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अंबिकापुर: पानी को बचाने के लिए नगर निगम की नेक पहल, आप भी सहयोग करें

जल ही जीवन है का स्लोगन आपने सुना और पढ़ा जरूर होगा. लेकिन इस शब्द के बड़े मायनों पर हमने शायद अभी तक उतनी गंभीरता से नहीं सोचा, जितनी संजीदगी से हमें सोचना चाहिए.

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Published : Jun 12, 2019, 10:31 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

सरगुजा: अगर जल ही जीवन है तो पानी की अनिवार्यता जीवन के समान हुई, लेकिन हम फिर भी जल बर्बाद करने के साथ ही पानी के संरक्षण के प्रति लापरवाह होते हैं. न हमें अपनी चिंता है और न ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों की चिंता है.

वाटर हार्वेस्टिंग पर नगर निगम का जोर

वॉटर हार्वेस्टिंग पर जोर
पानी का उपयोग करने वाले लोग इसकी चिंता करें न करें, लेकिन सरगुजा के प्रशासन ने इसकी चिंता जरूर की है. प्रशासन की टीम ने वॉटर हार्वेस्टिंग के लिए जमीनी स्तर पर काम शुरू कर दिया है. पानी को संरक्षित करने के लिए अब घर-घर में वाटर हार्वेस्टिंग, जिसे स्थानीय बोली में सोखता कहा जाता है बनाने की कवायद तेज हो चुकी है.

27 लाख रुपये किए राजसात
अंबिकापुर नगर निगम ने करीब 3 सौ लोगों की वाटर हार्वेस्टिंग के नाम पर जमा की गई 27 लाख रुपये की राशि अब तक राजसात कर ली है और अब इस राशि से नगर निगम अपनी एजेंसी के जरिए से खुद लोगों के घर में वाटर हार्वेस्टिंग बनाने का काम शुरू कर चुकी है.

सरकारी भवनों से शुरुआत
वॉटर हार्वेस्टिंग के लिए प्रयास सबसे पहले शासकीय भवनों में बनाया जा रहा है. इसके बाद सभी सरकारी अधिकारियों के घर में अनिवार्य तौर पर बनाया जाएगा और प्रयोग सफल होने के बाद इसे शहर में मौजूद हर घर में बनाया जाएगा.

लोगों को भी करनी पड़ेगी पहल
निश्चित ही यह प्रयास सराहनीय है, लेकिन क्या जीवन को बचाने के लिए इतना काफी है.?, क्या सरकारी डंडे की वजह से लोग अपने जीवन की सुरक्षा के लिए जागरूक होंगे ?. जाहिर सी बात है की प्रयास अच्छा है लेकिन इस मामले में लोगों को संजीदगी दिखानी होगी, खुद भी बूंद-बूंद पानी बचाने के लिए कवायद करनी होगी.

एक्सपर्ट की क्या है राय
पानी और उसे बचाने के प्रयासों ETV भारत की टीम ने भू-गर्भ शास्त्री रमेश कुमार जायसवाल से बात की उन्होंने भी यह माना कि प्रयास अच्छा है, लेकिन धरती के जल स्तर को बढ़ाने के लिए और भी प्रयास किए जा सकते हैं, जैसे सीमेंट और कंक्रीट के इस्तेमाल पर रोक तो नहीं लग सकती लेकिन कंक्रीट की सड़क के किनारे दोनों तरफ मिट्टी के ऊपर पेवर ब्लॉक लगाकर छोड़ने से वह जमीन समतल भी रहेगी और उससे पानी भी जमीन के अंदर जाएगा, इसके अलावा शहर की नालियों का सीमेंटीकरण कर दिया जाता है और नालियों के माध्यम से जल का बड़ा हिस्सा बनकर शहर से बाहर निकल जाता है.

'गड्ढे बनाकर करें हार्वेस्टिंग'
उन्होंने कहा कि अगर नालियों के बीच में बड़े-बड़े गड्ढे बना दिए जाएं वो वाटर को हारवेस्ट करें और फिर गड्ढे के बाद से नाली शरू हो तो ऐसे में पानी का बड़ा हिस्सा जमीन में चला जायेगा.

