सरगुजा: शिशुवती और गर्भवती महिलाओं के खानपान और स्वास्थ्य को लेकर शासन कई प्रयास कर रहा है, लेकिन कुछ आंकड़े जब सामने आते हैं तो सारी कोशिशें धरी के धरी रह जाती हैं. जगदलपुर के बाद अंबिकापुर में भी शिशु मृत्युदर को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े आए हैं. अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में बीते एक साल में 447 नवजात की मौत हुई है.
मेडिकल कॉलेज के SNCU यानी कि गहन चिकित्सा इकाई में नवजात को रखकर उनका इलाज किया जाता है. यहां पिछले साल 2573 नवजात बच्चों का दाखिला हुआ, लेकिन 447 नवजात नहीं बच पाए.
447 मृत बच्चों में से 158 बच्चे पैदा हुए थे मृत
447 मृत बच्चों में से 158 बच्चे मृत पैदा हुए थे और 309 मृत बच्चे ऐसे भी हैं, जिनका जन्म कहीं और हुआ था और बाद में उन्हें इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया था.
आधुनिक संसाधनों के साथ स्टाफ की कमी
डॉक्टरों की मानें, तो शिशु मृत्यु दर औसत के हिसाब से अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में कम मौतें हुई हैं. उनका कहना है कि, 'एक या दो नवजात की मौत होना कोई बड़ी बात नहीं क्योंकि एसएनसीयू में पहुंचने वाले नवजात काफी कमजोर या दूसरी बीमारियों से ग्रसित होते हैं.'
अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में संचालित एसएनसीयू जिला अस्पताल की पुरानी सुविधाओं में ही चल रहा है जबकि यह प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री का गृह क्षेत्र है. मांग है कि यहां के एसएनसीयू में आधुनिक संसाधनों के साथ स्टाफ की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है.