की व्यवस्था. ये सब कुछ आधुनिक संसाधनों से बिना यहां मौजूद है.

नाट्यशाला में बने छिद्रों का है अपना महत्व

रामगढ़ की प्राचीन नाट्यशाला एक गुफा में स्थित है. इसका निर्माण पत्थरों को तराशकर किया गया था. इसमें मंच, दर्शक दीर्घा और मेकअप रूम मौजूद है. नाट्यशाला में काफी लंबे-लंबे छिद्र हैं. शोधकर्ताओं का मानना है इन छिद्रों की मदद से टेली कम्युनिकेशन किया जाता था. मंच पर प्रस्तुति दे रहे कलाकारों को निर्देशक इन्हीं छिद्रों से निर्देश देते थे. खूबियों से भरे इस मंच में नेचुरल साउंड सिस्टम का भी खास इंतजाम किया गया था.

SPECIAL: इस पुलिसकर्मी की पेंटिंग्स ने बदल दिया थानों का रंगरूप

2018 में राजपथ की शाम बनी थी नाट्यशाला की झांकी

छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में रामगढ़ की पहाड़ियों में स्थित यह प्राचीन नाट्यशाला 300 ईसा पूर्व की है. 2018 में गणतंत्र दिवस के मुख्य समारोह में छत्तीसगढ़ की झांकी नाट्शाला की थीम पर थी. राजपथ पर इस झांकी ने सबका मन मोह लिया था.

वास्तु का है विशेष महत्व

पंडित योगेश नारायण मिश्र बताते हैं की भरत मुनि के नाट्य शास्त्र में जिस तरह की नाट्यशाला का जिक्र किया गया है. ठीक वैसी ही नाट्यशाला रामगढ़ में स्थित है. वे कहते हैं कि यह एक मात्र प्राचीन नाट्यशाला है, जिसमें वास्तु का विशेष महत्व है. वास्तु शास्त्री बताते हैं कि वायु की दिशा में वायु के प्रवाह की वजह से मंच पर होने वाली ध्वनी स्पष्ट रूप से दर्शकों तक पहुंचती है.

हालांकि नाट्य मंच आज भी होते हैं, लेकिन अब ये उतना चलन में नहीं हैं. बहरहाल, थियेटर आर्टिस्ट्स इस अद्भुत थियेटर के संरक्षण और यहां मंचन शुरू कराने की मांग कर रहे हैं.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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