'लोगों को होना पड़ेगा जागरूक'
भू गर्भ शास्त्री कहते हैं कि, प्रशासन को इस ओर पहल करनी चाहिए. साथ ही लोगों को भी जागरूक होना पड़ेगा कि वो अपने घरों में अनिवार्य रूप से वाटर हार्वेस्टिंग बनवाएं. जरूरी नहीं कि, इसे तकनीकी तौर पर काबिल इंजीनियर से बनवाया जाए.

ऐसे करें वाटर हार्वेस्टिंग
घर की ढलान जिस ओर है, उस जगह पर एक गड्ढा कर वेस्ट पानी के सोर्स को पाइप के माध्यम से उस गड्ढे में जोड़कर वाटर हार्वेस्टिंग खुद भी बनाई जा सकती है. बहरहाल सरकार, प्रशासन सब अपना काम कर रहे हैं और उनके पास और भी बहुत से काम होते हैं.


खुद भी करें पहल
आज के दौर में अभियान चलाकर वाटर हार्वेस्टिंग बनाए जा रहे हैं, जरूरी नहीं की कल यह अभियान इसी तेजी से चले, लेकिन जीवन हमेशा चलता रहेगा और इस जीवन चक्र को बराबर चलाने के लिए ईटीवी भारत आप से अपील करता है, कि अपने घरों में सोखता (वाटर हार्वेस्टिंग) अवश्य बनवाएं, ताकि आने वाली पीढ़ी को जल के संकट से बचाया जा सके.

सरगुजा: अगर जल ही जीवन है तो पानी की अनिवार्यता जीवन के समान हुई, लेकिन हम फिर भी जल बर्बाद करने के साथ ही पानी के संरक्षण के प्रति लापरवाह होते हैं. न हमें अपनी चिंता है और न ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों की चिंता है.

वाटर हार्वेस्टिंग पर नगर निगम का जोर

वॉटर हार्वेस्टिंग पर जोर
पानी का उपयोग करने वाले लोग इसकी चिंता करें न करें, लेकिन सरगुजा के प्रशासन ने इसकी चिंता जरूर की है. प्रशासन की टीम ने वॉटर हार्वेस्टिंग के लिए जमीनी स्तर पर काम शुरू कर दिया है. पानी को संरक्षित करने के लिए अब घर-घर में वाटर हार्वेस्टिंग, जिसे स्थानीय बोली में सोखता कहा जाता है बनाने की कवायद तेज हो चुकी है.

27 लाख रुपये किए राजसात
अंबिकापुर नगर निगम ने करीब 3 सौ लोगों की वाटर हार्वेस्टिंग के नाम पर जमा की गई 27 लाख रुपये की राशि अब तक राजसात कर ली है और अब इस राशि से नगर निगम अपनी एजेंसी के जरिए से खुद लोगों के घर में वाटर हार्वेस्टिंग बनाने का काम शुरू कर चुकी है.

सरकारी भवनों से शुरुआत
वॉटर हार्वेस्टिंग के लिए प्रयास सबसे पहले शासकीय भवनों में बनाया जा रहा है. इसके बाद सभी सरकारी अधिकारियों के घर में अनिवार्य तौर पर बनाया जाएगा और प्रयोग सफल होने के बाद इसे शहर में मौजूद हर घर में बनाया जाएगा.

लोगों को भी करनी पड़ेगी पहल
निश्चित ही यह प्रयास सराहनीय है, लेकिन क्या जीवन को बचाने के लिए इतना काफी है.?, क्या सरकारी डंडे की वजह से लोग अपने जीवन की सुरक्षा के लिए जागरूक होंगे ?. जाहिर सी बात है की प्रयास अच्छा है लेकिन इस मामले में लोगों को संजीदगी दिखानी होगी, खुद भी बूंद-बूंद पानी बचाने के लिए कवायद करनी होगी.

