सरगुजा: छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने सत्ता को अपने हाथ में लेते ही जनता के लिए कई लाभकारी योजनाएं शुरू की हैं. जिसमें एक है नरवा, गरवा, घुरवा और बाड़ी. इस महत्वकांछी योजना में 'गरवा' के अंतर्गत बनाए गए थे, गौठान. प्रदेश भर के गांव से लेकर शहरों तक में गौठान बनाए गए. सरकार ने इसके जरिए काफी वाहवाही भी लूटी. लेकिन वक्त के साथ इस योजना की चमक फीकी पड़ती दिखाई दे रही है. प्रदेश के कई गौठानों के बंद होने और गौठानों में मवेशियों के मरने और बीमार पड़ने की खबरों ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
प्रदेश सरकार अपनी इस योजना को लेकर काफी उत्साहित थी. गौठानों की चमक को वापस लौटाने की कोशिश शुरू हुई, सबसे पहले मवेशियों को गौठानों तक पहुंचाने के लिए सरकार ने 'रोका छेका' अभियान की शुरुआत की. किसानों और पशुपालकों से अपील की गई कि मवेशियों को खुला न छोड़े साथ ही मवेशियों को गौठानों तक पहुंचाया जाए. इस अभियान को जोर देने के लिए 'गौधन न्याय योजना' भी लाई गई है. जिसके जरिए सरकार गोबर खरीदने की तैयारी कर रही है. गौठान अब मल्टी एक्टिविटी सेंटर में तब्दील हो रहे हैं. लेकिन फिर भी गौठानों का मूल उद्देश्य पूरा होता नहीं दिख रहा है, गौठान अब भी मवेशियों की राह ताक रहे हैं. गौठानों में मवेशियों को छोड़ बाकी सब कुछ देखने को मिल रहा है.
मल्टी एक्टिविटी सेंटर बने गौठान, लेकिन यहां नहीं दिख रहे मवेशी
सरगुजा के कलेक्टर संजीव कुमार झा अंंबिकापुर विकासखंड के आदर्श गौठान केशवपुर का निरीक्षण करने पहुंचे थे. बता दें यहां फलदार पौधे, विभिन्न प्रकार की सब्जियां लगाई गई हैं. वर्मी कम्पोस्ट बनाया जा रहा है. इसके साथ-साथ चारागाह में लगाए गए नेपियर घास और एमपीचेरी का अवलोकन किया गया है. कलेक्टर ने यहां फलदार पौधों के साथ अनानास और थाईलैंड के नीबू लगाने के निर्देश भी दिए हैं. ताकि यहां आय की उत्तम व्यव्स्था हो सके.
ETV भारत की टीम ने गौठानों के शुभारंभ के बाद दो बार सरगुजा के आदर्श गौठान की पड़ताल की है. जिस गौठान का शुभारंभ खुद मुखिया भूपेश बघेल ने किया है, लेकिन पड़ताल में दोनों ही बार यह मिला की गौठान में सब कुछ है लेकिन गाय और मवेशी नहीं हैं, केशवपुर के गौठान में भी जब हम पहुंचे तो नजारा किसी खेत जैसा था, लेकिन यहां मवेशी नहीं था .
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फूलों की भी खेती
कलेक्टर ने गौठान के पश्चिम दिशा में अब तक खाली पड़े जमीन में गेंदे के पौधे और रामतिल लगाने के साथ ही फेंसिंग और सीपीटी के किनारे पपीता के पौधे लगाने के निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही गौठान में मल्टी एक्टिविटी के रूप में बटेर पालन, मधुमक्खी पालन और मछली पालन करने के लिए आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए हैं. प्रशासन इसकी तैयारी कर रहा है.
गौठान में आम, अमरूद के पौधों को सुरक्षित रखने के लिए ट्री गॉर्ड और पौधों की प्रजाति का उल्लेख करते हुए सभी पौधे का प्ले कार्ड तैयार कराने के निर्देश दिये गए हैं. पौधों के बीच में खाली जमीन पर इंटर क्रॉप सब्जी की खेती के लिए अलग अलग किस्म के सब्जी लगाने और बारिश में पौधे न बह जाएं इसके लिए बीच बीच मे कंटूर ट्रेंच बनाए जा रहे हैं. डबरी में बारिश के पानी का संचय कर मछली पालन हेतु समूह की महिलाओं को प्रोत्साहित कर डबरी के मेड पर केले और पपीता के पौधे लगवाने की भी कवायद शुरू हो गई है.
इन सारे प्रयासों के जरिए प्रशासन ग्रामीण महिलाओं और युवाओं को समूह के माध्यम से रोजगार से जोड़ना चाहता है. गौठानो में इस तरह के प्रायोग से निश्चित ही रोजगार का सृजन होगा उत्तम श्रेणी के फल से ग्रामीण अधिक मुनाफा कमा सकेंगे, लेकिन सरगुजा में गौठानों को लेकर यह सवाल खड़ा हो रहा है की आखिर मवेशियां गौठानों तक कब पहुंचेंगी, और आखिर कब इसका मूल उद्देश्य पूरा हो सकेगा.