रायपुरः छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद (naxalism in chhattisgarh) प्रमुख मुद्दों में से एक माना जाता है. इससे निपटने के लिए हर साल केंद्र और राज्य की सरकारें करोड़ों रुपये खर्च करती हैं. इसके बाद भी छत्तीसगढ़ में नक्सवाद पर पूरी तरह से नियंत्रण नहीं पाया जा सका है. नक्सली बीच-बीच में किसी न किसी वारदात को अंजाम देते ही रहे हैं.
नक्सली बस्तर जैसे इलाके में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हैं. सच्चाई यह है कि पुलिस को कुछ सफलताएं भी हाथ लगी हैं. लेकिन अब भी नक्सलियों के बड़े लीडरों तक पुलिस नहीं पहुंच पाई है. साल 2021 की यदि बात की जाए तो यूं तो कई बड़ी घटनाएं बस्तर में हुई हैं. यह राष्ट्रीय स्तर की सुर्खियां बनी रहीं. कई केंद्रीय मंत्रियों को बस्तर का दौरा करना पड़ा. ईटीवी भारत आपको कुछ ऐसी ही बड़ी घटनाओं के बारे में बताने जा रहा है, जो इस बीते एक साल में घटित हुई हैं.
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छत्तीसगढ़ में जवानों का बलिदान नहीं भूल पाएगा देश
छत्तीसगढ़ में बड़ी नक्सली घटना की बात की जाए तो बीजापुर जिले के तररेम की घटना को शायद देश कभी भूल नहीं पाएगा. 3 अप्रैल 2021 का वह दिन था, जब हमने अपने 24 जवानों को खो दिया. बड़ी तादाद में घात लगाए बैठे नक्सलियों ने जवानों पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई. बीजापुर जिले में हुए इस मुठभेड़ में हमारे 24 जवान शहीद हो गए थे, जबकि लगभग 30 जवान घायल हुए थे. इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. इसे इस साल की सबसे बड़ी घटना मानी जाती है.
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ये रहीं 2021 में नक्सलियों की बड़ी घटनाएं
- 23 मार्च को नारायणपुर में नक्सलियों ने जवानों से भरी बस को उड़ा दिया, जिसमें 5 जवानों की शहादत हो गए और 19 जवान घायल हो गए थे. जिसमें से 7 जवान गंभीर रूप से घायल हुए थे. नक्सलियों ने उस वक्त वारदात को अंजाम दिया, जब डीआरजी के जवान सर्चिंग से वापस नारायणपुर के लिए लौट रहे थे. इसी दौरान कडेनार और कंहारगांव के बीच नक्सलियों द्वारा लगाए गए आईईडी ब्लास्ट से बस के परखच्चे उड़ गए थे.
- 25 मार्च को कोंडागांव जिले के केशकाल इलाका अंतर्गत कुएँमारी में सड़क निर्माण में लगी गाड़ियों को नक्सलियों में दिन दहाड़े आग के हवाले कर दिया. नक्सल प्रभावित अति संवेदनशील इलाके में नक्सलियों द्वारा की गई इस अगजनी में 17 गाड़ियां जलकर खाक हो गई थीं. हथियारबंद नक्सलियों ने घटना को उस वक्त अंजाम दिया जब निर्माण कार्य में जुटे लोग लंच कर रहे थे. इस घटना में करीब 3 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ था.
- तीन अप्रैल को हुए मुठभेड़ में एक कोबरा बटालियन के जवान राकेश्वर सिंह को नक्सलियों ने अगवा कर लिया था. सर्चिंग पर निकले जवानों पर अंधाधुंध फायरिंग की. इस हमले में करीब 24 जवान शहीद हक गए थे. अगवा जवान की रिहाई के लिए पूरा देश एकजुट हो गया था. इसके बाद अपहृत जवान की रिहाई के लिए 11 सदस्यीय टीम ने जाकर नक्सलियों से मध्यस्थता की थी. जिसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका समाजसेवी पद्मश्री धर्मपाल सैनी की रही. साथ ही स्थानीय पत्रकारों ने भी जवान की रिहाई के लिए इस 11 सदस्यीय टीम में शामिल रहे.
- बीजापुर जिले के गंगालूर थाना क्षेत्र में 21 अप्रैल को डीआरजी के एसआई मुरली ताती का नक्सलियों ने अपहरण कर लिया था. नक्सली तीन दिनों तक एसआई मुरली को अपने साथ घुमाते रहे. उसके बाद 23 अप्रैल को जवान की हत्या कर शव को सड़क पर फेंक दिया था. इस दौरान नक्सलियों ने मुरली के शव के साथ पर्चा भी फेंका था. जिसमें 2006 से अब तक डीआरजी में रहकर मुरली पर एडसमेटा, पालनार, मुघवेंडी में ग्रामीणों की हत्या का आरोप लगाया था. अपहृत जवान की रिहाई के लिए आदिवासी समाज ने अपील भी की थी.