एक्सपर्ट की क्या है राय
पानी और उसे बचाने के प्रयासों ETV भारत की टीम ने भू-गर्भ शास्त्री रमेश कुमार जायसवाल से बात की उन्होंने भी यह माना कि प्रयास अच्छा है, लेकिन धरती के जल स्तर को बढ़ाने के लिए और भी प्रयास किए जा सकते हैं, जैसे सीमेंट और कंक्रीट के इस्तेमाल पर रोक तो नहीं लग सकती लेकिन कंक्रीट की सड़क के किनारे दोनों तरफ मिट्टी के ऊपर पेवर ब्लॉक लगाकर छोड़ने से वह जमीन समतल भी रहेगी और उससे पानी भी जमीन के अंदर जाएगा, इसके अलावा शहर की नालियों का सीमेंटीकरण कर दिया जाता है और नालियों के माध्यम से जल का बड़ा हिस्सा बनकर शहर से बाहर निकल जाता है.

'गड्ढे बनाकर करें हार्वेस्टिंग'
उन्होंने कहा कि अगर नालियों के बीच में बड़े-बड़े गड्ढे बना दिए जाएं वो वाटर को हारवेस्ट करें और फिर गड्ढे के बाद से नाली शरू हो तो ऐसे में पानी का बड़ा हिस्सा जमीन में चला जायेगा.

'लोगों को होना पड़ेगा जागरूक'
भू गर्भ शास्त्री कहते हैं कि, प्रशासन को इस ओर पहल करनी चाहिए. साथ ही लोगों को भी जागरूक होना पड़ेगा कि वो अपने घरों में अनिवार्य रूप से वाटर हार्वेस्टिंग बनवाएं. जरूरी नहीं कि, इसे तकनीकी तौर पर काबिल इंजीनियर से बनवाया जाए.

ऐसे करें वाटर हार्वेस्टिंग
घर की ढलान जिस ओर है, उस जगह पर एक गड्ढा कर वेस्ट पानी के सोर्स को पाइप के माध्यम से उस गड्ढे में जोड़कर वाटर हार्वेस्टिंग खुद भी बनाई जा सकती है. बहरहाल सरकार, प्रशासन सब अपना काम कर रहे हैं और उनके पास और भी बहुत से काम होते हैं.


खुद भी करें पहल
आज के दौर में अभियान चलाकर वाटर हार्वेस्टिंग बनाए जा रहे हैं, जरूरी नहीं की कल यह अभियान इसी तेजी से चले, लेकिन जीवन हमेशा चलता रहेगा और इस जीवन चक्र को बराबर चलाने के लिए ईटीवी भारत आप से अपील करता है, कि अपने घरों में सोखता (वाटर हार्वेस्टिंग) अवश्य बनवाएं, ताकि आने वाली पीढ़ी को जल के संकट से बचाया जा सके.

