रायपुर : छत्तीसगढ़ में ऑनलाइन ठगी के मामले दिनों दिन बढ़ते जा रहे हैं. पुलिस की ओर से लगातार प्रयास किए जाने के बाद भी इस पर लगाम कसने में नाकामयाब साबित हो रही (Preparation of horoscope of cyber thugs in Chhattisgarh) है. ऐसे में पुलिस ने ठगों के नंबर को ट्रेस करना शुरू कर दिया है. ठगी करने वाले नंबरों की पहचान कर उसकी सूची तैयार की जा रही है. इन नंबरों को ब्लॉक भी कराया जा रहा है. साथ ही संबंधित राज्यों की पुलिस से संपर्क कर उन नंबरों के बारे में जानकारी जुटाकर साइबर ठगों का डाटा बना रही है. पुलिस ने अब तक 9000 से ज्यादा नंबरों की सूची तैयार की (Number of cyber thugs getting blocked in Chhattisgarh) है. इसमें 50 से अधिक नंबरों को ब्लॉक भी कर दिया गया है.
हर महीने कितने की ठगी : राजधानी के अलावा प्रदेश भर में साइबर ठग अलग-अलग पैंतरों से ठगी की वारदात को अंजाम दे रहे (cyber crime in chhattisgarh) हैं. हर माह 30 से 35 लाख रुपये की ठगी हो रही है. प्रदेश भर में हर महीने 500 से ज्यादा लोगों के पास अलग-अलग तरीके से ठगी के कॉल आ रहे हैं. ठग जितने लोगों को ठगी के लिए कॉल करते हैं. उनमें से 25 से 30% लोगों को ही अपने जाल में फंसा पाते हैं. ऐसे में केंद्र सरकार ने जालसाजी के नंबर की पहचान कर ब्लॉक करने का निर्देश दिया है. जिसके बाद राज्य पुलिस इन नंबरों की पहचान कर ब्लॉक करने की कवायद तेज कर दी है.
पहले क्या होती थी परेशानी : पुलिस अधिकारियों ने बताया कि '' पहले नंबर ब्लॉक नहीं कराते थे, क्योंकि ज्यादातर नंबर दूसरे राज्यों के होते थे. हर राज्य में टेलीकॉम कंपनी का सर्कल अलग-अलग होता है. इसलिए नंबर को ब्लॉक करना आसान नहीं था. उस समय नंबरों को ब्लॉक करने के लिए मेल नहीं करते थे, लेकिन केंद्र सरकार के निर्देश के बाद अब ऐसा हो रहा है. पुलिस ने अब तक 50 से अधिक नंबरों को ब्लॉक कर दिया है.''
कैसे होगा नंबर बंद : पुलिस अफसरों की मानें तो सभी थानों में 3 पन्नों का एक प्रोफार्मा बनाकर भेजा गया ( fraud cases in Chhattisgarh) है.उसमें घटना की जानकारी के साथ ठगों का फोन नंबर लिखकर साइबर सेल को भेजना होगा. उसके बाद साइबर सेल उन नंबरों को टेलीकॉम विभाग में भेजकर ब्लॉक कराएगी. एक ही नंबरों से तीन लोगों को फोन और ठगी की घटना का होना जरूरी है, तभी उन नंबरों को बंद कराया जाएगा. पुलिस के अनुसार इससे देश में हजारों फर्जी नंबर बंद हो जाएंगे.
एक हजार से अधिक ठगी की शिकायत : पुलिस से मिले आंकड़े के मुताबिक पिछले साल साइबर सेल के पास एक हजार से ज्यादा ऑनलाइन ठगी की शिकायतें आई थी. इसमें 104 में ही पुलिस ने ठगी का केस दर्ज किया था, जबकि 680 लोगों का ही पैसा लौटा पाई थी. पोर्टल में 1350 लोगों ने शिकायत की थी. इसकी भी जांच साइबर सेल में हुई थी. इसमें तीन हजार से ज्यादा नंबरों का ठगों ने उपयोग किया था. नंबर बदल बदल कर लोगों से ठगी की थी. पुलिस ने गिनती के नंबर को ब्लॉक किया था. हालांकि थानों में 3000 से ज्यादा छोटी बड़ी ठगी की शिकायतें आई थी. जिसमें जांच हुई, लेकिन रकम कम होने के कारण लोगों ने केस दर्ज नहीं कराया.
कहां से फैला ठगी का जाल : पुलिस के मुताबिक पहले मोबाइल वेरिफिकेशन, एटीएम और बैंक अकाउंट ब्लॉक होने का झांसा देकर ठगी की ज्यादातर घटनाएं झारखंड के जामताड़ा से होती थी. जामताड़ा से ठगी का महाजाल हरियाणा, राजस्थान होते हुए देश के कई राज्यों तक फैल गया. ठगी करने जो कॉल किए जाते हैं. उनमें ज्यादातर नंबर फर्जी तरीके से हासिल किए जाते हैं. इस वजह से पुलिस उन नंबरों को जल्द ट्रेस नहीं कर पाती. पुलिस ज्यादातर मामलों में बैंक लेनदेन के आधार पर ठगों के बारे में जानकारी निकाल कर उन तक पहुंचती है.
ठगी होने पर किन नंबरों पर दें जानकारी : पुलिस के मुताबिक यदि किसी के पास लाखों की लॉटरी लगने, गाड़ी उपहार में देने से लेकर अलग-अलग नामों से फोन आए हैं. उन नंबरों की जानकारी रायपुर साइबर सेल के नंबर 9479191019 में दे सकते हैं. इसके अलावा स्थानीय थानों में भी इसकी शिकायत करें, ताकि अन्य लोग ठगों के झांसे में न आए और पुलिस उक्त नंबर को समय रहते ब्लॉक करा सके.
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कैसे होगी कार्रवाई : एंटी क्राइम एंड साइबर यूनिट(एसीसीयू) के प्रभारी गिरीश तिवारी ने बताया "ठगों के नंबर की सूची तैयार की जा रही है. उनके नंबरों को ब्लॉक करने की भी कवायद जारी है. हमने अब तक 50 से अधिक नंबरों को ब्लॉक करने में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है. आगे भी इन नंबरों को ब्लॉक किया जाएगा, ताकि लोग साइबर ठगों के झांसे में आने से बच सकें."