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रायपुर में अंग्रेजों के जमाने का गणेश मंदिर, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों से भी है नाता - रायपुर में बनारस के पत्थर से बने गणपति

रायपुर की पुरानी बस्ती इलाके में अनोखा गणेश मंदिर है. इस मंदिर में स्थापित गणपति प्रतिमा बनारस से लाए गए पत्थर को तराशकर बनाई गई है. इस मंदिर में आजादी की लड़ाई के समय रायपुर में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एकजुट होकर अंग्रेजों के खिलाफ योजनाएं बनाते थे.

Unique ganesh temple of British era in Raipur
रायपुर में अंग्रेजों के जमाने का अनोखा मंदिर
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Published : Aug 30, 2022, 2:28 PM IST

Updated : Aug 30, 2022, 2:53 PM IST

रायपुर : पूरे देश समेत छत्तीसगढ़ में गणेश पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. देश के लोगों को एकजुट करने के साथ जन-जन में भक्ति भावना को पैदा करने के लिए स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बाल गंगाधर तिलक ने गणेश पर्व की शुरुआत की थी. उसी दौरान रायपुर के पुरानी बस्ती क्षेत्र में भी गणेश मंदिर की स्थापना की गई (Unique ganesh temple of British era in Raipur) थी. अंग्रेजों के जमाने में रायपुर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रायपुर के पुरानी बस्ती स्थित गणेश मंदिर में आजादी पाने की योजना बनाते थे. सभी गणेश भगवान का दर्शन करने के बाद रैली और जुलूस में शामिल होते थे.

रायपुर में अंग्रेजों के जमाने का अनोखा मंदिर
कब बना था मंदिर : इतिहासकार डॉ. रमेंद्रनाथ मिश्रा ने बताया " शुभ कार्य करने से पहले लोग मंदिर में मत्था टेकते हैं. शादी, ब्याह की निमंत्रण पत्रिका देने श्रद्धालु आते हैं. रायपुर की पुरानी बस्ती गुढ़ियारी , सदर बाजार क्षेत्र , गणेश पूजा के नाम से दशकों से जाना जाता है. रायपुर की पुरानी बस्ती में गणेश मंदिर का निर्माण शास्त्री परिवार ने 1933 में करवाया था. पुरानी बस्ती के जैतूसाव मठ, दूधाधारी मठ, नागरीदास मठ जैसे प्रसिद्ध मंदिरों में भगवान श्रीराम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान विराजते थे. तब गणेश भगवान का एक भी मंदिर नहीं था. मंदिर बनने से इस इलाके में गणेश पर्व पर विशेष नजारा दिखाई देता था. अब भी पुरानी बस्ती इलाके में गणेश पर्व की धूम मचती है."
कहां से लाई गई थी प्रतिमा : इतिहासकार डॉ. रमेंद्रनाथ मिश्रा ने बताया " रायपुर के पुरानी बस्ती क्षेत्र में गणेश भगवान की प्रतिमा बनारस से लाई गई (Ganesh idol made of stone from Banaras) थी. उस समय बनारस जाने के लिए ट्रेन सुविधा नहीं थी. बैलगाड़ी में महीनों का सफर करके गणेश भगवान की मूर्ति को लाकर स्थापित किया गया था. खास बात यह है कि इस मूर्ति को एक ही पत्थर को तराश कर बनाया गया है. महात्मा गांधी रायपुर आए थे तो उन्होंने भी इस गणेश मंदिर में आरती की थी."
कितने भक्त जुटते हैं : इतिहासकार डॉ. रमेंद्रनाथ मिश्रा ने बताया " मंदिर की पूजन परंपरा के अनुसार गणेश प्रतिमा को एक वस्त्र साल में एक ही बार पहनाया जाता है. दोबारा उस वस्त्र का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. प्रतिदिन भक्तगण ही वस्त्र सेवा पूजा करने का जिम्मा लेते हैं. मंदिर में जब वार्षिक उत्सव मनाया जाता है तब 15 हजार से ज्यादा भक्तों के लिए भंडारा की व्यवस्था की जाती (raipur news today) है."

रायपुर : पूरे देश समेत छत्तीसगढ़ में गणेश पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. देश के लोगों को एकजुट करने के साथ जन-जन में भक्ति भावना को पैदा करने के लिए स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बाल गंगाधर तिलक ने गणेश पर्व की शुरुआत की थी. उसी दौरान रायपुर के पुरानी बस्ती क्षेत्र में भी गणेश मंदिर की स्थापना की गई (Unique ganesh temple of British era in Raipur) थी. अंग्रेजों के जमाने में रायपुर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रायपुर के पुरानी बस्ती स्थित गणेश मंदिर में आजादी पाने की योजना बनाते थे. सभी गणेश भगवान का दर्शन करने के बाद रैली और जुलूस में शामिल होते थे.

रायपुर में अंग्रेजों के जमाने का अनोखा मंदिर
कब बना था मंदिर : इतिहासकार डॉ. रमेंद्रनाथ मिश्रा ने बताया " शुभ कार्य करने से पहले लोग मंदिर में मत्था टेकते हैं. शादी, ब्याह की निमंत्रण पत्रिका देने श्रद्धालु आते हैं. रायपुर की पुरानी बस्ती गुढ़ियारी , सदर बाजार क्षेत्र , गणेश पूजा के नाम से दशकों से जाना जाता है. रायपुर की पुरानी बस्ती में गणेश मंदिर का निर्माण शास्त्री परिवार ने 1933 में करवाया था. पुरानी बस्ती के जैतूसाव मठ, दूधाधारी मठ, नागरीदास मठ जैसे प्रसिद्ध मंदिरों में भगवान श्रीराम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान विराजते थे. तब गणेश भगवान का एक भी मंदिर नहीं था. मंदिर बनने से इस इलाके में गणेश पर्व पर विशेष नजारा दिखाई देता था. अब भी पुरानी बस्ती इलाके में गणेश पर्व की धूम मचती है."
कहां से लाई गई थी प्रतिमा : इतिहासकार डॉ. रमेंद्रनाथ मिश्रा ने बताया " रायपुर के पुरानी बस्ती क्षेत्र में गणेश भगवान की प्रतिमा बनारस से लाई गई (Ganesh idol made of stone from Banaras) थी. उस समय बनारस जाने के लिए ट्रेन सुविधा नहीं थी. बैलगाड़ी में महीनों का सफर करके गणेश भगवान की मूर्ति को लाकर स्थापित किया गया था. खास बात यह है कि इस मूर्ति को एक ही पत्थर को तराश कर बनाया गया है. महात्मा गांधी रायपुर आए थे तो उन्होंने भी इस गणेश मंदिर में आरती की थी."
कितने भक्त जुटते हैं : इतिहासकार डॉ. रमेंद्रनाथ मिश्रा ने बताया " मंदिर की पूजन परंपरा के अनुसार गणेश प्रतिमा को एक वस्त्र साल में एक ही बार पहनाया जाता है. दोबारा उस वस्त्र का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. प्रतिदिन भक्तगण ही वस्त्र सेवा पूजा करने का जिम्मा लेते हैं. मंदिर में जब वार्षिक उत्सव मनाया जाता है तब 15 हजार से ज्यादा भक्तों के लिए भंडारा की व्यवस्था की जाती (raipur news today) है."
Last Updated : Aug 30, 2022, 2:53 PM IST
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