Intro:सरगुज़ा : "जल ही जीवन है" जैसे स्लोगन आप और हम खूब पढ़ते हैं लेकिन इस शब्द के बड़े मायनो पर कभी गंभीर नही होते, अगर जल ही जीवन है तो जल की अनिवार्यता जीवन के समान हुई। लेकिन हम फिर भी जल बर्बाद करते हैं, उसके संरक्षण के प्रति लापरवाह होते हैं, इसका आशय यह है की हम जीवन के प्रति आशान्वित नहीं है जीवन बचाना नही चाहते, इसके पीछे की बड़ी वजह यह भी है की सब को यह पता है की उसके जीवन काल मे पृथ्वी से जल खत्म नही होगा, लेकिन आने वाली पीढी की चिंता किसी को नही है, फिलहाल सरगुज़ा प्रशासन ने इसकी चिंता की है और वाटर हार्वेस्टिंग बनाने के क्षेत्र में जमीनी काम शुरू किया गया है। पानी को संरक्षित करने अब घर घर वाटर हार्वेस्टिंग या जिसे स्थानीय बोली में सोखता कहा जाता है, इसे बनाने की कवायद तेज हो चुकी है, इसके लिए अम्बिकापुर नगर निगम ने करीब 3 सौ लोगो की 27 लाख रुपये की राशि अब तक राजसात कर ली है, और अब इस राशि से नगर निगम अपनी एजेंसी के माध्यम से खुद लोगो के घर मे वाटर हार्वेस्टिंग बनाने का काम शुरू कर चुकी है। वाटर हार्वेस्टिंग सबसे पहले शासकीय भवनों में बनाया जा रहा है, इसके बाद सभी सरकारी अधिकारियों के घर मे अनिवार्य रूप से बनाया जाएगा और फिर शहर के हर घर मे इसे नियमतः बनवाया जाएगा। निश्चित ही यह प्रयास सराहनीय है, लेकिन क्या जीवन को बचाने इतना काफी है.? क्या सरकारी डंडे की वजह से लोग अपने जीवन की सुरक्षा के लिये जागरूक होंगे.? जाहिर सी बात है की प्रयास अच्छा है लेकिन इस मामले में लोगो को संजीदगी दिखानी होगी, खुद जागरूक होना होगा और बूंद बूंद पानी बचाना होगा। इसके लिए हमने भू गर्भ शास्त्री रमेश कुमार जायसवाल से बात की उन्होंने भी यह माना की प्रयास अच्छा है, लेकिन धरती के जल स्तर को बढ़ाने और भी प्रयास किये जा सकते हैं, जैसे सीमेंट और कंक्रीट के स्तेमाल पर रोक तो नही लग सकती लेकिन कांक्रीट की सड़क के किनारे दोनों तरफ मिट्टी के ऊपर पेवर ब्लाक लगाकर छोड़ने से वह जमीन समतल भी रहेगी और उससे पानी भी जमीन के अंदर जाएगा, इसके आलवा शहर की नालियों का सीमेंटीकरण कर दिया जाता है, और नालियों के माध्यम से जल का बड़ा हिस्सा बनकर शहर से बाहर निकल जाता है, उन्होंने कहा की अगर नालियों के बीच मे बड़े गड्ढे बना दिये जायें वो वाटर को हारवेस्ट करें और फिर गड्ढे के बाद से नाली शरू हो तो ऐसे में पानी का बड़ा हिस्सा जमीन में चला जायेगा। भू गर्भ शास्त्री कहते हैं की प्रशासन को इस ओर पहल करनी चाहिए साथ ही लोगो को भी जागरूक होना पड़ेगा की वो अपने घरों में अनिवार्य रूप से वाटर हार्वेस्टिंग बनवाए, जरूरी नही की इसे तकनीकी दक्ष इंजीनियर से बनवाया जाए, घर की ढलान जिस ओर है उस जगह पर एक गड्ढा कर वेस्ट पानी के सोर्स को पाइप के माध्यम से उस गड्ढे में जोड़कर वाटर हार्वेस्टिंग खुद भी बनाई जा सकती है। बहरहाल सरकार, प्रशासन सब अपना काम कर रहे हैं उनके पास और भी बहोत से काम होते हैं, आज अभियान चलाकर वाटर हार्वेस्टिंग बनाये जा रहे हैं, जरूरी नही की कल यह अभियान इसी तेजी से चले, लेकिन जीवन हमेशा चलता रहेगा और इस जीवन चक्र को बराबर चलाने के लिए ईटीवी भारत भी आप से अपील करता है, की अपने घरों में सोखता (वाटर हार्वेस्टिंग) अवश्य बनवाये और अपनी आने वाली पीढ़ी को जल के संकट से बचाएँ।


Body:बाईट01_मनोज सिंह (आयुक्त नगर निगम अम्बिकापुर) बाईट02_रमेश जायसवाल (भू गर्भ शास्त्री) देश दीपक सरगुज़ा नोट - विजुअल दोबारा अटैच किये हैं इसमे


Conclusion:
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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