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अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में 1 साल में 447 शिशुओं की मौत

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Published : Jan 16, 2020, 7:43 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में बीते एक साल में 447 नवजात शिशुओं की मौत हुई है.

ambikapur medical college news
नहीं घट रहे शिशु मृत्यु दर के आकड़े

सरगुजा: शिशुवती और गर्भवती महिलाओं के खानपान और स्वास्थ्य को लेकर शासन कई प्रयास कर रहा है, लेकिन कुछ आंकड़े जब सामने आते हैं तो सारी कोशिशें धरी के धरी रह जाती हैं. जगदलपुर के बाद अंबिकापुर में भी शिशु मृत्युदर को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े आए हैं. अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में बीते एक साल में 447 नवजात की मौत हुई है.

एक साल में 447 नवजात शिशुओं की मौत

मेडिकल कॉलेज के SNCU यानी कि गहन चिकित्सा इकाई में नवजात को रखकर उनका इलाज किया जाता है. यहां पिछले साल 2573 नवजात बच्चों का दाखिला हुआ, लेकिन 447 नवजात नहीं बच पाए.

447 मृत बच्चों में से 158 बच्चे पैदा हुए थे मृत
447 मृत बच्चों में से 158 बच्चे मृत पैदा हुए थे और 309 मृत बच्चे ऐसे भी हैं, जिनका जन्म कहीं और हुआ था और बाद में उन्हें इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया था.

आधुनिक संसाधनों के साथ स्टाफ की कमी
डॉक्टरों की मानें, तो शिशु मृत्यु दर औसत के हिसाब से अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में कम मौतें हुई हैं. उनका कहना है कि, 'एक या दो नवजात की मौत होना कोई बड़ी बात नहीं क्योंकि एसएनसीयू में पहुंचने वाले नवजात काफी कमजोर या दूसरी बीमारियों से ग्रसित होते हैं.'

अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में संचालित एसएनसीयू जिला अस्पताल की पुरानी सुविधाओं में ही चल रहा है जबकि यह प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री का गृह क्षेत्र है. मांग है कि यहां के एसएनसीयू में आधुनिक संसाधनों के साथ स्टाफ की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है.

सरगुजा: शिशुवती और गर्भवती महिलाओं के खानपान और स्वास्थ्य को लेकर शासन कई प्रयास कर रहा है, लेकिन कुछ आंकड़े जब सामने आते हैं तो सारी कोशिशें धरी के धरी रह जाती हैं. जगदलपुर के बाद अंबिकापुर में भी शिशु मृत्युदर को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े आए हैं. अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में बीते एक साल में 447 नवजात की मौत हुई है.

एक साल में 447 नवजात शिशुओं की मौत

मेडिकल कॉलेज के SNCU यानी कि गहन चिकित्सा इकाई में नवजात को रखकर उनका इलाज किया जाता है. यहां पिछले साल 2573 नवजात बच्चों का दाखिला हुआ, लेकिन 447 नवजात नहीं बच पाए.

447 मृत बच्चों में से 158 बच्चे पैदा हुए थे मृत
447 मृत बच्चों में से 158 बच्चे मृत पैदा हुए थे और 309 मृत बच्चे ऐसे भी हैं, जिनका जन्म कहीं और हुआ था और बाद में उन्हें इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया था.

आधुनिक संसाधनों के साथ स्टाफ की कमी
डॉक्टरों की मानें, तो शिशु मृत्यु दर औसत के हिसाब से अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में कम मौतें हुई हैं. उनका कहना है कि, 'एक या दो नवजात की मौत होना कोई बड़ी बात नहीं क्योंकि एसएनसीयू में पहुंचने वाले नवजात काफी कमजोर या दूसरी बीमारियों से ग्रसित होते हैं.'

अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में संचालित एसएनसीयू जिला अस्पताल की पुरानी सुविधाओं में ही चल रहा है जबकि यह प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री का गृह क्षेत्र है. मांग है कि यहां के एसएनसीयू में आधुनिक संसाधनों के साथ स्टाफ की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है.

Intro:सरगुज़ा : शिशु वती और गर्भवती माताओं के खानपान व स्वास्थ्य की चिंता करते हुए शासन-प्रशासन विभिन्न तरह के प्रयास करते आ रहा है लेकिन कुछ आंकड़े जब सामने आते हैं तो ऐसा लगता है यह तमाम कोशिशें बेकार साबित हो रही है सिर्फ अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में ही बीते 1 वर्ष में 447 नवजात शिशुओं की मौत हो गई।

मेडिकल कॉलेज के एसएनसीयू यानी कि गहन चिकित्सा इकाई में नवजात बच्चों को रखकर उनका इलाज किया जाता है यहां पिछले वर्ष में 2573 नवजात बच्चों का दाखिला हुआ मगर 447 नवजात यहां से जीवित नहीं निकल सके इन 447 मृत बच्चों में से 158 बच्चे मृत पैदा हुए थे और 309 मृत बच्चे वह है जिनका जन्म कहीं और हुआ था और बाद में उन्हें इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया था।


Body:चिकित्सकों की मानें तो शिशु मृत्यु दर औसत के हिसाब से अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में कम मौतें हुई हैं और एक या दो नवजात की मौत होना कोई बड़ी बात नहीं क्योंकि एसएनसीयू में पहुंचने वाले नवजात काफी कमजोर या दूसरी बीमारियों से ग्रसित होते हैं। वही अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में संचालित एसएनसीयू जिला अस्पताल के समय की सुविधाओं में ही संचालित हो रहा है जबकि यह प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री का गृह क्षेत्र है यहां के एसएनसीयू में आधुनिक संसाधनों के साथ स्टाफ की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए।


Conclusion:बरहाल नवजात शिशुओ की मौत की ये आंकड़े भयावह है और इस पर नियंत्रण कैसे किया जाए इस संबंध में तो सरकार और प्रशासन को ही सोचना होगा देखना यह होगा कि अब स्वास्थ्य महकमा इस ओर क्या कदम उठाता है।

बाइट01_डॉ. सुमन तिर्की (एचओडी एसएनसीयू)

देश दीपक सरगुज़ा
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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