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प्राख्यात कवि 'मीर अली मीर' ने कोरोना पर लिखी छत्तीसगढ़ी कविता, यह रहे बोल...

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Published : Sep 28, 2021, 9:38 PM IST

Updated : Sep 28, 2021, 10:25 PM IST

प्राख्यात कवि 'मीर अली मीर' पिछले दिनों कोरोना संक्रमित (corona infected) हुए थे और उसके बाद अब वह कोरोना को मात दे कर स्वस्थ हो चुके हैं.  इस बीच उन्होंने कोरोना को लेकर एक छत्तीसगढ़ी में कविता (poetry in chhattisgarhi) लिखी. इस कविता में उन्होंने जहां अपनी पीड़ा को बयां किया है वहीं लोगों को एक अभूतपूर्व संदेश भी दे दिया है.

Famous poet 'Mir Ali Mir' wrote Chhattisgarhi poem on Corona
प्राख्यात कवि 'मीर अली मीर' ने कोरोना पर लिखी छत्तीसगढ़ी कविता



रायपुरः प्राख्यात कवि 'मीर अली मीर' (Eminent Poet Mir Ali Mir) पिछले दिनों कोरोना संक्रमित हुए थे और उसके बाद अब वह कोरोना को मात दे कर स्वस्थ हो चुके हैं. इस बीच उन्होंने कोरोना को लेकर एक छत्तीसगढ़ी में कविता लिखी.

जिसमें उन्होंने कोरोना की पीड़ा (Corona's pain) को अपने शब्दों में बयां किया है. इस कविता के माध्यम से उन्होंने कहा है कि संक्रमण के दौरान देश और प्रदेश का कितना बुरा हाल रहा. संक्रमण (Infection) होने पर किस तरीके से अपनों ने दूरी बना ली. इसके साथ ही उन्होंने कोरोना से बचाव के लिए अपनाने वाले जरूरी उपाय को भी कविता के माध्यम (through poetry) से लोगों को बताने की कोशिश की है.

प्राख्यात कवि 'मीर अली मीर' ने कोरोना पर लिखी छत्तीसगढ़ी कविता

लोगों से सुरक्षा को लेकर की है अपील

कविता के सहारे उन्होंने कहा है कि लोग कितना सुंदर जिंदगी लोग जी रहे थे. कई मामलों में लोगों को ताउम्र बुखार नहीं होने की शिकायत रही है लेकिन इस महामारी ने हर तबके को तबाह किया. मीर अली मीर ने अपने गीत के माध्यम से लोगों से अपील की है कि कोरोना से बचाव की दिशा में मास्क जरूर लगाना है. साथ ही सामाजिक दूरी का पालन करें और अपने हाथों को समय-समय पर साफ करते रहें.

इस छत्तीसगढ़ी में लिखी गई कविता को मीर अली मीर ने ईटीवी भारत के सामने पढ़ा, आइए आप भी 'मीर अली मीर' द्वारा कोरोना पर लिखी गई छत्तीसगढ़ी कविता का आनंद लीजिए, जिसके बोल इस प्रकार हैं...
अब तो चेत करेला परही
नईते मनखे मनखे दुरियावत हे,
लरे परे म सेवा जतन
अपने अपन तिरीआवत हे...



रायपुरः प्राख्यात कवि 'मीर अली मीर' (Eminent Poet Mir Ali Mir) पिछले दिनों कोरोना संक्रमित हुए थे और उसके बाद अब वह कोरोना को मात दे कर स्वस्थ हो चुके हैं. इस बीच उन्होंने कोरोना को लेकर एक छत्तीसगढ़ी में कविता लिखी.

जिसमें उन्होंने कोरोना की पीड़ा (Corona's pain) को अपने शब्दों में बयां किया है. इस कविता के माध्यम से उन्होंने कहा है कि संक्रमण के दौरान देश और प्रदेश का कितना बुरा हाल रहा. संक्रमण (Infection) होने पर किस तरीके से अपनों ने दूरी बना ली. इसके साथ ही उन्होंने कोरोना से बचाव के लिए अपनाने वाले जरूरी उपाय को भी कविता के माध्यम (through poetry) से लोगों को बताने की कोशिश की है.

प्राख्यात कवि 'मीर अली मीर' ने कोरोना पर लिखी छत्तीसगढ़ी कविता

लोगों से सुरक्षा को लेकर की है अपील

कविता के सहारे उन्होंने कहा है कि लोग कितना सुंदर जिंदगी लोग जी रहे थे. कई मामलों में लोगों को ताउम्र बुखार नहीं होने की शिकायत रही है लेकिन इस महामारी ने हर तबके को तबाह किया. मीर अली मीर ने अपने गीत के माध्यम से लोगों से अपील की है कि कोरोना से बचाव की दिशा में मास्क जरूर लगाना है. साथ ही सामाजिक दूरी का पालन करें और अपने हाथों को समय-समय पर साफ करते रहें.

इस छत्तीसगढ़ी में लिखी गई कविता को मीर अली मीर ने ईटीवी भारत के सामने पढ़ा, आइए आप भी 'मीर अली मीर' द्वारा कोरोना पर लिखी गई छत्तीसगढ़ी कविता का आनंद लीजिए, जिसके बोल इस प्रकार हैं...
अब तो चेत करेला परही
नईते मनखे मनखे दुरियावत हे,
लरे परे म सेवा जतन
अपने अपन तिरीआवत हे...

Last Updated : Sep 28, 2021, 10:25 PM IST
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