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रायपुर को स्मार्ट बनाने के नाम पर करोड़ों खर्च, लेकिन नहीं बना शहर खूबसूरत, ईटीवी भारत की पड़ताल

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Published : Apr 1, 2022, 6:28 PM IST

Updated : Apr 7, 2022, 11:57 AM IST

रायपुर शहर को स्मार्ट बनाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए (Crores spent in the name of making Raipur smart ) गए हैं. लेकिन क्या हकीकत में शहर स्मार्ट बना.ये जानने की कोशिश की है ईटीवी भारत ने.

रायपुर नहीं बना खूबसूरत शहर
रायपुर नहीं बना खूबसूरत शहर

रायपुर : स्मार्ट सिटी लिमिटेड की कार्य योजना 31 मार्च 2022 को समाप्त हो गई है. पिछले 5 साल में रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने 400 करोड़ से भी अधिक के कार्य शहर को स्मार्ट बनाने के लिए किए हैं. वहीं 31 मार्च 2022 तक लगभग 200 करोड़ रुपए के वर्क ऑर्डर जारी हुए हैं. रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड की मियाद 31 मार्च के बाद समाप्त गई. ऐसे में अब स्मार्ट सिटी लिमिटेड कोई नया वर्कऑर्डर जारी नहीं कर पाएगी. अब केंद्र से एक्सटेंशन मिलने के बाद भी रायपुर स्मार्ट सिटी के लिए वर्कऑर्डर जारी हो सकता (Raipur Smart not made even after spending crores of rupees) है. पिछले 5 साल में रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने नागरिक सुविधा के लिए कौन-कौन से प्रोजेक्ट बनाए, स्मार्ट सिटी द्वारा किए गए कार्यों के रखरखाव की क्या स्थिति है. इसकी पड़ताल के लिए ईटीवी भारत ने रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के कामों का जायजा लिया

रायपुर को स्मार्ट बनाने के नाम पर करोड़ों खर्च

उद्यानों के कायाकल्प की जिम्मेदारी : शहर के उद्यानों को खूबसूरती देने के लिए करोड़ों रुपए की राशि (Crores spent in the name of making Raipur smart)खर्च हुई. मोती बाग के सौंदर्यीकरण के नाम पर 3 करोड़ 8 लाख रुपए की राशि खर्च की गई. गार्डन में वाटर फाउंटेन के साथ-साथ साइकिल ट्रैक, ओपन थिएटर और नर्सरी भी बनाए गए थे. लेकिन मेंटेनेंस के अभाव के कारण गार्डन का साइकिल ट्रैक जंगल झाड़ी में तब्दील हो गया है. वही स्पेशल एब्लड लोगों के लिए झूले लगाए गए थे. झूले भी आज कंडम हो चुके हैं. इसके साथ ही गार्डन के अंदर एक नर्सरी बनी थी जो पूरी तरह से झाड़ियों में तब्दील हो (Raipur Smart not made even after spending crores of rupees) चुकी है.

रायपुर को स्मार्ट बनाने के नाम पर करोड़ों खर्च

समय से पहले बूढ़ी हुई बापू की कुटिया : रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा शहर के अलग-अलग गार्डन में 50 बापू की कुटिया का निर्माण किया गया था. जिसका कुल बजट 6 करोड़ 78 लाख था, बुजुर्गों को आराम देने के मकसद से इसका निर्माण कराया गया था. इस बापू की कुटिया में एक 54 इंच का एलसीडी टीवी, कैरम, लूडो, शतरंज, योगा मैट, इंडोर गेम जैसी सुविधाएं थी. लेकिन मेंटेनेंस नहीं होने से बापू की कुटिया समय से पहले बुजुर्ग हो गई है. ईटीवी भारत की टीम जब कलेक्ट्रेट गार्डन में बने बापू की कुटिया में पहुंची तो वहां गंदगी पसरी हुई मिली. इसके अलावा यहां लगाई गई एलईडी टीवी भी वहां मौजूद नहीं थी. वहीं शहर के अलग-अलग इलाकों में बापू की कुटिया का यही हाल नजर आ रहा है. कुछ एक जगह ही यह सही ढंग से संचालित हो रही.