- पांच नवंबर को नक्सलियों ने सुकमा जिले के बटेर गांव से 5 ग्रामीणों का अपहरण कर लिया था. पुलिस मुखबिरी के शक में नक्सलियों ने ग्रामीणों का अपहरण किया. नक्सली ग्रामीणों को जबरन उनके गांव से लगभग 18 किमी दूर जंगल में ले गए थे, जो कि रायपुर से 470 किमी से अधिक दूरी पर है. हालांकि तीन दिन बाद नक्सलियों ने ग्रामीणों को छोड़ दिया, लेकिन कुछ ग्रामीणों के साथ नक्सलियों ने मारपीट की थी. ़
- सात नवंबर को सुकमा जिले के मरईगुड़ा के लिंगनपल्ली में सीआरपीएफ की 50 वीं बटालियन में एक जवान ने साथियों पर ही गोलियां बरसा दी थी. घटना देर रात 3:25 बजे की थी. इस फायरिंग में सीआरपीएफ के 4 जवानों की मौत हो गई और 3 जवान गंभीर रूप से घायल हो गए थे. फायरिंग करने वाले जवान रितेश रंजन को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई. जिसमें जवान की मानसिक संतुलन ठीक नहीं होना निकलर सामने आया था.
- 12 नवंबर को बीजापुर जिले के गोरना-मनकेली मार्ग पर सर्वेक्षण के लिए गए प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना विभाग के सब इंजीनियर अजय रोशन लकड़ा का नक्सलियों ने अपहरण किया था. रोशन के साथ चपरासी को भी नक्सली अपने साथ ले गए थे, लेकिन नक्सलियों ने चपरासी को छोड़ दिया था. वहीं, रोशन के अपहरण की खबर मिलते ही उनकी पत्नी अर्पिता अपने बच्चे को गोद में लेकर जंगलों की खाक छानती रही. इसके बाद स्थानीय पत्रकारों के साथ अर्पिता नक्सलियों की मांद में घुस गई. उसके बाद 6 दिन बाद पति को छुड़ाकर वापस लौटी.
- केंद्रीय आंतरिक सुरक्षा सलाहकार के विजय कुमार (Central Internal Security Advisor K Vijay Kumar ) छत्तीसगढ़ पहुंचे. यहां उन्होंने नारायणपुर और कांकेर में जवानों से मुलाकात की. रायपुर में नक्सल मोर्चे पर पुलिस के आलाधिकारियों के साथ मीटिंग भी की (held a meeting with the top police officers on the naxal front). इस बैठक में नक्सलियों को खदेड़ने पर चर्चा हुई.
- 27 नवंबर को नक्सलियों के भारत बंद को लेकर दंतेवाड़ा जिले के किरंदुल में रेल पटरी की फिश प्लेट को निकालकर ट्रेन रोक दिया. इसकी वजह से माल गाड़ी की आधा दर्जन बोगियां पटरी से उतर गईं. इन बोगियों में लौह अयस्क भरा हुआ था. जिसे विशाखापट्नम ले जाया जा रहा था. इस घटना से किरंदुल-विशाखापट्नम रेलवे मार्ग बाधित हो गया. कुछ बोगियां आपस में टकराकर बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए थे. इस घटना से रेलवे को करोड़ों का नुकसान हुआ था.
- दंतेवाड़ा में डीआरजी के जवानों ने सर्चिंग के दौरान नक्सलियों द्वारा बनाए गए स्मारक को ध्वस्त (Naxalites Memorial Demolished) किया. DRG के जवानों की टीम ने सर्चिंग के दौरान 10 लाख इनामी डिविजनल कमेटी मेम्बर विनोद और 5 लाख इनामी गुण्डाधुर का शहीदी स्मारक को ध्वस्त किया.
हमारे जाबांज जवानों को भी मिली सफलता
छत्तीसगढ़ नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात हमारे जांबाज जवानों ने भी नक्सलियों से जमकर लोहा लिया है. जनवरी 2021 से लेकर 20 नवंबर तक कि यदि बात की जाए तो हमारे सुरक्षा बलों ने 42 नक्सलियों को मार गिराया है. इनमें से 1 लाख से लेकर 10 लाख रुपये तक के इनामी नक्सली शामिल हैं. हाल ही में नारायणपुर में पुलिस नक्सली मुठभेड़ में इस साल के सबसे बड़े इनामी नक्सली साकेत नरेटी को पुलिस ने मार गिराया. वह नक्सली संगठन के कंपनी नंबर 6 के सेक्शन कमांडर था. बस्तर पुलिस ने इस पर 10 लाख रुपये का इनाम घोषित कर रखा था.