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रायपुर में सामाजिक ऑडिट कर्मचारी महासंघ का हल्लाबोल

राजधानी रायपुर में प्रदेश भर के लगभग 33 हजार सामाजिक ऑडिट कर्मचारी और अधिकारियों ने विरोध जताया. अपनी 3 सूत्रीय मांग को लेकर 16 अगस्त से 18 अगस्त तक प्रदर्शन किया.

Demonstration of Social Audit Employees Federation
सामाजिक ऑडिट कर्मचारी महासंघ का प्रदर्शन
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Published : Aug 18, 2022, 5:57 PM IST

रायपुर: राजधानी रायपुर में सामाजिक ऑडिट कर्मचारी महासंघ ने विरोध जताया. प्रदेश भर के लगभग 33 हजार सामाजिक ऑडिट कर्मचारी और अधिकारियों ने आंदोलन किया. उन्होंने अपनी 3 सूत्रीय मांग को लेकर तीन दिन तक राजधानी में प्रदर्शन किया. इनकी प्रमुख मांग है सभी कर्मचारियों का 9 महीने से अटका हुआ वेतन उन्हें दिया जाए. इन मांगों को लेकर सामाजिक ऑडिट कर्मचारी और अधिकारी प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्होंने कहा है कि "इस प्रदर्शन के बाद भी यदि सरकार इनकी मांगों को पूरा नहीं करती है, तो आने वाले समय में उग्र आंदोलन और प्रदर्शन किया जाएगा. अगर जरूरत पड़ी तो दिल्ली के जंतर मंतर में भी प्रदर्शन करेंगे."

सामाजिक ऑडिट कर्मचारी महासंघ का प्रदर्शन
सामाजिक ऑडिट कर्मचारी महासंघ की 3 सूत्रीय मांग: सामाजिक ऑडिट कर्मचारी और अधिकारियों ने राजधानी के बूढ़ा तालाब धरना स्थल पर 16 अगस्त से 18 अगस्त तक विरोध किया. अपनी 3 सूत्रीय मांगों को लेकर उन्होंने प्रदर्शन किया हैं. इनकी 3 सूत्रीय मांगों में पहला सामाजिक ऑडिट इकाई के समस्त अधिकारी और कर्मचारियों को पिछले 9 महीने से वेतन का भुगतान किये जाने की माग है. दूसरी मांग भविष्य निधि और वेतन वृद्धि किया जाए जाने को लेकर है. इनकी तीसरी मांग सामाजिक ऑडिट का कार्य करने वाले स्व सहायता समूह ग्रामीण स्रोत का कार्य करने वाले व्यक्तियों से जुड़ी है. 1 साल काम कराने के बाद भी उन्हें पारिश्रमिक का भुगतान नहीं किया गया है, जिसे दिये जाने की मांग रखी गई है.लगभग 33 हज़ार कर्मचारी अधिकारियों के पैसे अटके: साल 2021- 22 में राज्य के 8 हजार 48 ग्राम पंचायतों का सामाजिक ऑडिट का कार्य किया गया है. जिसमें प्रदेश भर के सामाजिक ऑडिट इकाई के अधिकारी और कर्मचारी और ग्रामीण स्रोत व्यक्ति शामिल है. जिनकी संख्या लगभग 33 हजार है. इन अधिकारियों और कर्मचारियों की राशि लगभग 8 करोड़ 23 लाख रुपए बकाया है. जिसकी मांग को लेकर तीन दिवसीय प्रदर्शन किया जा रहा है. यह भी पढ़ें: रायपुर डेंटल कॉलेज में छह छात्रों के साथ रैगिंग, प्रबंधन ने की कार्रवाई

6 दिन गांव में रुक कर हर घर जाकर करना होता है ऑडिट: बालोद की डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर सामाजिक ऑडिट अधिकारी रेणुका सेन ने बताया कि "ग्राम पंचायतों में मनरेगा के तहत होने वाले कामों का ऑडिट करना होता है. इसके लिए ग्राम पंचायतों में 6 दिन रुक कर इसकी ऑडिट करनी होती है. एक पूरी टीम गांव में जाकर सामाजिक ऑडिट का काम करती है. गांव में 6 दिनों तक घर घर जाकर मनरेगा के तहत हुए कामों का वेरीफिकेशन करना होता है."

9 महीने से वेतन नहीं मिलने से आर्थिक स्थिति बिगड़ी: बिलासपुर के जिला कोऑर्डिनेटर सामाजिक ऑडिट अधिकारी मलखान सिंह ने बताया कि "बीते 9 महीने से वेतन नहीं मिलने की वजह से आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है. हमें परिवार चलाने में भी कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. शासन प्रशासन के द्वारा उन्हें आश्वासन जरूर मिलता है कि आपका वेतन भुगतान जल्द करा दिया जाएगा. लेकिन सामाजिक ऑडिट के काम में लगे इन अधिकारी और कर्मचारियों को आश्वासन देकर चुप करा दिया जाता है."