5 करोड़ का म्यूजिकल फाउंटेन बना सफेद हाथी : रायपुर स्मार्ट सिटी शहर के प्राचीनतम बूढ़ा तालाब के सौदर्यीकरण का काम (Beautification work of old pond) शुरू किया गया . इस दौरान यहां लगभग 50 करोड़ रुपए से अधिक खर्च करके पहले फेस का काम शुरू हुआ था, इसके साथ ही 5 करोड रुपए की लागत से म्यूजिकल फाउंटेन भी बनाया गया. 1 सप्ताह के अंदर ही म्यूजिकल फाउंटेन बंद हो गया. ज्यादातर समय बूढ़ा तालाब में लगाया गया फाउंटेन बंद ही रहता है. वहीं ये फाउंटेन सफेद हाथी साबित हो रहा है. इसके साथ सजावट के लिए लगाई गई लाइट भी खराब हो रही है. लेकिन उसे बदलने का काम नहीं किया जा रहा है. कहीं ना कहीं मेंटेनेंस के अभाव के कारण स्मार्ट सिटी के बहुत से प्रोजेक्ट बर्बाद हो रहे हैं.

विपक्ष ने लगाए गंभीर आरोप : रायपुर नगर निगम के उपनेता प्रतिपक्ष मनोज वर्मा (Municipal Deputy Leader of Opposition Manoj Verma) ने स्मार्ट सिटी लिमिटेड के कामों पर कई सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा है कि स्मार्ट सिटी लिमिटेड कमीशन खोरी का चारागाह बन गया है. मनोज वर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार ने जब रायपुर शहर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए शामिल किया था, तब हमें बहुत खुशी मिली थी. लेकिन आज तालाबों के सौंदर्यीकरण के नाम पर सिर्फ लूट मची हुई है. इसे लेकर भी जनप्रतिनिधियों द्वारा प्रदर्शन किया गया है. पिछले 5 सालों में ऐसा कोई भी कार्य नहीं दिखता है जो रायपुर शहर को स्मार्ट सिटी बताता हो.

ये भी पढ़ें- स्मार्ट सिटी बिलासपुर रायपुर को हाईकोर्ट से बड़ी राहत, 578 करोड़ के वर्कऑर्डर जारी करने की अनुमति

जिम्मेदारों की अपनी राय : रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड एमडी अभिजीत सिंह का कहना है रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड (Work is under Raipur Smart City Limited) के तहत शहर में जो विकास कार्य कराए गए हैं इसके रखरखाव की जिम्मेदारी संबंधित एजेंसी के हाथों में ही है. टेंडर के दौरान उनके कॉन्ट्रैक्ट में ही ऑपरेशन और मेंटेनेंस का क्लॉज रहता है. उसके तहत संबंधित एजेंसी मेंटेनेंस करेगी. अगर एजेंसी द्वारा मेंटेनेंस का कार्य नहीं किया जा रहा है तो संबंधित एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी .

रायपुर : स्मार्ट सिटी लिमिटेड की कार्य योजना 31 मार्च 2022 को समाप्त हो गई है. पिछले 5 साल में रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने 400 करोड़ से भी अधिक के कार्य शहर को स्मार्ट बनाने के लिए किए हैं. वहीं 31 मार्च 2022 तक लगभग 200 करोड़ रुपए के वर्क ऑर्डर जारी हुए हैं. रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड की मियाद 31 मार्च के बाद समाप्त गई. ऐसे में अब स्मार्ट सिटी लिमिटेड कोई नया वर्कऑर्डर जारी नहीं कर पाएगी. अब केंद्र से एक्सटेंशन मिलने के बाद भी रायपुर स्मार्ट सिटी के लिए वर्कऑर्डर जारी हो सकता (Raipur Smart not made even after spending crores of rupees) है. पिछले 5 साल में रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने नागरिक सुविधा के लिए कौन-कौन से प्रोजेक्ट बनाए, स्मार्ट सिटी द्वारा किए गए कार्यों के रखरखाव की क्या स्थिति है. इसकी पड़ताल के लिए ईटीवी भारत ने रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के कामों का जायजा लिया

रायपुर को स्मार्ट बनाने के नाम पर करोड़ों खर्च

उद्यानों के कायाकल्प की जिम्मेदारी : शहर के उद्यानों को खूबसूरती देने के लिए करोड़ों रुपए की राशि (Crores spent in the name of making Raipur smart)खर्च हुई. मोती बाग के सौंदर्यीकरण के नाम पर 3 करोड़ 8 लाख रुपए की राशि खर्च की गई. गार्डन में वाटर फाउंटेन के साथ-साथ साइकिल ट्रैक, ओपन थिएटर और नर्सरी भी बनाए गए थे. लेकिन मेंटेनेंस के अभाव के कारण गार्डन का साइकिल ट्रैक जंगल झाड़ी में तब्दील हो गया है. वही स्पेशल एब्लड लोगों के लिए झूले लगाए गए थे. झूले भी आज कंडम हो चुके हैं. इसके साथ ही गार्डन के अंदर एक नर्सरी बनी थी जो पूरी तरह से झाड़ियों में तब्दील हो (Raipur Smart not made even after spending crores of rupees) चुकी है.

