सरगुजा: श्रवण शर्मा पीएम मोदी से मुलाकात करने के बाद छत्तीसगढ़ लौट चुके हैं. Ambikapur painter Shravan Sharma met PM Narendra Modi दो दिन से श्रवण शर्मा प्रधानमंत्री के ट्विटर समेत तमाम सोशल साइट्स पर छाए हुये हैं. लेकिन श्रवण शर्मा कौन हैं उनकी पूरी कहानी क्या है. श्रवण शर्मा की चित्रकारी का पूरा सफर कैसा रहा है. यह जानने के लिए सबसे पहले ETV भारत ने उनसे बातचीत की. painter Shravan Sharma इस दौरान श्रवण शर्मा ने पीएस मोदी से मुलाकात के अनुभव साझा किये हैं.
कौन हैं श्रवण शर्मा: चित्रकारी के नायाब उदाहरण श्रवण कुमार शर्मा बेहद सरल और सहज स्वभाव के हैं. श्रवण शर्मा की रूचि बचपन से गणित विषय में रही. उन्होंने कॉमर्स की पढ़ाई की और बीकॉम करने के बाद पढ़ाई छोड़ दी. क्योंकि श्रवण कुमार की राह तो कला थी. अब श्रवण शर्मा जीवन के अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुके हैं. बावजूद इसके इन्हे देश और राज्य की सरकारों से कोई सम्मान नहीं मिल सका है. पहले इंदिरा गांधी ने इन्हें सम्मानित किया था, अब पीएम नरेंद्र मोदी ने मुलाकात कर उनकी कला को सराहा है.
मां के आंचल में बनाई पेंटिंग से मिली शोहरत: श्रवण शर्मा को मां के फटे आंचल ने प्रसिद्ध चित्रकार बना दिया. चित्रकारी के नायाब उदाहरण श्रवण कुमार शर्मा, जिन्होंने अपनी पहली पेंटिंग अपनी मां की साड़ी पर बनाई थी. गरीब मां की बेरंग साड़ी में श्रवण ने एसे रंग भरे कि फिर उनकी कला की चर्चा देश और विदेश में होने लगी.
पेंटिंग में मैथमेटिक्स का इस्तेमाल: श्रवण ने कभी किसी से पेचिंग का प्रशिक्षण नहीं लिया है. गणित विषय के प्रति इनका लगाव इनकी पेंटिंग में भी दिखता है. अंबिकापुर के सर्किट हाउस मे लगी एक पेंटिंग में इन्होंने गणित का ऐसा इस्तेमाल किया, कि पेंटिंग मे दिख रहे गायों के झुंड की चाल सभी दिशाओं से एक जैसी दिखती है.
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शिवमंगल सिंह सुमन ने लिखी कविता: अब तक श्रवण शर्मा ने सवा लाख से अधिक रेखाचित्र और 600 से अधिक तैलचित्र उकेरा है. उनकी चित्रकारी भारत के कोने-कोने के साथ अमेरिका,इंग्लैण्ड, फ्रांस, जर्मनी, नेपाल, बेल्जियम तक पहुंच चुकी है. श्रवण एक ऐसे कलाकार हैं, जिनके चित्रों की सजीवता, रंगों का प्रवाह, भारतीय जनजीवन और नैसर्गिक सौंदर्य को देख देश के प्रख्यात राष्ट्रकवि डॉक्टर शिवमंगल सिंह सुमन को कविताएं लिखनी पड़ी. 33 वर्ष पूर्व सरगुजा आगमन पर राष्ट्रकवि डॉक्टर शिवमंगल सिंह सुमन ने श्रवण के लिए कविताएं लिखी थीं.
इंदिरा गांधी ने दिया था पुरस्कार: चित्रकार श्रवण शर्मा ने वर्ष 1972-73 में रोटी और अकाल पीड़ित नामक तैलचित्र बनाया था. जिसके लिए उन्हें देश के तात्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरी और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पुरस्कार दिया था. इस सम्मान के बाद वे प्रोत्साहित हुए और लगातार नई नई कलाकृति तैयार कर रहे, जिसे देख हर कोई दंग रह जाता है. श्रवण शर्मा की कलाकृतियों को विदेशी कला पारीखी और मिशनरी संस्थानों द्वारा विदेशों तक पहुंचाया गया है. प्रधानमंत्री मोदी की रूचि के बाद अब ऐसा लग रहा है कि श्रवण शर्मा को 'पद्म श्री' जैसी उपाधि दी जा सकती है.