रायपुर: राजधानी रायपुर में सामाजिक ऑडिट कर्मचारी महासंघ ने विरोध जताया. प्रदेश भर के लगभग 33 हजार सामाजिक ऑडिट कर्मचारी और अधिकारियों ने आंदोलन किया. उन्होंने अपनी 3 सूत्रीय मांग को लेकर तीन दिन तक राजधानी में प्रदर्शन किया. इनकी प्रमुख मांग है सभी कर्मचारियों का 9 महीने से अटका हुआ वेतन उन्हें दिया जाए. इन मांगों को लेकर सामाजिक ऑडिट कर्मचारी और अधिकारी प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्होंने कहा है कि "इस प्रदर्शन के बाद भी यदि सरकार इनकी मांगों को पूरा नहीं करती है, तो आने वाले समय में उग्र आंदोलन और प्रदर्शन किया जाएगा. अगर जरूरत पड़ी तो दिल्ली के जंतर मंतर में भी प्रदर्शन करेंगे."

सामाजिक ऑडिट कर्मचारी महासंघ का प्रदर्शन
सामाजिक ऑडिट कर्मचारी महासंघ की 3 सूत्रीय मांग: सामाजिक ऑडिट कर्मचारी और अधिकारियों ने राजधानी के बूढ़ा तालाब धरना स्थल पर 16 अगस्त से 18 अगस्त तक विरोध किया. अपनी 3 सूत्रीय मांगों को लेकर उन्होंने प्रदर्शन किया हैं. इनकी 3 सूत्रीय मांगों में पहला सामाजिक ऑडिट इकाई के समस्त अधिकारी और कर्मचारियों को पिछले 9 महीने से वेतन का भुगतान किये जाने की माग है. दूसरी मांग भविष्य निधि और वेतन वृद्धि किया जाए जाने को लेकर है. इनकी तीसरी मांग सामाजिक ऑडिट का कार्य करने वाले स्व सहायता समूह ग्रामीण स्रोत का कार्य करने वाले व्यक्तियों से जुड़ी है. 1 साल काम कराने के बाद भी उन्हें पारिश्रमिक का भुगतान नहीं किया गया है, जिसे दिये जाने की मांग रखी गई है.लगभग 33 हज़ार कर्मचारी अधिकारियों के पैसे अटके: साल 2021- 22 में राज्य के 8 हजार 48 ग्राम पंचायतों का सामाजिक ऑडिट का कार्य किया गया है. जिसमें प्रदेश भर के सामाजिक ऑडिट इकाई के अधिकारी और कर्मचारी और ग्रामीण स्रोत व्यक्ति शामिल है. जिनकी संख्या लगभग 33 हजार है. इन अधिकारियों और कर्मचारियों की राशि लगभग 8 करोड़ 23 लाख रुपए बकाया है. जिसकी मांग को लेकर तीन दिवसीय प्रदर्शन किया जा रहा है. यह भी पढ़ें: रायपुर डेंटल कॉलेज में छह छात्रों के साथ रैगिंग, प्रबंधन ने की कार्रवाई

6 दिन गांव में रुक कर हर घर जाकर करना होता है ऑडिट: बालोद की डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर सामाजिक ऑडिट अधिकारी रेणुका सेन ने बताया कि "ग्राम पंचायतों में मनरेगा के तहत होने वाले कामों का ऑडिट करना होता है. इसके लिए ग्राम पंचायतों में 6 दिन रुक कर इसकी ऑडिट करनी होती है. एक पूरी टीम गांव में जाकर सामाजिक ऑडिट का काम करती है. गांव में 6 दिनों तक घर घर जाकर मनरेगा के तहत हुए कामों का वेरीफिकेशन करना होता है."

9 महीने से वेतन नहीं मिलने से आर्थिक स्थिति बिगड़ी: बिलासपुर के जिला कोऑर्डिनेटर सामाजिक ऑडिट अधिकारी मलखान सिंह ने बताया कि "बीते 9 महीने से वेतन नहीं मिलने की वजह से आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है. हमें परिवार चलाने में भी कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. शासन प्रशासन के द्वारा उन्हें आश्वासन जरूर मिलता है कि आपका वेतन भुगतान जल्द करा दिया जाएगा. लेकिन सामाजिक ऑडिट के काम में लगे इन अधिकारी और कर्मचारियों को आश्वासन देकर चुप करा दिया जाता है."

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