रायपुर को स्मार्ट बनाने के नाम पर करोड़ों खर्च

समय से पहले बूढ़ी हुई बापू की कुटिया : रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा शहर के अलग-अलग गार्डन में 50 बापू की कुटिया का निर्माण किया गया था. जिसका कुल बजट 6 करोड़ 78 लाख था, बुजुर्गों को आराम देने के मकसद से इसका निर्माण कराया गया था. इस बापू की कुटिया में एक 54 इंच का एलसीडी टीवी, कैरम, लूडो, शतरंज, योगा मैट, इंडोर गेम जैसी सुविधाएं थी. लेकिन मेंटेनेंस नहीं होने से बापू की कुटिया समय से पहले बुजुर्ग हो गई है. ईटीवी भारत की टीम जब कलेक्ट्रेट गार्डन में बने बापू की कुटिया में पहुंची तो वहां गंदगी पसरी हुई मिली. इसके अलावा यहां लगाई गई एलईडी टीवी भी वहां मौजूद नहीं थी. वहीं शहर के अलग-अलग इलाकों में बापू की कुटिया का यही हाल नजर आ रहा है. कुछ एक जगह ही यह सही ढंग से संचालित हो रही.

5 करोड़ का म्यूजिकल फाउंटेन बना सफेद हाथी : रायपुर स्मार्ट सिटी शहर के प्राचीनतम बूढ़ा तालाब के सौदर्यीकरण का काम (Beautification work of old pond) शुरू किया गया . इस दौरान यहां लगभग 50 करोड़ रुपए से अधिक खर्च करके पहले फेस का काम शुरू हुआ था, इसके साथ ही 5 करोड रुपए की लागत से म्यूजिकल फाउंटेन भी बनाया गया. 1 सप्ताह के अंदर ही म्यूजिकल फाउंटेन बंद हो गया. ज्यादातर समय बूढ़ा तालाब में लगाया गया फाउंटेन बंद ही रहता है. वहीं ये फाउंटेन सफेद हाथी साबित हो रहा है. इसके साथ सजावट के लिए लगाई गई लाइट भी खराब हो रही है. लेकिन उसे बदलने का काम नहीं किया जा रहा है. कहीं ना कहीं मेंटेनेंस के अभाव के कारण स्मार्ट सिटी के बहुत से प्रोजेक्ट बर्बाद हो रहे हैं.

विपक्ष ने लगाए गंभीर आरोप : रायपुर नगर निगम के उपनेता प्रतिपक्ष मनोज वर्मा (Municipal Deputy Leader of Opposition Manoj Verma) ने स्मार्ट सिटी लिमिटेड के कामों पर कई सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा है कि स्मार्ट सिटी लिमिटेड कमीशन खोरी का चारागाह बन गया है. मनोज वर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार ने जब रायपुर शहर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए शामिल किया था, तब हमें बहुत खुशी मिली थी. लेकिन आज तालाबों के सौंदर्यीकरण के नाम पर सिर्फ लूट मची हुई है. इसे लेकर भी जनप्रतिनिधियों द्वारा प्रदर्शन किया गया है. पिछले 5 सालों में ऐसा कोई भी कार्य नहीं दिखता है जो रायपुर शहर को स्मार्ट सिटी बताता हो.

ये भी पढ़ें- स्मार्ट सिटी बिलासपुर रायपुर को हाईकोर्ट से बड़ी राहत, 578 करोड़ के वर्कऑर्डर जारी करने की अनुमति

जिम्मेदारों की अपनी राय : रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड एमडी अभिजीत सिंह का कहना है रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड (Work is under Raipur Smart City Limited) के तहत शहर में जो विकास कार्य कराए गए हैं इसके रखरखाव की जिम्मेदारी संबंधित एजेंसी के हाथों में ही है. टेंडर के दौरान उनके कॉन्ट्रैक्ट में ही ऑपरेशन और मेंटेनेंस का क्लॉज रहता है. उसके तहत संबंधित एजेंसी मेंटेनेंस करेगी. अगर एजेंसी द्वारा मेंटेनेंस का कार्य नहीं किया जा रहा है तो संबंधित एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी .

Last Updated : Apr 7, 2022, 11:57 AM IST

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